"भदोही जिला": अवतरणों में अंतर

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'''संत रविदास नगर जिला ''' भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश ]] का एक जिला है ।जिले का मुख्यालय ज्ञानपुर में है ।
सन्त रविदास नगर को भदोही जिले के नाम से भी जाना जाता है।पहलेहै। पहले यह वाराणसी जिले में था।[[भदोही]] जिला इलाहाबाद और वारानसीवाराणसी के बीच मे स्थित है| यहा का कालीन उद्योग विश्व प्रसिद्ध है और कृषी के बाद दूसरा प्रमुख रोजगार का श्रोत है|
 
== इतिहास ==
इस जिले की उत्पत्ति ३० जून १९९४ को भदोही के नाम से उत्तर प्रदेश के ६५ वे जिले के रूप में हुआ था । लेकिन बाद में मायावती सरकार ने इसका नाम संत रविदास नगर रख दिया ।यह। यह जिला "कारपेट सिटी " के नाम से विश्व में प्रसिद्ध है ।उत्तर। उत्तर प्रदेश के सबसे छोटे जिले में गिना जाता है ।
उत्‍तर प्रदेश के पूर्वाचंल क्षेत्र के प्रमुख जनपद [[वाराणसी]] से 1996 में बना सन्‍त रविदास नगर जिला आम जन के द्वारा भदोही नाम से जाना जाता है। [[इलाहाबाद]], [[जौनपुर]], [[वाराणसी]], [[मीरजापुर]] की सीमाओं को स्‍पर्श करता यह जिला अपने कालीन उद्योग के कारण विश्‍व में अत्‍यन्‍त प्रसिद्ध है।
 
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1580 ई0 में मुगल बादशाह अकबर ने फारस से कुछ कालीन बुनकरों को अपने दरबार में बुलाया था। इन बुनकरों ने कसान, इफशान और हेराती नमूनों के कालीनें अकबर को भेंट की। [[अकबर]] इन कालीनों से बहुत प्रभावित हुआ उसने आगरा, दिल्‍ली और लाहौर में कालीन बुनाई प्रशिक्षण एवं उत्‍पाद केन्‍द्र खोल दिये। इसके बाद आगरा से बुनकरो का एक दल जी0 टी0 रोड के रास्‍ते बंगाल की ओर अग्रसर हुआ। रात्रि विश्राम के लिए यह हल घोसिया-माधोसिंह में रूका। इस दल ने यहॉं रूकने पर कालीन निर्माण का प्रयास किया। स्‍थानीय शासक और जुलाहों के माध्‍यम से यहॉं कालीन बुनाई की सुविधा प्राप्‍त हो गयी। धीरे-धीरे भदोही के जुलाहे इस कार्य में कुशल होते गए। वे आस-पास की रियासतों मे घूम-घूम कर कालीन बेचते थे और धन एकत्र करते थे।
 
[[ईस्‍ट इण्डिया कम्‍पनी]] के व्‍यापारी इस कालीन निर्माण की कला से बहुत प्रभावित थे उन्‍होने अन्‍य हस्‍तशिल्‍पों का विनाश करना अपना दायित्‍व समझा था लेकिन कालीन की गुणवत्‍ता और इसके यूरोपीय बाजार मूल्‍य को देखकर इस हस्‍तशिल्‍प पर हाथ नहीं लगाया। 1851 में ईस्‍ट इण्डिया कम्‍पनी ने यहॉं के बने कालीनों को विश्‍व प्रदर्शनी में रखा जिसे सर्वोत्‍क्रष्‍ट माना गया। अर्न्‍तराष्‍ट्रीय बाज़ार में कालीन के 6 मुख्‍य उत्‍पादक हैं- [[ईरान]], [[चीन]], [[भारत]], [[पाकिस्‍तान]], [[नेपाल]], [[तुर्की]]। ना0 टेडनाटेड कालीन निर्यात का 90 प्रतिशत ईरान, चीन, भारत, और नेपाल से होता है जिसमें ईरान 30 प्रतिशत, भारत 20 प्रतिशत और नेपाल का हिस्‍सा 10 प्रतिशत है। कालीन निर्यात का 95 प्रतिशत यूरोप और अमेरिका में जाता है। अकेले जर्मनी 40 प्रतिशत कालीन आयात करता है। भदोही के कालीनो के निर्माण के सम्‍बन्‍ध में आश्‍चर्य जनक बात यह है कि यहॉंयहा इस उद्योग का कच्‍चामाल पैदा नहीं होता। केवल कुशल श्रम की उपलब्‍धता ही सबसे बड़ा अस्‍त्र है। जिसके बल पर भदोही अपनी छाप विश्‍व बाज़ार में बनाए है।
 
== भूगोल ==
भारत के भौगोलिक मानचित्र पर यह जिला मध्‍य गंगा घाटी में 25.09 अक्षांश उत्‍तरी से 25.32 उत्‍तरी अक्षांश तक तथा 82.45 देशान्‍तर पूर्वी तक फैला है। 1056 वर्ग कि0मी0 क्षेत्रफल वाले इस जिले की जनसंख्‍या 10,77630 है। ज्ञानपुर, औराई, भदोही तीन तहसील मुख्‍यालयों के अधीन डीघ, अमोली, सुरियावां, ज्ञानपुर औराई और भदोही विकास खण्‍ड कर्यालय है। इलाहाबाद के हंडिया और प्रतापपुर विधानसभा के साथ मिलकर संसदीय क्षेत्र बनाने वाले इस जनपद मे 3 विधान सभा क्षेत्र ज्ञानपुर, औराई और भदोही हैं।
यह जिला गंगा के मैदानी इलाके में बसा हुआ है ।इसका दक्षिणी सीमा में गंगा नदी है ।जिले। जिले के उत्तर दिशा में जौनपुर पूर्व में वाराणसी और मिर्ज़ापुर ,दक्षिण और पश्चिम में इलाहबाद स्थित है ।
सबसे प्रसिद्ध गंगा घाट रामपुर का घाट है ।जिले का घनत्व 1055.99 km². है ।गंगा नदी से तीनो दिशाओ से घिरा [[कोनिया क्षेत्र]] जैसे प्राकृतिक क्षेत्र इस जिले में आते है । बाबा हरिहर नाथ मंदिर (ज्ञानपुर),[[सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी)]], [[बाबा गंगेश्वरनाथ धाम]] ([[इटहरा]]),इत्यादि यहाँ के प्रमुख मदिर है ।