"सुगौली संधि": अवतरणों में अंतर

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ब्रिटिश-नेपाली युद्ध के बाद, नेपाल सरकार और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच शांति और मैत्री की एक संधि पर हस्ताक्षर किये गये। 2 दिसम्बर 1815 को इस संधि पर नेपाल सरकार की ओर से राज गुरु गजराज मिश्रा जिनके सहायक चंद्र शेखर उपाध्याय थे और कंपनी की ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल पेरिस ब्रेडशॉ द्वारा हस्ताक्षर किये गये। 4 मार्च, 1816 को चंद्र शेखर उपाध्याय और जनरल डेविड ऑक्टरलोनी द्वारा मकवानपुर में संधि की हस्ताक्षरित प्रतियों का आदान प्रदान किया गया। संधि की शर्तें निम्नलिखित थीं: -
==१==
1- ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के राजा के बीच सदैव शांति और मित्रता रहेगी।
2-नेपाल के राजा उन सभी भूमि दावों का त्याग कर देंगे जो युद्ध से पहले दोनो राष्ट्रों के मध्य विवाद का विषय थे, और उन भूमियों की संप्रभुता पर कंपनी के अधिकार को स्वीकार करेंगे।
3-नेपाल के राजा शाश्वत रूप से निम्न उल्लिखित सभी प्रदेशों को ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप देंगे: i) काली और राप्ती नदियों के बीच का सम्पूर्ण तराई क्षेत्र। ii) बुटवाल को छोडकर राप्ती और गंडकी के बीच बीच का सम्पूर्ण तराई क्षेत्र। iii) गंडकी और कोशी के बीच बीच का सम्पूर्ण तराई क्षेत्र जिस पर ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अधिकार स्थापित किया गया है। iv) मेची और तीस्ता नदियों के बीच बीच का सम्पूर्ण तराई क्षेत्र। v) मेची नदी के पूर्व के भीतर प्रदेशों का सम्पूर्ण पहाडी क्षेत्र। साथ ही पूर्वोक्त क्षेत्र गोरखा सैनिकों द्वारा इस तिथि से चालीस दिन के भीतर खाली किया जाएगा।
 
==सन्दर्भ==