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[[संकर एकीकृत परिपथ]] भी लघु आकार के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये ''मोनोलिथिक आई सी'' से भिन्न हैं।
 
== परिचय ==
सूक्ष्मचिप, एकीपरि की एक चिप होती है, जो कि [[सिलिकॉन]] से बनी होती है। यह [[प्रोगाम लॉजिक]] और [[कंप्यूटर मेमोरी]] के लिए बनाई जाती है। वर्तमान में सूक्ष्मचिप [[कंप्यूटर]], [[मोबाइल]], पीडीए और माइक्रोवेव ओवन सहित कई [[इलेक्ट्रॉनिक]] उपकरणों का आवश्यक अंग बन चुकी हैं। <ref>[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-87002.html सूक्ष्मचिप]।हिन्दुस्तान लाइव।२१ दिसंबर, २००९</ref> सूक्ष्मचिप अपने ५० वर्षो की यात्रा पूर्ण कर चुकी है। १९५८ में इसका अविष्कार रॉबर्ट नॉयस और जैक किल्बे ने किया था। ये दोनों अलग-अलग कंपनियों में काम करते थे और दोनों ही कंपनियां इस शोध को अपने दृष्टिकोण से कर रही थी। इस शोध के उपरांत बाद दोनों ही कंपनियों ने इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया। बाद में दोनों कंपनियों को सम्मिलित रूप से इसका लाइसेंस दिया गया और इसका सम्मिलत पेटेंट दिया गया। पहली बार सूक्ष्मचिप [[१९६१]] में लोगों को उपलब्ध हुई। जिक किल्बे ने ही बाद में पोर्टेबल कैलकुलेटर का आविष्कार किया। तब से लेकर अब तक सूक्ष्मचिप में कई बदलाव आ चुके हैं। पहली सूक्ष्मचिप में जहां एक ट्रांजिस्टर, एक कैपेसिटर और तीन रजिस्टर थे, वहीं आज की सूक्ष्मचिप में एक छोटे सी जगह में लगभग १२५ मिलियन ट्रांजिस्टर समाए होते हैं।
 
सूक्ष्मचिप के कई और लाभ भी हैं। वर्तमान में सूक्ष्मचिप का प्रयोग जैविक प्रणालियों (बॉयोलॉजिकल सिस्टम) में होता है। इसका प्रयोग जीवन बचाने में भी होने लगा है। हृदय रोगियों के लिए पेसमेकर में भी सूक्ष्मचिप रहती है। पेसमेकर हृदय गति नियत्रिंत रखता है। सूक्ष्मचिप का प्रयोग घड़ियों, मोबाइल फोन से लेकर स्पेस शटल तक में हो रहा है।
 
== इतिहास ==
सन् १९४७ में [[ट्रांजिस्टर]] के आविष्कार के बाद एकीपरि (एकीकृत परिपथ) के के विकास का रास्ता साफ हो गया था। सन् १९५८-५९ में दो व्यक्तियों ने लगभग एक ही तरह की आई सी लगभग एक ही समय विकसित की। वे अलग-अलग काम कर रहे थे और एक-दूसरे के काम से अनभिज्ञ थे। ये व्यक्ति थे - टेक्सास इंस्ट्रूमेन्ट्स में कार्यरत [[जैक किल्बी]] (Jack Kilby), और फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर कारपोरेशन के सह-संस्थापक रॉबर्ट नॉयस (Robert Noyce) । दोनो ही विद्युत इंजीनियर थे और दोनो ही इस बात का हल निकालने में जुटे हे थे कि अनेकानेक संख्याओं वाले परिपथों को कैसे विश्वसनीय रूप से निर्मित किया जाय और उनका आकार कैसे छोटा किया जाय। आज हम कह सकते हैं कि यदि ट्रांसिस्टर का आविष्कार न होता तो एकीपरि न होता; और एकीपरि न होता तो [[कम्प्यूटर]] और अन्य एलेक्ट्रॉनिक उपकरण न होते जिनका परिपथ करोड़ों-अरबों अवयवों से बना होता है।
 
== लाभ ==
एकीपरि (एकीकृत परिपथ) के विकास से निम्नलिखित लाभ होते हैं-
 
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* बड़े परिपथ इस प्रकार योजना किये जा सकते हैं कि वे कम से कम शक्ति (पॉवर) से काम कर सकें।
 
== वर्गीकरण ==
; आईसी द्वारा प्रसंस्कृत संकेत के आधार पर-
एकीकृत परिपथों को उनके अन्दर के परिपथ की प्रकृति के आधार पर तीन भागों में बांटा जाता है-