"नागरीप्रचारिणी सभा": अवतरणों में अंतर

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'''नागरीप्रचारिणी सभा''', [[हिंदी भाषा]] और [[हिन्दी साहित्य|साहित्य]] तथा [[देवनागरी]] लिपि की उन्नति तथा प्रचार और प्रसार करनेवाली [[भारत]] की अग्रणी संस्था है। [[भारतेन्दु युग]] के अनंतर हिंदी साहित्य की जो उल्लेखनीय प्रवृत्तियाँ रही हैं उन सबके नियमन, नियंत्रण और संचालन में इस सभा का महत्वपूर्ण योग रहा है।
 
 
==स्थापना==
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===आर्यभाषा पुस्तकालय===
सभा का यह पुस्तकालय देश में हिंदी का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। स्व. ठा. गदाधरसिंह ने अपना पुस्तकालय सभा को प्रदान किया और उसी से इसकी स्थापना सभा में सन् १८९६ ई. में हुई। विशेषतः १९वीं शताब्दी के अंतिम तथा २०वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षो में हिंदी के जो महत्वपूर्ण ग्रंथ और पत्रपत्रिकाएँ छपी थीं उनके संग्रह में यह पुस्तकालय बेजोड़ है। इस समय तक लगभग १५,००० हस्तलिखित ग्रंथ भी इसके संग्रह में हो गए हैं। मुद्रित पुस्तकें डयूई की दशमलव पद्धति के अनुसार वर्गीकृत हैं। इसकी उपयोगिता एकमात्र इसी तथ्य से स्पष्ट है कि हिंदी में शोध करनेवाला कोई भी विद्यार्थी जब तक इस पुस्तकालय का आलोड़नआलोकन नहीं कर लेता तब तक उसका शोधकार्य पूरा नहीं होता। स्व. पं. [[महावीरप्रसाद द्विवेदी]], स्व. जगन्नाथदास 'रत्नाकर', स्व. पं. मयाशंकर याज्ञिक, स्व. डा. हीरानंद शास्त्री तथा स्व. पं. रामनारायण मिश्र ने अपने अपने संग्रह भी इस पुस्तकालय को दे दिए हैं जिससे इसकी उपादेयता और बढ़ गई हैं।
 
===हस्तलिखित ग्रंथों की खोज===
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अपनी समानधर्मा संस्थाओं से संबंधस्थापन, अहिंदीभाषी छात्रों को हिंदी पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति देना, हिंदी की [[आशुलिपि]] (शार्टहैंड) तथा [[टंकण]] (टाइप राइटिंग) की शिक्षा देना, लोकप्रिय विषयों पर समय-समय पर सुबोध व्याख्यानों का आयोजन करना, प्राचीन और सामयिक विद्वानों के तैलचित्र सभाभवन में स्थापित करना आदि सभा की अन्य प्रवृत्तियाँ हैं।
 
सुप्रसिद्ध मासिक पत्रिका [[सरस्वती पत्रिका|सरस्वती]] का श्रीगणेश और उसके संपादनादि की संपूर्ण व्यवस्था आरंभ में इस सभा ने ही की थी। [[अखिल भारतीय हिंदी साहित्य संमेलन]] का संगठन और सर्वप्रथम उसका आयोजन भी सभा ने ही किया था। इसी प्रकार, संप्रति हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित [[भारत- कला- भवन]] नामक अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पुरातत्व और चित्रसंग्रह का एक युग तो संरक्षण, पोषण और संवर्धन यह सभा ही करती रही। अंततः जब उसका स्वतंत्र विकास यहाँ अवरुद्ध होने लगा और विश्वविद्यालय में उसकी भविष्योन्नति की संभावना हुई तो सभा ने उसे विश्वविद्यालय को हस्तांतरित कर दिया।
 
