"इन्द्र कुमार गुजराल": अवतरणों में अंतर

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|accessdate=१ दिसंबर २०१२}}</ref> अप्रैल १९९७ में [[भारत के प्रधानमंत्री]] बनने से पहले उन्होंने भारतीय मंत्रिमंडल में विभिन्न पदों पर काम किया। वे संचार मन्त्री, संसदीय कार्य मन्त्री, सूचना और प्रसारण मन्त्री, विदेश मन्त्री, और आवास मन्त्री के रुप में काम कर चुके थे। [[राजनीति]] में आने से पहले वे [[बीबीसी]] की हिन्दी सेवा में एक पत्रकार के रूप में भी काम कर चुके हैं।
 
१९७५ में वे [[इन्दिरा गान्धी]] सरकार में सूचना एवम् प्रसारण मन्त्री थे। उस समय यह बात सामने आयी कि १९७१ के चुनाव में इन्दिरा गान्धी ने चुनाव जीतने के लिये असंवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल किया। जब इससे पहले संजय गांधी ने उत्तर प्रदेश से ट्रकों पर भरकर इन्दिरा जी के समर्थन में प्रदर्शन के लिए दिल्ली में लोग इकट्ठा किये तो उन्होंने इन्द्रकुमार गुजराल को इसका मीडिया द्वारा कवरेज करने को कहा जिसे गुजराल ने मानने से साफ इन्कार कर दिया क्योंकि संजय गांधी का कोई सरकारी ओहदा प्राप्त नहीं था। इस कारण से उन्हें सूचना एवम् प्रसारण मन्त्रालय से हटा दिया गया और विद्या चरण शुक्ल को यह पद सौंप दिया गया। लेकिन बाद में [[इन्दिरा गान्धी]] सरकार में [[मास्को]] में दूत के तौर पर इन्होंने ही १९८० में [[सोवियत संघ]] के [[अफ़गानिस्तान]] में हस्तक्षेप का विरोध करने की नीति पर बल दिया। देखा जाय तो भारतीय विदेश नीति में यह एक बहुत बड़ा बदलाव था और इसके बाद ही भारत ने [[सोवियत संघ]] द्वारा [[हंगरी]] और [[चेकोस्लोवाकिया]] में भी हस्तक्षेप का विरोध किया।
 
==व्यक्तिगत जीवन==