"सुल्तानगंज": अवतरणों में अंतर
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==धार्मिक महत्व==
सुल्तानगंज एक प्राचीन [[बौद्ध धर्म]] का केन्द्र है जहाँ कई बौद्ध विहारों के अलावा एक [[स्तूप]] के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। सुल्तानगंज में बाबा अजगबीनाथ का विश्वप्रसिद्ध और प्राचीन मन्दिर है। सुल्तानगंज से एक विशाल [[गुप्तकालीन कला]] की बौद्ध प्रतिमा मिली है, जो वर्तमान में बर्मिघम ([[इंग्लैण्ड]]) के संग्रहालय में सुरक्षित है। यह बुद्ध प्रतिमा दो टन से भी अधिक भारी तथा दो मीटर ऊँची है। इस [[प्रतिमा]] में महात्मा बुद्ध के शीश पर कुंचित केश तो हैं परन्तु उसके चारों ओर प्रभामण्डल नहीं है।
यह ताम्र प्रतिमा नालंदा शैली की प्रतीत होती है जबकि सुप्रसिद्ध इतिहासकार राखाल दास बनर्जी ने इसे पाटलिपुत्र शैली में निर्मित्त माना है।▼
▲यह ताम्र प्रतिमा [[नालंदा]] शैली की प्रतीत होती है जबकि सुप्रसिद्ध इतिहासकार राखाल दास बनर्जी ने इसे [[पाटलिपुत्र]] शैली में निर्मित्त माना है।
==सांख्यकीय आँकड़े==
2001 की [[जनगणना]] के अनुसार<ref>{{GR|India}}</ref> सुल्तानगंज की कुल [[जनसंख्या]] 41,812 थी। इसमें 54% पुरुष तथा 46% स्त्रियाँ थीं। यहाँ की औसत सक्षरता दर 52% थी जो कि राष्ट्रीय औसत (59.5%) से कम थी। उस समय पुरुषों का साक्षरता अनुपात 60% तथा महिलाओं का 43% आँका गया था। कुल जनसंख्या में 17% बच्चे 6 वर्ष से कम आयु के थे।.
==प्रमुख दर्शनीय स्थल==
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