===स्वर्ण जयंती और हीरक जयंती===
संवत् २००० वि. में सभा ने महाराज विक्रमादित्य की द्विसहस्स्राब्दी तथा अपनी स्वर्णजयंतियाँ और जीवन के ६० वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य में सं. २०१० में अपनी हीरकजयंती के आयोजन बड़े समांरभपूर्वक किए। इन दोनों आयोजनों की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता यह रही की ये आयोजन उत्सव मात्र नहीं थे, प्रत्युत इन अवसरों पर सभा ने बड़े महत्वपूर्ण, ठोस तथा रचनात्मक कार्यों का समारंभ किया। उदाहरणार्थ, स्वर्णजयंती पर सभा ने अपना ५० वर्षों का विस्तृत इतिहास तथा नागरीप्रचारिणी पत्रिका का विक्रमांक (दो जिल्दों में) प्रकाशित किया। ५० वर्षों की खोज में ज्ञात सामग्री का विवरण एवं [[भारत कला भवन]] तथा [[आर्यभाषा पुस्तकालय]] में संगृहीत सामग्री की व्यवस्थित सूची प्रकाशित करने की भी उसकी योजना थीं, किन्तु ये कार्य खंडशः ही हो पाए। परिव्राजक स्वामी, सत्यदेव जी ने अपना आश्रम सत्यज्ञान निकेतन इसी अवसर पर देश के पश्चिमी भागों में प्रचार कार्य का केंद्र बनाने के निमित्त, सभा को दान कर दिया। इसी प्रकार हीरक जयंती पर सभा के ६० वर्षीय इतिहास के साथ हिंदी तथा अन्यान्य भारतीय भाषाओं के साहित्य का इन ६० वर्षों का इतिहास, नारीप्रचारिणी पत्रिका का विशेषांक, [[हिंदी शब्दसागर]] का संशोधन-परिवर्धन तथा आकर ग्रंथों की एक पुस्तकमाला प्रकाशित करने की सभा की योजना थी। यथोचित राजकीय सहयोग भी सभा को सुलभ हुआ, परिणामतः सभा ये कार्य सम्यक् रूप से संपन्न कर रही है।
 
===हिन्दी विश्वकोश तथा हिन्दी शब्दसागर===
उपर्युक्त कार्यों के अतिरिक्त '''[[हिन्दी विश्वकोश]]''' का प्रणयन सभा ने केंद्रीय सरकार की वित्तीय सहायता से किया है। इसके बारह भाग प्रकाशित हुए हैं। [[हिंदी शब्दसागर]] का संशोधन-परिवर्धन केंद्रीय सरकार की सहायता से सभा ने किया है जो दस खंडों में प्रकाशित हुआ है। यह हिंदी का सर्वाधिक प्रामाणिक तथा विस्तृत कोश है। दो अन्य छोटे कोशों 'लघु शब्दसागर' तथा 'लघुतर शब्दसागर' का प्रणयन भी छात्रों की आवश्यकतापूर्ति के लिए सभा ने किया है। सभा देवनागरी लिपि में भारतीय भाषाओं के साहित्य का प्रकाशन और हिंदी का अन्य भारतीय भाषाओं की लिपियों में प्रकाशित करने के लिए योजनाबद्ध रूप से सक्रिय हैं। [[प्रेमचंद]] जी के जन्मस्थान [[लमही]] (वाराणसी) में उनका एक स्मारक भी बनवाया है।
 
'''इस प्रकार भारतेंदु युग के अनंतर हिंदी साहित्य की जो उल्लेखनीय प्रवृत्तियाँ रही हैं उन सबके नियमन, नियंत्रण और संचालन में इस सभा का महत्वपूर्ण योग रहा है।'''
 
==सदर्भ ग्रन्थ==
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==इन्हें भी देखें==
*[[हिन्दी साहित्य सम्मेलन]], [[प्रयाग]]
*[[आरा नागरी प्रचारिणी सभा]]
*[[आगरा नागरीप्रचारिणी सभा]]
*[[हिन्दी शब्दसागर]]
*[[हिन्दी विश्वकोश]]
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*[[बाबू श्याम सुंदर दास]]
*[[मदन मोहन मालवीय|महामना मदन मोहन मालवीय]]
*[[आरा नागरी प्रचारिणी सभा]]
*[[आगरा नागरीप्रचारिणी सभा]]
 
==वाह्य सूत्र==
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*[http://dsal.uchicago.edu/dictionaries/dasa-hindi/index.html हिंदी शब्दसागर] - हिन्दी शब्द देवनागरी या रोमन में लिखकर उनके अर्थ ढ़ूँढ़िये।
*[http://www.cdacnoida.in/vishwa/vishwa/homepage.asp '''हिन्दी विश्वकोश'''] - इसके निर्माण में नागरीप्रचारिणी सभा का प्रमुख योगदान है।
*[http://www.vikalpanoop.blogspot.in/2012/11/14-1949-17-343-10-1893.html हिन्दी का विकास और नागरी प्रचारिणी सभा]
*[http://www.in.jagran.yahoo.com/epaper/article/index.php?page=article&choice=print_article&location=40&category=&articleid=111721053171186312 काशी से ही अदालती भाषा का मिला आसन]
*[http://nagaripracharinisabha.blogspot.com/ नागरी प्रचारिणी सभा] (हिन्दी चिट्ठा)