"मानसोल्लास": अवतरणों में अंतर
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'''मानसोल्लास''' १२वीं शती का महत्वपूर्ण [[संस्कृत]] ग्रन्थ है जिसके रचयिता [[चालुक्यवंश]] के राजा [[सोमेश्वर]] तृतीय हैं। इस ग्रन्थ में राजा के 100 विनोदों का विवरण संकलित है। इसमें गीत, वाद्य, नृत्य तत्कालीन समाज में उपयोगिता और प्रमुख सिध्दान्तों का विवरण है। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण तथ्य है कि चालुक्य वंशी राजा सोमेश्वर ने स्वयं इस ग्रन्थ को लिखा था। ऐतिहासिक क्रमानुसार में संगीत के विविध आयामों का सुव्यवस्थित ऑकलन और अध्ययन में राजा की विशेष रूचि समाज में संगीत के स्तरीय महत्व को स्पष्ट करता है।
==संरचना==
यह ग्रन्थ पाँच 'विंशति'यों में विभक्त है। प्रत्येक विंशति में बीस अध्याय हैं। पाँचवीं विंशति का नाम 'क्रीडाविंशति' है जिसमें राजदरबार में खेले जाने वाली क्रीडाओं का वर्णन है। इनमें 'पसकक्रीडा', 'गोलकक्रीडा' आदि का वर्णन है।
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%83 '''मानसोल्लास''' का सम्पूर्ण पाठ] (संस्कृत विकिस्रोत)
*[bckg.pagesperso-orange.fr/english/manasollasa.htm Manasollasa (or Abhilashitarthachintamani) - Bhulokamalla, Somesvara - 1130]
[[श्रेणी:संस्कृत ग्रन्थ]]
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