No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
[[http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/ayurvedic/0707/25/1070725027_1.htm]]'''रतौंधी''', आंखों की एक बीमारी है । इस रोग के रोगी को दिन में तो अच्छी तरह दिखाई देता है, लेकिन रात के वक्त वह नजदीक की चीजें भी ठीक से नहीं देख पाता।
 
रोगी की आँखों की जाँच के दौरान पता चलता है कि आँखों का कॉर्निया (कनीनिका) सूख-सा गया है और आई बॉल (नेत्र गोलक) धुँधला व मटमैला-सा दिखाई देता है। उपतारा (आधरिस) महीन छिद्रों से युक्त दिखता है तथा कॉर्निया के पीछे तिकोनी सी आकृति नजर आती है। आँखों से सफेद रंग का स्त्राव होता है।
पंक्ति 26:
बल्ब के चारों और रोगी को किरणें फूटती दिखाई देती हैं। धूल-मिट्टी व धुएं के वातावरण से गुजरने पर धुंधलापन अधिक बढ़ जाता है।
 
रतौंधी का कारण[[http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/ayurvedic/0707/25/1070725027_1.htm]] :
* नेत्रों के भीतरी भाग में स्थित रेटिना दो प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। कुछ कोशिकाएँ छड़ की आकार की और कुछ शंकु के आकार की होती हैं। इन कोशिकाओं में जो रंग कण होते हैं, वे प्रकाश के प्रति संवेदनशील होते हैं।