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(नया पृष्ठ: thumb|230px|[[साम्यवाद विचारधारा के संस्थापक कार्ल मार्क्स ...) |
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==साम्यवादी सोच में==
[[साम्यवादी]] (मार्क्सवादी) विचारधारा में बूर्ज़वाज़ी वर्ग के लोग हमेशा धन बटोरने व अपनी संपत्ति सुरक्षित करने में लगे रहते हैं, और उनका मुख्य ध्येय समाज में अपने ऊँचे स्थान और आर्थिक नियंत्रण को बनाए रखना होता है। मार्क्सवादी दृष्टिकोण में समाज में दो मुख्य वर्ग होते है - बूर्ज़वाज़ी (पूंजीपति) और [[प्रोलितारियत]] (<small>proletariat</small>, मज़दूर वर्ग)। बूर्ज़वाज़ी कारख़ानों और आर्थिक कार्य के अन्य साधनों पर क़ब्ज़ा जमाए होते हैं। प्रोलितारियत को जीवनी चलाने के लिए मजबूरन इनके कारख़ानों में काम करना होता है क्योंकि आमदनी करने का कोई अन्य ज़रिया नहीं होता। इस तरह से बूर्ज़वाज़ी प्रोलितारियत के श्रम से लाभ उठाते हैं और प्रोलितारियत को कठिनाई और ग़रीबी में जीवन बसर करना पड़ता है। अन्य
==उच्चारण==
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