"मानसोल्लास": अवतरणों में अंतर

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यह ग्रन्थ पाँच 'विंशति'यों में विभक्त है। प्रत्येक विंशति में बीस अध्याय हैं। प्रत्येक अध्याय एक विशिष्ट विषय से सम्बन्धित है। पाँचवीं विंशति का नाम 'क्रीडाविंशति' है जिसमें राजदरबार में खेले जाने वाली क्रीडाओं का वर्णन है। इनमें 'पसकक्रीडा', 'गोलकक्रीडा' आदि का वर्णन है।
 
इस ग्रन्थ में भांति-भांति के विषय वर्णित हैं, जैसे राज्यप्रप्ति के साधन, राज्यस्थापनाराज्य में स्थायित्व स्थापित करना, राजा का विनोद आदि। इसमें भारतीय कला, शिल्प, भोजन, आभूषण, खेल, संगीत एवं नृत्य से सम्बन्धित अमूल्य जानकारी है। इस ग्रन्थ में श्लोकों की संख्या इस प्रकार है-
 
'''विंशति -- अध्याय -- श्लोकसंख्या'''
 
I. राज्यप्राप्तिकरण विंशति -- 20 -- 308
 
'''विंशति -- अध्याय -- श्लोकसंख्या
I. राज्यप्राप्तिकरण विंशति --20 -- 308
II. राज्यस्य स्थैर्यकरण विंशति -- 20 -- 1300
 
III. उपभोगस्य विंशति -- 20 -- 1820
 
IV. विनोद विंशति -- 20 -- 3219
 
V. क्रीडा विंशति -- 20 -- 1375