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सुविचारित ढंग से एक साथ रहने वाले लोगों के समुदाय को '''कम्यून''' (Commune) कहते हैं। कम्यून के सभी सदस्यों के लक्ष्य, सम्पत्ति, स्रोत आदि एक होते हैं अनुर कुछ मामलों में तो काम और आय भी एक ही होती है।
 
== इतिहास और परम्परा ==
कम्यून की परंपरा अति प्राचीन है। इसका इतिहास आदिम और ईसाई कम्यूनिज़्म से भी पुराना है। इजरायली [[किबूत|किबूतों]] में संपत्ति पर सामूहिक स्वामित्व रहता रहा है। आज भी [[इजरायल]] में राष्ट्रीय संस्था के रूप में किबूतों का नए सिरे से निर्माण हुआ है। इस व्यवस्था में प्रत्येक सदस्य अपनी अर्जित संपत्ति किबूत को सौंप देता है, और बदले में केवल जीवनयापन के लिए आवश्यक सहायता उसके प्राप्त करता है।
 
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[[फ्रांस]] के कम्यून आंदोलन का अभिप्राय बड़े नगरों को देश में स्थापित केंद्रीय सत्ता के नियंत्रण से मुक्ति दिलाना था। इस मुक्तिप्राप्ति के ढंगों के विषय में वहाँ दो मत थे। एक यह कि देश को विभिन्न स्वायत्तशासित कम्यूनों में बाँट दिया जाए और उन सबके सामान्य हितों का प्रतिनिधान करनेवाली किसी संघीय परिषद् में प्रत्येक कम्यून अपने-अपने सदस्य भेज सके। कम्यून विषयक यह सिद्धांत साम्यवादी सिद्धांत है, और इसी सिद्धांत को पेरिस के कम्यून ने अपनाया था। देसरे, कम्यून दूसरे देश में अपने विचारों की निरंकुशता स्थापित करने और देश पर आधिपत्य जमाने के लिए उन नगरों को संगठित करे जो उसके आदर्शों के प्रति संवेदनशील हों। यह विचार पेरिस के क्रांतिकारी दल के एक वर्ग में प्रचलित था। क्योंकि तत्कालीन परिस्थितियाँ इस विचार को बल प्रदान करने में सहायक थीं। इस विचार के समर्थकों ने बाहरी शत्रु से आतंकित देश के लिए तत्कालीन सरकार की निरर्थकता इस आधार सिद्ध करने की चेष्टा की कि वह अनुशासन और शासनप्रबंध के पुराने तथा असामयिक ढंगों पर चलनेवाली सरकार थी जब कि समयानुसार आवश्यकता थी अपने को स्वयं संगठित कर सकने के लिए जनशक्ति की स्वतंत्रता की, सार्वजनिक सुरक्षा के लिए जनमत द्वारा निर्वाचित एक समिति की, प्रांत के लिए आयुक्तों की, तथा देश द्रोहियों के लिए मृत्युदंड की उचित व्यवस्था की।
 
=== पेरिस कम्यून ===
देखिये -- '''[[पेरिस कम्यून]]
 
साम्यवादी [[चीन]] ने स्वतंत्रता के पश्चात कम्यून व्यवस्था अपनाई है जिसे वहाँ के कृषकों ने समाजवादी चेतना के आधार पर आंदोलन के रूप में प्रारंभ किया है। चीन में कम्यून समाजवादी निर्माण के लिए साम्यवादी दल द्वारा निर्धारित नीति के पोषक तथा समाजवाद से साम्यवाद की ओर क्रमिक विकास के लिए आवश्यक संगठन माने जाते हैं। 7 अगस्त, सन्‌ 1958 ई. को जनता के इन कम्यूनों के लिए अस्थायी संविधान का जो प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया उसके अनुसार जनता का कम्यून समाज की मूलभूत इकाई है जिसमें श्रमिक साम्यवादी दल तथा जनता की अधीनता स्वीकार करते हुए स्वेच्छा से सम्मिलित होते हैं। इसका कार्य समस्त औद्योगिक तथा कृषि संबंधी उत्पादन, व्यवसाय तथा सांस्कृतिक, शैक्षिक एवं राजनीतिक कार्यों का प्रबंध करना है। इसका उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था का संगठित करना और उसे साम्यवादी व्यवस्था में परिणत करने के लिए आवश्यक परिस्थितियों का सृजन करना है। इसकी पूर्ण सदस्यता 16 वर्ष से अधिक के सभी व्यक्तियों को प्राप्त है और उन्हें कम्यून के विभिन्न पदों पर निर्वाचित होने, मतदान करने तथा उसके प्रबंध का निरीक्षण करने का अधिकार है। कृषकों के सहकारी संगठन जब भी कम्यून में मिलें तब उन्हें अपनी समस्त सामूहिक संपत्ति कम्यून के अधीन करनी होगी और उनके ऋण कम्यून द्वारा चुकाए जाएँगे। उसी प्रकार कम्यून के सदस्य बनने पर व्यक्तियों को अपनी निजी संपत्ति तथा उत्पादन के समस्त साधनों को कम्यून को सौंपना होगा। कम्यून राजकीय व्यवसाय के प्रमुख अंग, वितरण तथा क्रय-विक्रय-विभाग की तथा जनता के बैंक की एजेंसी के रूप में ऋण विभाग की स्थापना करेगा। उसकी अपनी नागरिक सेना होगी। कम्यून का सर्वोच्च प्रशासकीय संगठन उसकी कांग्रेस होगी जो उसके सभी महत्वूपर्ण विषयों पर विचार करेगी तथा निर्णय देगी और जिसमें जनता के सभी अंगों के प्रतिनिधि होंगे। यह कांग्रेस एक प्रबंधक समिति का निर्वाचन करेगी जिसके सदस्यों में कम्यून के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी होंगे। इस समिति के अधीन, कृषि, जल, वन, पशुपालन, उद्योग तथा यातायात, वित्त, खाद्य, वाणिज्य सुरक्षा, नियोजन एवं वैज्ञानि अनुसंधान, सांस्कृतिक तथा शैक्षिक कार्य संबंधी विभाग होंगे। विभिन्न स्तरों पर प्रबंधकीय संगठनों द्वारा कम्यून एक केंद्रीय नेतृत्व की, चिकित्सालय तथा सार्वजनिक सांस्कृतिक एवं खेलकूद के केंद्रों की, वृद्धों और अपाहिजों के लिए उचित प्रबंध की, स्त्रियों की प्रगति के लिए उनके योग्य घरेलू उद्योग धंधों की, श्रमिकों के दैनिक वेतन तथा खाद्यान्न की व्यवस्था करेगा। पूरे कम्यून में प्रशासन की जनतंत्रात्मक व्यवस्था लागू होगी।
 
== संदर्भ ग्रंथ ==
* एल्टन, जी. : द रिवोल्यूशनरी आइडिया इन फ्रांस, 1789-1871, लंदन, 1923;
* डिकिन्सन, जी.एल. : रिवोल्यूशन ऐंड रिऐक्शन इन माडर्न फ्ऱांस, लंदन, 1892;
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* मैसन, ई.एस. : द पेरिस कम्यून, न्यूयार्क, 1930.
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://academic.luther.edu/~goodinjo/CSAbibliography.htm Communal Studies Bibliography]
* [http://thefec.org Federation of Egalitarian Communities]