"क़सीदा": अवतरणों में अंतर
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कसीदा [[उर्दू ]]काव्य का वह रूप हॅ जिसमें किसी की प्रशंसा की जाए। इसमें हर शेर का दूसरा मिस्रा एक ही [[रदीफ]] ऑर [[काफिए]] (तुकान्त) में होता हॅ। कसीदे दो प्रकार के होते हँ । एक वह, जिसमें कवि प्रारम्भ से ही प्रशंसा करने लगता हॅ ऑर दूसरा वह जिसमें प्रारम्भ में एक तरह की भूमिका दी जाती हॅ ऑर कवि ऑर बातों के अलावा
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