"सुल्तानगंज": अवतरणों में अंतर

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([[अंग्रेजी]]: Sultanganj) [[भारत]] के [[बिहार]] राज्य के [[भागलपुर]] [[जिला]] में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। यह [[गंगा]]नदी के तट पर बसा हुआ है। यहाँ बाबा [[अजगबीनाथ]] का विश्वप्रसिद्ध प्राचीन [[मंदिर|मन्दिर]] है। [[गंगा|उत्तरवाहिनी गंगा]] होने के कारण [[सावन]] के महीने में लाखों काँवरिये देश के विभिन्न भागों से [[गंगाजल]] लेने के लिए यहाँ आते हैं। यह गंगाजल [[झारखंड]] [[राज्य]] के [[देवघर]] स्थित [[बाबा बैद्यनाथ]] को चढाते हैं। [[बैद्यनाथ धाम]] भगवान शिव के बारह [[ज्योतिर्लिंगों]] में एक माना जाता है।
सुल्तानगन्ज हिन्दू तीर्थ के अलावा बौद्ध पुरावशेषों के लिये भी विख्यात है। सन १८५३ ई० में रेलवे स्टेशन के अतिथि कक्ष के निर्माण के दौरान यहाँ से मिली [[बुद्ध]] की लगभग ३ टन वजनी ताम्र प्रतिमा आज '''बर्मिन्घम म्यूजियम''' में रखी है।
 
==धार्मिक महत्व==
सुल्तानगंज एक प्राचीन बौद्ध धर्म का केन्द्र है जहाँ कई बौद्ध विहारों के अलावा एक स्तूप के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। सुल्तानगंज में बाबा अजगबीनाथ का विश्वप्रसिद्ध और प्राचीन मन्दिर है। सुल्तानगंज से एक विशाल गुप्तकालीन बौद्ध प्रतिमा मिली है, जो वर्तमान में बर्मिघम इंग्लैण्ड के संग्रहालय में सुरक्षित है। यह बुद्ध प्रतिमा दो टन से भी अधिक भारी तथा दो मीटर ऊँची है। इस प्रतिमा में महात्मा बुद्ध के शीश पर कुंचित केश तो हैं परन्तु उसके चारों ओर प्रभामण्डल नहीं है।
 
यह ताम्र प्रतिमा नालंदा शैली की प्रतीत होती है जबकि सुप्रसिद्ध इतिहासकार राखाल दास बनर्जी ने इसे पाटलिपुत्र शैली में निर्मित्त माना है।
 
==प्रमुख दर्शनीय स्थल==
==यातायात के साधन==
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
==बाहरी कड़ियाँ==
==इन्हें भी देखें==
{{धार्मिक स्थल}}
[[en: Sultanganj]]
 
'''सुल्तानगंज''' [[भारत]] के [[बिहार]] राज्य के [[भागलपुर]] [[जिला]] में स्थित है. यह एक ऐतिहासिक स्थल है जो [[गंगा]]नदी के तट पर बसा हुआ है. यहां बाबा [[अजगबीनाथ]] का विश्वप्रसिद्ध और प्राचीन [[मंदिर]] है. [[उत्तरवाहिनी गंगा]] होने के कारण [[सावन]] माह में लाखों कांवरिए देश के विभिन्न भागों से [[गंगाजल]] लेने के लिए यहां आते हैं. यह जल [[झारखंड]] [[राज्य]] के [[देवघर]] स्थित [[बाबा बैद्यनाथ]] को चढाते हैं. [[बैद्यनाथ धाम]] भगवान शिव के बारह [[ज्योतिर्लिंगों]] में एक माना जाता है.
'''सुल्तानगन्ज''' हिन्दु तीर्थ के अलावा बौध्ध पुरावशेष्ओके लिये भी ख्याति-प्राप्त रहा है। सन १८५३ ई० मे रेल्वे स्तेतिओन के अतिथि कक्श के निर्मान के दौरान यहान से मिली '''बुध्ध''' की लग्भग ३ तन वजनी ताम्र प्रतिमा आज '''बर्मिन्घम मुसिउम''' मे रखी है।