"अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता": अवतरणों में अंतर

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जय महारा
 
अभिव्‍यक्‍ित की स्‍वतंत्रता अपने भावों और विचारों को व्‍यक्‍त करने का एक राजनीतिक अधिकार है। इसके तहत कोई भी व्‍यक्ति न सिर्फ विचारों का प्रचार-प्रसार कर सकता है, बल्कि किसी भी तरह की सूचना का आदान-प्रदान करने का अधिकार रखता है। हालांकि, यह अधिकार सार्वभौमिक नहीं है और इस पर समय-समय पर युक्‍ितयुक्‍त निर्बंधन लगाए जा सकते हैं। राष्‍ट्र-राज्‍य के पास यह अधिकार सुरक्षित होता है कि वह संविधान और कानूनों के तहत अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता को किस हद तक जाकर बाधित करने का अधिकार रखता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे- वाह्य या आंतरिक आपातकाल या राष्‍ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अभिव्‍यक्‍ित की स्‍वंतत्रता सीमित हो जाती है। संयुक्‍त राष्‍ट्र की सार्वभौमिक मानवाधिकारों के घोषणा पत्र में मानवाधिकारों को परिभाषित किया गया है। इसके अनुच्‍छेद 19 में कहा गया है कि किसी भी व्‍यक्ति के पास अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता का अधिकार होगा जिसके तहत वह किसी भी तरह के विचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान को स्‍वतंत्र होगा। हालांकि, इस अधिकार के साथ नागरिकों को विशेष दायित्‍व भी सौंपे गए हैं। एक मशहूर कहावत है कि आपकी स्‍वतंत्रता वहीं पर खत्‍म हो जाती है, जहां से दूसरे की नाक शुरू होती है। यानि इस अधिकार के तहत आप किसी को मानसिक, आर्थिक या दैहिक- किसी भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते।
 
 
 
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
http://en.wikipedia.org/wiki/Freedom_of_speech
* [http://www.chauthiduniya.com/2009/06/media-aur-kanoon.html मीडिया और कानून]
* [http://www.watchtower.org/e/19960722/article_01.htm Freedom of Speech Is It Being Abused?]