"कर्नाटक संगीत": अवतरणों में अंतर

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कर्नाटक शास्त्रीय शैली में रागों का गायन अधिक तेज और हिंदुस्तानी शैली की तुलना में कम समय का होता है। [[त्यागराज]], [[मुथुस्वामी दीक्षितार]] और [[श्यामा शास्त्री]] को कर्नाटक संगीत शैली की 'त्रिमूर्ति' कहा जाता है, जबकि [[पुरंदर दास]] को अक्सर कर्नाटक शैली का पिता कहा जाता है। कर्नाटक शैली के विषयों में पूजा-अर्चना, मंदिरों का वर्णन, दार्शनिक चिंतन, नायक-नायिका वर्णन और देशभक्ति शामिल हैं।
 
== कर्नाटक गायन शैली के प्रमुख रूप ==
'''वर्णम''': इसके तीन मुख्य भाग पल्लवी, अनुपल्लवी तथा मुक्तयीश्वर होते हैं। वास्तव में इसकी तुलना हिंदुस्तानी शैली के ठुमरी के साथ की जा सकती है।