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[[चित्र:Kaithi printed.jpg|thumb|right|कैथी लिपि का प्रिन्ट रूप (१९वीं शताब्दी के मध्य)]]
 
'''कैथी''' , जिसे "कयथी" या "कायस्थी", के नाम से भी जाना जाता है एक ऐतिहासिक लिपि है जिसे मध्यकालीन [[भारत]] में प्रमुख रूप से उत्तर-पूर्व और उत्तर भारत में काफी बृहत रूप से प्रयोग किया जाता था।था, खासकर आज के [[उत्तर प्रदेश]] एवं [[बिहार]] के क्षेत्रों में। इस लिपि में वैधानिक एवं प्रशासनिक कार्य किये जाने के भी प्रमाण पाये जाते हैं
<संदर्भref>अंशुमान पांडे. 2006. [http://www-personal.umich.edu/~pandey/kaithi.pdf Proposal to Encode the Kaithi Script in Plane 1 of ISO/IEC 10646]</संदर्भref>। । इसे भारत"कयथी" सरकारया की एक समीति द्वारा [[यूनिकोड]] में कूटित किये जाने"कायस्थी", के बारेनाम मेंसे भी विचार किया जाजाना रहाजाता है।
 
==उतपत्ति==
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==इतिहास==
 
कैथी एक पुरानी लिपी है एवं इसका पहला प्रयोग सोलहवीं शताब्दी में देखने को मिलता है। [[मुगल साम्राज्य]] के दौरान इसका काफी व्यापक प्रयोग होता था। 1880 में [[ब्रिटिश राज]] के दौरान भी इसे [[खगड़िया]] जिले के न्यायालय में वैधानिक लिपीलिपि का दर्ज़ा दिया गया था।
 
==यूनिकोड==
कैथी लिपि को सन २००९ में यूनिकोड मानक 5.2 में शामिल किया गया। कैथी का यूनिकोड में स्थान U+11080 से U+110CF है। इस सीमा में कुछ खाली स्थान भी है जिनके कोड बिन्दु निर्धारित नहीं किए गए हैं।
 
{{कैथी का यूनिकोड}}
 
==संदर्भ==