"प्लासी का पहला युद्ध": अवतरणों में अंतर

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==परिचय==
[[File:The_NavabThe Nawab's_artillery_on_a_special_movable_platforms artillery at Plassey.jpg|thumb|A large stage, raised six feet from the ground, carrying besides the cannon, all the ammunition belonging to it, and the gunners themselves who managed the cannon, on the stage itself. These machines were drawn by 40 or 50 yoke of white oxen, of the largest size, bred in the country of Purnea; and behind each cannon walked an elephant, trained to assist at difficult tugs, by shoving with his forehead against the hinder part of the carriage.]]
अंग्रेजों को भारत में व्यापार करने का अधिकार जहाँगीर ने 1618 में दिया था और 1618 से लेकर 1750 तक भारत के अधिकांश रजवाड़ों को अंग्रेजों ने छल से कब्जे में ले लिया था । बंगाल उनसे उस समय तक अछूता था । और उस समय बंगाल का नवाब था सिराजुदौला । बहुत ही अच्छा शासक था, बहुत संस्कारवान था । मतलब अच्छे शासक के सभी गुण उसमे मौजूद थे । अंग्रेजों का जो फ़ॉर्मूला था उस आधार पर वो उसके पास भी गए व्यापार की अनुमति मांगने के लिए गए लेकिन सिराजुदौला ने कभी भी उनको ये इज़ाज़त नहीं दी क्यों की उसके नाना ने उसको ये बताया था की सब पर भरोसा करना लेकिन गोरों पर कभी नहीं और ये बातें उसके जेहन में हमेशा रहीं इसलिए उसने अंग्रेजों को व्यापार की इज़ाज़त कभी नहीं दी । अंग्रेजों ने कई बार बंगाल पर हमला किया लेकिन हमेशा हारे । मैं यहाँ स्पष्ट कर दूँ की अंग्रेजों ने कभी भी युद्ध करके भारत में किसी राज्य को नहीं जीता था वो हमेशा छल और साजिस से ये काम करते थे । उस समय का बंगाल जो था वो बहुत बड़ा राज्य था उसमे शामिल था आज का प. बंगाल, बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, बंग्लादेश, पूर्वोत्तर के सातों राज्य और म्यांमार (बर्मा) ।