"काँगड़ा": अवतरणों में अंतर

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प्राचीन काल में त्रिगर्त नाम से विख्यात कांगड़ा [[हिमाचल]] की सबसे खूबसूरत घाटियों में एक है। धौलाधर पर्वत श्रंखला से आच्छादित यह घाटी इतिहास और संस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखती है। एक जमाने में यह शहर चंद्र वंश की राजधानी थी। कांगड़ा का उल्लेख 3500 साल पहले वैदिक युग में मिलता है। पुराण, महाभारत और राजतरंगिणी में इस स्थान का जिक्र किया गया है।
 
== मुख्य आकर्षण ==
=== बृजेश्वरी देवी मंदिर- ===
यह मंदिर इस क्षेत्र का सबसे लोकप्रिय मंदिर है। कहा जाता है पहले यह मंदिर बहुत समृद्ध था। इस मंदिर को बहुत बार विदेशी लुटेरों द्वारा लूटा गया। महमूद गजनवी ने 1009 ई. में इस शहर को लूटा और मंदिर को नष्ट कर दिया था। यह मंदिर 1905 ई. में जोरदार भूकंप से पूरी तरह नष्ट हो गया था। 1920 में इसे दोबारा बनवाया गया। अजय बन्‍याल ने इस के लिए काफी अहम कार्य किया है जोकि आज भी किताबों मं ढढने पर भी नहीं मिल पाता है अधिक जानकारी के लिए के अखिल भारतीय पंडित कर्मचारी संगठन के राष्‍टीय संगठन अध्‍यक्ष तारा चंद शर्मा से रिपन हास्पिटल में सपर्क कर सकते हैत्र
 
=== कांगड़ा किला- ===
कांगड़ा के शासकों की निशानी यह किला भूमा चंद ने बनवाया था। बनगंगा नदी के किनार बना यह किला 350 फीट ऊंचा है। इस किले पर अनेक हमले हुए हैं। सबसे पहले कश्मीर के राजा श्रेष्ठ ने 470 ई. में इस पर हमला किया। 1886 में यह किला अंग्रेजों के अधीन हो गया। किले के सामने लक्ष्मीनारायण और आदिनाथ के मंदिर बने हुए हैं। किले के भीतर दो तालाब हैं। एक तालाब को कपूर सागर के नाम से जाना जाता है।
 
=== महराणा प्रताप सागर झील- ===
यह झील व्यास नदी से बनी है। 1960 ई. में व्यास नदी पर एक बांध बनवाया गया और इसे महाराणा प्रताप सागर झील कहा गया। इस झील का पानी 180 से 400 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला है। 1983 ई. में इस झील को वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित कर दिया गया। यहां लगभग 220 पक्षियों की प्रजातियां प्रवास करती हैं। इस बांध को पोंग बांध भी कहा जाता है।
 
=== कांगड़ा आर्ट गैलरी- ===
यह आर्ट गैलरी कांगड़ा घाटी की कला, शिल्प और समृद्ध अतीत का भंडार है। यहां कांगड़ा की लोकप्रिय लघु पेंटिग्स, मूर्तियों का संग्रह और मिट्टी के बर्तन देखे जा सकते हैं।
 
=== मशरूर मंदिर- ===
कांगड़ा के दक्षिण से 15 किमी. दूर स्थित मशरूर नगर समुद्र तल से 800 मीटर की ऊंचाई पर है। इस नगर में 15 शिखर मंदिर है। चट्टानों को काटकर बनाए गए इन मंदिरों का संबंध दसवीं शताब्दी से है। यह मंदिर इंडो-आर्यन शैली में बना हुआ हैं। इन मंदिरों की तुलना अजंता और एलौरा के मंदिरों से की जाती है।
 
=== करायरी झील- ===
यह झील घने जंगलों से घिरी है। इसकी पृष्ठभूमि में धौलाधर पर्वत श्रृंखलाएं इसे एक बेहद खूबसूरत स्थान बनाते हैं। करायरी झील इस क्षेत्र में ट्रैकिंग का प्रकाश स्तम्भ है।
 
=== सुजानपुर किला- ===
कांगड़ा राज्य की सीमाओं के नजदीक ही सुजानपुर किला है। इस किले को कांगड़ा के राजा अभय चंद ने 1758 ई. में बनवाया था।
 
=== चिन्मय तपोवन- ===
कांगड़ा से 10 किमी. दूर चिन्मय तपोवन एक पहाड़ी पर स्थित है। इस आश्रम परिसर की स्थापना हाल ही में गीता के व्याख्याता स्वामी चिन्मयानंद ने की थी। इस खूबसूरत स्थान पर हनुमान की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। साथ की एक विशाल शिवलिंग भी यहां दूर से देखा जा सकता है।
 
== आवागमन ==
;वायु मार्ग-
कांगडा से 7 किमी. की दूरी पर एयरपोर्ट है जो सीधी दिल्ली से जुड़ा हुआ है।
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"Mukerian railway station" specified in this page is totally wrong.
 
== बाहरी कड़ियां ==
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