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'''कालपी''' [[उत्तर प्रदेश]] के [[जालौन जिला|जालौन जिले]] में स्थित एक नगर है। यह [[यमुना नदी]] के तट पर बसा हुआ है। माना जाता है कि कालपी, प्राचीन काल में कालप्रिया नगरी के नाम से विख्यात थी, समय के साथ इसका नाम संक्षिप्त होकर कालपी हो गाया। कहा जाता है कि इसे चौथी शती में राजा वसुदेव ने बसाया था। यह नगर [[यमुना नदी]] के किनारे [[कानपुर]]-[[सागर]] [[राजमार्ग]] पर स्थित है।
 
== परिचय ==
किंवदंतियों के आधार पर कालपी नगर चौथी शताब्दी में वसुदेव द्वारा बसाया गया था। डा. प्रताप सिंह कनौजिया के लेख के अनुसार 'कान्यकुब्ज माहात्म्य' में वर्णित कृष्णपुत्र शांब दुर्वासा ऋषि के शापवश कोढ़ी हो गए थे और सूर्यकुंड (मकरंजनगर, कन्नौज) में स्नान करने पर कोढ़मुक्त हुए थे। अत: शांब द्वारा यमुना केतट पर कालप्रियनाथ (सूर्यदेव) का मंदिर बनवाना तथा बाद में उस स्थान का कालपी नाम से प्रसिद्ध होना सच प्रतीत होता है। कन्नौज के मौखरी नरेश यशोवर्मन् तथा उनके दरबारी कवि भवभूति ने भी कालप्रियनाथ का वर्णन किया है। 'कान्यकुब्ज महात्म्य' के अनुसार कन्नौज की दक्षिणी सीमा कालपी तक थी। अत: उपर्युक्त तथ्यों से यह निर्विवाद सिद्ध हाता है कि कान्यकुब्ज प्रदेश के अंतर्गत यमुना तट पर निर्मित कालप्रियनाथ के नाम पर ही कालपी का नामकरण हुआ।
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कालपी" से प्राप्त