"सुगौली संधि": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 15:
1- ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के राजा के बीच सदैव शांति और मित्रता रहेगी।
 
2-नेपाल के राजा उन सभी भूमि दावों का त्यागपरित्याग कर देंगे जो युद्ध से पहले दोनो राष्ट्रों के मध्य विवाद का विषय थे, और उन भूमियों की संप्रभुता पर कंपनी के अधिकार को स्वीकार करेंगे।
 
3-नेपाल के राजा शाश्वत रूप से निम्न उल्लिखित सभी प्रदेशों को ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप देंगे: i) काली और राप्ती नदियों के बीच का सम्पूर्ण तराई क्षेत्र। ii) बुटवाल को छोडकर राप्ती और गंडकी के बीच का सम्पूर्ण तराई क्षेत्र। iii) गंडकी और कोशी के बीच का सम्पूर्ण तराई क्षेत्र जिस पर ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अधिकार स्थापित किया गया है। iv) मेची और तीस्ता नदियों के बीच का सम्पूर्ण तराई क्षेत्र। v) मेची नदी के पूर्व के भीतर प्रदेशों का सम्पूर्ण पहाड़ी क्षेत्र। साथ ही पूर्वोक्त क्षेत्र गोरखा सैनिकों द्वारा इस तिथि से चालीस दिन के भीतर खाली किया जाएगा।
पंक्ति 21:
4-नेपाल के उन भरदारों और प्रमुखों को जिनके हित पूर्वगामी अनुच्छेद (क्रमांक ३) के अनुसार उक्त भूमि हस्तांतरण द्वारा प्रभावित होते हैं की क्षतिपूर्ति के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी, 2 लाख रुपये की कुल राशि पेंशन प्रतिवर्ष के रूप में देने को तैयार है जिसका निर्णय नेपाल के राजा द्वारा लिया जा सकता है।
 
5-नेपाल के राजा, उनके वारिस और उत्तराधिकारी काली नदी के पश्चिम में स्थित सभी देशों पर अपने दावों का परित्याग करेंगे, और उन देशों या उनके निवासियों से संबंधित किसी मामले में स्वयं को सम्मिलित नहीं करेंगे।
 
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