"कार्बन-१४": अवतरणों में अंतर

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'''[[प्रांगार]]-१४''', '''<sup>१४</sup>C''', या '''रेडियोप्रांगार''', [[प्रांगार]] का एक [[रेडियोधर्मी]] [[समस्थानिक]] है। प्रांगार १४ की खोज [[२७ फरवरी]], [[१९४०]] में मार्टिन कैमेन और सैम रुबेन ने [[कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय|कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय विकिरण प्रयोगशाला]], बर्कले में की थी।
जब प्रांगार का अंश पृथ्वी में दब जाता है तब प्रांगार-१४ ('''<sup>१४</sup>C''') का रेडियोधर्मिता के कारण ह्रास होता रहता है। पर प्रांगार के दूसरे समस्थाकनिकों का वायुमंडल से संपर्क विच्छे१द और प्रांगार-द्वि-ओषिद न बनने के कारण उनके आपस के अनुपात में अंतर हो जाता है। पृथ्वी में दबे प्रांगार में उसके समस्थानिकों का अनुपात जानकर उसके दबने की आयु का पता लगभग शताब्दी में कर सकते हैं। <ref>[http://v-k-s-c.blogspot.com/2008/02/ays-of-civilisation-and-legends-sabhyta.html सभ्यरता की प्रथम किरणें एवं दंतकथाऍं- कालचक्र: सभ्यता की कहानी] । [[१९ फरवरी]], [[२००८]]। मेरी कलम से</ref> हालांकि इसके अस्तित्त्व का संकेत १९३४ में फ़्रैन्ज़ क्यूरी ने दिया था।<ref>{{cite journal|last=कैमेन|first=मार्टिन डी|year=१९६३|month=|title=Early History of Carbon-14: Discovery of this supremely important tracer was expected in the physical sense but not in the chemical sense|journal=विज्ञान|volume=140| issue=3567|pages=584–590|doi=10.1126/science.140.3567.584|url=|accessdate=}}</ref> इसके आण्विक नाभि में ६ [[प्रोटोन]] और ८ [[न्यूट्रॉन]] होते हैं।