"कार्बन-१४ द्वारा कालनिर्धारण": अवतरणों में अंतर

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'''[[प्रांगार]] काल निर्धारण विधि''' ([[अंग्रेज़ी]]:''कार्बन-१४ डेटिंग'') का प्रयोग [[जीवाश्मविज्ञान|पुरातत्व-जीव विज्ञान]] में [[जंतु|जंतुओं]] एवं [[पौधों]] के प्राप्त अवशेषों के आधार पर जीवन काल, समय चक्र का निर्धारण करने में किया जाता है। इसमें [[प्रांगार-१२]] एवं [[प्रांगार-१४]] के मध्य अनुपात निकाला जाता है। <ref>[http://hi.w3dictionary.org/index.php?q=carbon-14%20dating प्रांगार-१४ डेटिंग- अंग्रेजी भाषा की डिक्शनरी पर]</ref>
[[प्रांगार]] के दो स्थिर [[रेडियोधर्मी|अरेडियोधर्मी]] [[समस्थानिक]]: [[प्रांगार-१२]] (<sup>12</sup>C), और [[प्रांगार-१३]] (<sup>१३</sup>C) होते हैं। इनके अलावा एक अस्थिर [[रेडियोधर्मी]] [[समस्थानिक]] (<sup>१३</sup>C) के अंश भी पृथ्वी पर मिलते हैं।<ref>[http://hi.w3dictionary.org/index.php?q=radiocarbon रेडियोप्रांगार- अंग्रेजी भाषा की डिक्शनरी पर]</ref> अर्थात प्रांगार-१४ का एक निर्धारित मात्रा का नमूना ५७३० वर्षों के बाद आधी मात्रा का हो जाता है। ऐसा रेडियोधर्मिता क्षय के कारण होता है। इस कारण से प्रांगार-१४ पृथ्वी से बहुत समय पूर्व समाप्त हो चुका होता, यदि सूर्य की कॉर्मिक किरणों के पृथ्वी के वातावरण की [[नाइट्रोजन|भूयाति ]] पर प्रभाव से और उत्पादन न हुआ होता। ब्रह्माण्डीय किरणों से प्राप्त [[न्यूट्रॉन]] भूयाति अणुओं (N<sub>२</sub>) से निम्न परमाणु प्रतिक्रिया करते हैं:
:<math>n + \mathrm{^{14}_{7}N} \rightarrow \mathrm{^{14}_{6}C} + p</math>