"अफ़ीम युद्ध": अवतरणों में अंतर

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| conflict = अफ़ीम युद्ध
| partof =
| image = [[Fileचित्र:Second Opium War-guangzhou.jpg|300px]]
| caption = द्वितीय अफीम युद्ध के दौरान गुआंगजाउ (कैंटन)
| date = 1839–1842, 1856–1860
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| territory = [[हांगकांग]] द्वीप और दक्षिणी कोलून ब्रिटेन को दिये गए ।
| result = अंग्रेजों और पश्चिमी शक्तियों की जीत
| combatant1 = [[ब्रिटिश साम्राज्य]]<br /> [[flagicon|फ्रांस ]] (1856–1860) <br />
[[अमेरिका]] (1856 and 1859) <br /> [[रूस]] (1856–1859) <br />
| combatant2 = <!-- no official flag is known to have been adapted before 1872 -->[[चिंग साम्राज्य]]
| notes =
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== युद्ध ==
चीनी सम्राट डाओगांग ने विद्रोहों के दमन के लिए जाने जाने वाले [[लिन त्सेशु]] को 1838 में कैंटन के मामलों का प्रभारी बनाया । कैंटन (आज का गुआंगजाउ) दक्षिण-पूर्वी चीन का पत्तन था जहाँ से मकाउ और हांगकांग निकट थे - और विदेशियों को केवल यहीं से व्यापार की इजाजत थी । लिन ने अंग्रेजों की स्थानीय लोगों को रिश्वत देकर अफ़ीम अंदर भेजने की नीति का विरोध किया । इससे अंग्रेज़ नाराज हुए । लेकिन लिन रुका नहीं - उसने अंग्रेज़ कप्तान [[चार्ल्स एलियट]] को व्यापार बंद करने की धमकी दी । इसके बाद एलियट ने समझौते के मुताबिक अफीम का व्यापार रोका - और 2000 टन अफ़ीम समुद्र में बहाने के लिए राजी हुआ । अफीम के बक्से लिन ने लिए और समुद्र में बहा दिया । इसके बाद जब ब्रिटिश जहाज़ नेमेसिस आया तो चीनियों की सैनिक धमकियाँ बेकार हो गईं क्योंकि अब अंग्रेजों के पास बेहतर हथियार और जहाज़ थे । अंग्रजों ने लड़ाई शुरु कर दी । हज़ारों चीनी मर गए ।
 
चीनी सम्राट ने लिन को पद से वापस बुला लिया । इसके बाद बात को आगे न बढ़ता देख कर अंग्रेजों ने भी चार्ल्स एलियट को बुला लिया और उसकी जगह [[हेनरी पॉटिंगर]] को नियुक्त किया । पॉटिंगर ने युद्ध की दिशा बदल दी ।
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केंटॉन (गुआंगजाउ) पर आक्रमण 1841 में हुआ । इसके बाद यांग्त्सी नदी से लगे शांघाई और नानजिंग पर आक्रमण हुए । 20 हजा़र चीनी सैनिक मरे लेकिन ब्रिटिश क्षति सैकड़ों में थी ।
 
=== नानजिन्ग की संधि ===
1842 के शरद काल में नए चिंग आयुक्तों के प्रतिनिधि और अंग्रेजों के बीच संधि हुई । शर्तों के मुताबिक ब्रिटिश पाँच पत्तन पर व्यापार करने को स्वीकृत किए गए ।
 
== द्वितीय युद्ध ==
नानजिंग की संधि के बाद कैंटॉन में ब्रिटिश व्यापार को अनुमति तोमिल गई लेकिन 1841-42 के ब्रिटिश आक्रमण के बाद स्थानीय जनता में अंग्रेजों के खिलाफ रोष फैल गया । शहर में घूम रहे ब्रिटिश और भारतीय (सिपाय) सैनिकों के साथ बुरा बर्ताव किया गया । इसके बाद अंग्रेज़ी सामाचार पत्रों, ब्रिटिश संसद तथा अन्य यूरोपीय शक्तियों (फ्रेंच, अमेरिकी तथा रूसी) के प्रोत्साहन के बाद ब्रिटिश सेना ने दुबारा आक्रमण 1856 में शुरु किया । इसमें बीजिंग को निशाना बनाया गया और चीनी सम्राट अपने भाई को उत्तरदयात्व सौंप कर उत्तर की दिशा में भाग निकला ।
 
== प्रभाव ==
[[आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध | अफ़गान युद्धों]] में हार और भागने के बाद एक नैतिक बल मिला । साथ ही ब्रिटिश और पश्चिम की नज़रों में ''चीन को व्यापार के लिए खोल'' दिया गया । इस युद्ध के नायकों, चिंग सेनापति लिन ज़िसु को आज भी चीन में एक महान देशभक्त के रुप में याद किया जाता है और पश्चिम के विरोध में एक उदाहरण के रुप में प्रस्तुत किया जाता है ।
 
== इन्हें भी देखें ==