"कल्प (वेदांग)": अवतरणों में अंतर

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'''कल्प''' [[वेद]] के छह अंगों (वेदांगों) में एक है। अन्य वेदांग हैं- शिक्षा (प्रातिशाख्यादि), व्याकरण, निरुक्त, छंदशास्त्र और ज्योतिष ।
 
==परिचय==
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इन कल्पसूत्रों का प्रधान प्रतिपाद्य विषय है संस्कारों, यज्ञों और वर्णाश्रम धर्मों की व्याख्या, विधिविधान तथा अनुष्ठानचर्या। इन्हीं के आधार पर कल्पसूत्रों का तीन मुख्य वर्गो में विभाजन किया गया है–
* (१) श्रौतसूत्र,
* (२) गृह्यसूत्र और
* (३) धर्मसूत्र
इसके अतिरिक्त [[शुल्बसूत्र]] भी एक भेद हैं।
 
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* पं. बलदेव उपाध्याय : वैदिक साहित्य और संस्कृति;
* वाचस्पति गैरोला : संस्कृत साहित्य का इतिहास;
* डा. राजवंश सहाय 'हीरा' : संस्कृत साहित्यकोश
 
==इन्हें भी देखें==
* [[कल्पसूत्र (जैन)]] - [[जैन धर्म|जैन]] धर्मग्रन्थ
* [[स्मार्त सूत्र]]
* [[मीमांसा]]
 
[[श्रेणी:वेद]]