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'''कपिलवस्तु''', शाक्य गण की राजधानी, जिसमेंथा। [[महात्मा बुद्ध|गौतम बुद्ध]] काके जन्मजीवन हुआ।के युनेस्कोप्रारम्भिक तथाकाल विश्वखण्ड केयहीं सभीपर बौद्धव्यथीत सम्प्रदायहुआ (महायान,था। बज्रयान,भगवान थेरवाद आदि)बुद्ध के अनुसारजन्म यहइस स्थान नेपालसे के१० कपिलबस्तुकिमी पूर्व में है[[लुंबिनी]] जहाँमे परहुआ युनेस्कोथा। काआर्कियोलजिक आधिकारिकखुदाइ स्मारकऔर लगायत सभी बुद्धप्राचीन धर्मयात्रीऔं के सम्प्रयायौं ने अपने संस्कृतिविवरण अनुसार के मन्दिर,अधिकतर गुम्बा,विद्वान्‌ बिहारकपिलवस्तु आदि[[नेपाल]] निर्माणके किया[[तिलौराकोट]] है।को इसमानते स्थानहैं परजो सम्राटनेपाल अशोककी द्वारातराई स्थापितके अशोकनगर स्तम्भतौलिहवा मेंसे ब्राह्मीदो लिपिकृतमील प्राकृतउत्तर भाषाकी मेंओर बुद्ध का जन्म स्थान होनेका वर्णन कियाहुआ शिलापत्र अवस्थित है।हैं। विंसेंट स्मिथ के मत से यह [[उत्तर प्रदेश]] के [[बस्ती जिले]] का पिपरावा नामक स्थान है जहाँ अस्थियों पर शाक्यों द्वारा निर्मित [[स्तूप]] पाया गया है जो उन के विचार में बुद्ध के अस्थि है। अधिकतर विद्वान्‌ कपिलवस्तु [[नेपाल]] के [[तिलौराकोट]] को मानते हैं जो नेपाल की तराई के प्रधान नगर तौलिहवा से दो मील उत्तर की ओर हैं।
 
बुद्ध शाक्य गण के राजा शुद्धोदन और [[महामाया]] के पुत्र थे। उनका जन्म [[लुंबिनी]] वन में हुआ जिसे अब [[रुम्मिनदेई]] कहते हैं। रुम्मिनदेई तिलौराकोट (कपिलवस्तु) से १० मील पूर्व और भगवानपुर से दो मील उत्तर है। यहाँ अशोक का एक स्तंभलेख मिला है जिसका आशय है कि भगवान्‌ बुद्ध के इस जन्मस्थान पर आकर [[अशोक]] ने पूजा की और स्तंभ खड़ा किया तथा "लुम्मिनीग्राम' के कर हलके किए।