"होलकर": अवतरणों में अंतर

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'''होलकर राजवंश''' [[मल्हार राव]] से प्रारंभ हुआ, जो १७२१ में [[पेशवा]] की सेवा में शामिल हुए और जल्दी ही सूबेदार बने। उन्होने और उनके वंशजों ने मराठा राजा और बाद में १८१८ तक मराठा महासंघ के एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में मध्य भारत में इंदौर पर शासन किया, और बाद में भारत की स्वतंत्रता तक ब्रीटिश भारत की एक रियासत रहे। <br />
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वे उन प्रतिष्ठित राजवंशों मे से एक थे जिनका नाम शासक के शीर्षक से जुडा, जो आम तौर पर महाराजा होल्कर या 'होलकर महाराजा' के रूप में जाना जाता था, जबकि पूरा शीर्षक 'महाराजाधिराज राज राजेश्वर सवाई श्री (व्यक्तिगत नाम) होलकर बहादुर, महाराजा ऑफ़ इंदौर' था।
 
==होलकर साम्राज्य की स्थापना==
[[मल्हारराव होलकर]] (जन्म १६९४, मृत्यु १७६६) ने इन्दौर मे परिवार के शासन कि स्थापना की। उन्होने १७२० के दशक मे मालवा क्षेत्र में मराठा सेनाओं की संभाली और १७३३ में पेशवा ने इंदौर के आसपास के क्षेत्र में ९ परगना क्षेत्र दिये। इंदौर शहर मुगल साम्राज्य द्वारा मंजूर, 3 मार्च, १७१६ दिनांक से कंपेल के नंदलाल मंडलोई द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र रियासत के रूप में पहले से ही अस्तित्व में था। वे नंदलाल मंडलोई ही थे जिन्होने इस क्षेत्र में मराठों को आवागमन की अनुमती दी और खान नदी के पार शिविर के लिए अनुमति दी। मल्हार राव ने १७३४ में ही एक शिविर की स्थापना की, जो अब में मल्हारगंज के नाम से जाना जात है। १७४७ मे उन्होने अपने राजमहल, राजवाडा का निर्माण शुरू किया। उनकी मृत्यु के समय वह मालवा के ज्यादातर क्षेत्र मे शासन किया, और मराठा महासंघ के लगभग स्वतंत्र पाँच शासकों में से एक के रूप में स्वीकार किया गया।<br />
 
मल्हारराव होलकर (जन्म १६९४, मृत्यु १७६६) ने इन्दौर मे परिवार के शासन कि स्थापना की। उन्होने १७२० के दशक मे मालवा क्षेत्र में मराठा सेनाओं की संभाली और १७३३ में पेशवा ने इंदौर के आसपास के क्षेत्र में ९ परगना क्षेत्र दिये। इंदौर शहर मुगल साम्राज्य द्वारा मंजूर, 3 मार्च, १७१६ दिनांक से कंपेल के नंदलाल मंडलोई द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र रियासत के रूप में पहले से ही अस्तित्व में था। वे नंदलाल मंडलोई ही थे जिन्होने इस क्षेत्र में मराठों को आवागमन की अनुमती दी और खान नदी के पार शिविर के लिए अनुमति दी। मल्हार राव ने १७३४ में ही एक शिविर की स्थापना की, जो अब में मल्हारगंज के नाम से जाना जात है। १७४७ मे उन्होने अपने राजमहल, राजवाडा का निर्माण शुरू किया। उनकी मृत्यु के समय वह मालवा के ज्यादातर क्षेत्र मे शासन किया, और मराठा महासंघ के लगभग स्वतंत्र पाँच शासकों में से एक के रूप में स्वीकार किया गया।<br />
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उनके बाद उनकी बहू [[अहिल्याबाई होलकर]] (१७६७-१७९५ तक शासन किया) ने शासन की कमान संभाली। उनका जन्म महाराष्ट्र में चौंडी गाँव में हुआ था। उन्होने राजधानी को इंदौर के दक्षिण मे [[नर्मदा नदी]] पर स्थित [[महेश्वर]] पर स्थानांतरित किया। रानी अहिल्याबाई कई हिंदू मंदिरों की संरक्षक थी। उन्होने अपने राज्य के बाहर पवित्र स्थलों में मंदिरों का निर्माण किया।<br />
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मल्हार राव होलकर के दत्तक पुत्र [[तुकोजीराव होलकर]] (शासन: १७९५-१७९७) ने कुछ समय के लिये रानी अहिल्याबाई की मृत्यु के बाद शासन संभाला। हालांकि तुकोजी राव ने अहिल्याबाई कए सेनापती के रूप मे मंडलोई द्वरा इंदौर की स्थापना के बाद मार्च १७६७ में अपना अभियान शुरु कर दिया था। होलकर १८१८ से पहले इन्दौर मे नही बसे।
 
==यशवंतराव होलकर==
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==वंशज==
* रिचर्ड होलकर
-* सबरीना होलकर
- * यशवंतराव होलकर
 
* ऊषादेवी महाराज साहिबा होलकर १५ बहादुर
* रिचर्ड होलकर
-* रंजीत मल्होत्रा
- सबरीना होलकर
-* दिलीप मल्होत्रा
- यशवंतराव होलकर
 
* विजयेन्द्र घाटगे
* ऊषादेवी महाराज साहिबा होलकर १५ बहादुर
-* सागरिका घाटगे
- रंजीत मल्होत्रा
- दिलीप मल्होत्रा
 
* विजयेन्द्र घाटगे
- सागरिका घाटगे
 
==इंदौर के होलकर महाराजा==
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* [[तुकोजीराव होलकर तृतीय]] (शासन: ३१ जनवरी १९०३ से २६ फ़रवरी १९२६)
* [[यशवंतराव होलकर द्वितीय]] (शासन: २६ फ़रवरी १९२६ से १९४८)
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
[[ca:Holkar]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/होलकर" से प्राप्त