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इसकी प्रमुख गतिविधियों में स्थान स्थान पर शाखाओं के माध्यम से नवयुवकों को एकत्र करना, उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से शक्तिशाली बनाना ताकि वे अंग्रेजों का डटकर मुकाबला कर सकें। उनकी गुप्त योजनाओं में बम बनाना, शस्त्र-प्रशिक्षण देना व दुष्ट अंग्रेज अधिकारियों वध करना आदि सम्मिलित थे। अनुशीलन समिति के सक्रिय सदस्य उन [[भारतीय]] अधिकारियों का वध करने में भी नहीं चूकते थे जिन्हें वे 'अंग्रेजों का पिट्ठू' व [[हिन्दुस्तान]] का 'गद्दार' समझते थे। इसके प्रतीक-चिन्ह की भाषा से ही स्पष्ठ होता है कि वे इस देश को '''एक''' (अविभाजित) रखना चाहते थे।
 
== स्थापना ==
[[चित्र:Satish Chandra Basu.jpg|right|thumb|200px|'''सतीश चन्द्र बसु''' जिन्होने २४ मार्च १९०२ को अनुशीलन समिति की संस्थापना की]]
बंगाल में बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में ही क्रांतिकारी संगठित होकर कार्य करना आरम्भ कर चुके थे। सन् १९०२ में [[कोलकाता]] में अनुशीलन समिति के अन्तर्गत तीन समितियाँ कार्य कर रहीं थीं। इस अनुशीलन समिति की स्थापना कोलकाता के बैरिस्टर [[प्रमथ मित्र]] ने की थी। इन तीन समितियों एं से पहली समिति प्रमथ मित्र की थी, दूसरी समिति का नेतृत्व [[सरला देवी]] नामक एक बंगाली महिला के हाथों में था तथा तीसरी के नेता था - [[अरविन्द घोष]] जो उस समय उग्र राष्ट्रवाद के सबसे बड़े समर्थक थे।
 
== युगान्तर के प्रमुख सदस्य ==
* [[यतीन्द्रनाथ मुखर्जी]] उपाख्य [[बाघा जतिन]] (1879–1915)
* [[रास बिहारी बोस]] (1885–1945)
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* [[उल्लासकर दत्त]]
 
== ढाका अनुशीलन समिति ==
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[युगान्तर]]
* [[योगेश चन्द्र चटर्जी]]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://itihaasam.blogspot.com/2009/01/blog-post_2938.html भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की कुछ युगान्तरकारी घटनायें]