"अजमल क़साब": अवतरणों में अंतर

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मई २०१० में अजमल क़साब को मुम्बई की एक विशेष अदालत ने फाँसी की सज़ा सुनाई थी। क़साब को भारतीय दण्ड संहिता की चार धाराओं के अन्तर्गत फाँसी व एक अन्य धारा के अन्तर्गत उम्रकैद की सज़ा सुनायी गयी थी। विशेष अदालत के जज टहिलायनी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि क़साब एक किलिंग मशीन है और अगर उसके खिलाफ मौत की सज़ा नहीं सुनायी जाती है तो लोगों का न्याय से विश्वास ही उठ जायेगा। क़साब को हत्या, हत्या की साज़िश रचने, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने और आपराधिक गतिविधि निरोधक कानून के तहत मौत की सज़ा सुनायी गयी थी। इससे पहले ३ मई २०१० को मुम्बई की आर्थर रोड जेल में बनी विशेष अदालत ने क़साब पर लगे ८६ आरोपों में से ८३ आरोपों को सही पाया था।
 
अजमल क़साब ने सितम्बर २०१२ में राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी। इससे पहले २९ अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले को बेहद 'रेयर' बताकर क़साब की फाँसी की सजा पर मुहर लगा दी थी। जस्टिस आफताब आलम और सी० के० प्रसाद ने मुम्बई हमले में पकड़े गये एक मात्र जिन्दा आतंकी कसाब के बारे में कहा था कि जेल में उसने पश्चाताप या सुधार के कोई संकेत नहीं दिये। वह खुद को हीरो और देशभक्त पाकिस्तानी बताता था। ऐसे में कोर्ट ने माना था कि क़साब के लिये फाँसी ही एकमात्र सजा है।
==फाँसी के निर्णय में सोनिया गान्धी भागीदार नहीं==
[[एनडीटीवी इंडिया]] को दिये गये एक इण्टरव्यू में भारत के गृह मन्त्री [[सुशील कुमार शिंदे]] ने बताया कि अजमल क़साब की फाँसी का मामला इतना गोपनीय रखा गया कि उनकी कैबिनेट के किसी भी सदस्य को इसकी भनक तक नहीं लगने पायी। यहाँ तक कि प्रधान मन्त्री [[मनमोहन सिंह]] को भी [[टेलीविजन]] के माध्यम से इसका पता चला।
यूपीए प्रेसीडेण्ट [[सोनिया गांधी]] का इस निर्णय में कोई भी योगदान नहीं था।<ref> {{cite news |PM came to know through TV:Shinde last = | first = | author-link = | last2 = | first2 = | author2-link = | title = | newspaper =hindustantimes New Delhi/Metro | pages =1 | year =2012 | date =November 22 | url =www.hindustantimes.com }} </ref>
 
==सन्दर्भ==