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[[किशनगंज]] [[बिहार]] का एक शहर है । यह [[किशनगंज जिला]] का मुख्यालय है। बिहार की राजधानी पटना से 425 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित यह जगह पहले कृष्णाकुंज के नाम से जाना जाता था। [[बंगाल]], [[नेपाल]] और [[बंगलादेश]] की सीमा से सटा किशनगंज पहले पुर्णिया जिले का अनुमंडल था। बिहार सरकार ने 14 जनवरी 1990 को इसे पूर्ण रुप से जिला घोषित कर दिया। पर्यटन की दृष्टि से यहां पर पर्यटक खगरा मेला, नेहरु शांति पार्क, चुर्ली किला जैसे जगह घूम सकते है। यहां से पानीघाट, गंगटोक, कलिंगपोंग, दाजर्लिंग जैसे पर्यटन स्थल भी कुछ ही दूरी पर स्थित है।
== प्रमुख आकर्षण ==
=== खगरा मेला ===
इस मेला की शुरुआत स्थानीय निवासी सैयद अट्टा हुसैन ने 1950 में की थी। हरेक साल जनवरी-फरवरी में लगने वाले इस मेले की शुरुआत एक कृषि प्रदर्शनी के तौर पर किया था। लेकिन आगें चल कर यह प्रदर्शनी खगरा मेला मे तब्दील हो गया। लगातार 58 वर्षो से लग रहे इस मेले को किसी समय में भारत का सबसे बड़ा दूसरा मेला माना जाता था और पूरे देश से व्यापारीगण इस मेले मे भाग लेने आते थे। दैनिक उपभोग की वस्तुओं के लिए प्रसिद्व इस मेले का उदघाटन हरेक साल यहां के जिलाघिकारी करते है। मेले के समय हजारों की संख्या में लोग खरीददारी करने यहां आते है।
=== नेहरु शांति पार्क ===
किशनगंज रेलवे स्टेशन से मात्र 1 किमी. की दूरी पर स्थित इस पार्क में फूलों के सैकड़ों किस्म के पौधे लगे हुए है। जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते है। इस पार्क मे बच्चों के मनोरंजन का खास ध्यान रखा गया है। यहां पर भगवान बुद्व की एक प्रतिमा लगी हुई है जो इस पार्क की आर्कषण का केन्द्र बिन्दू है। आधा किमी. की दूरी पर कारगिल पार्क भी स्थित है जोकि कारगिल में शहीद हूए सैनिकों की याद में बनाया गया है।
=== शहीद असफउल्लाह खान स्टेडियम ===
खगरा में स्थित यह स्टेडियम रेलवे स्टेशन से 2 किमी. की दूरी पर है। यहां पर विभिन्न प्रकार के खेल जैसे क्रिकेट, फुटबाल, वालीबाल, कबड्डी का राज्य स्तरीय टूर्नामेन्ट का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही अनेक सांस्कृतिक गतिविधि के अलावा यहां पर हरेक वर्ष स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस के दिन झंडा फहराए जाते है। इसके नजदीक ही एक इन्डोर स्टेडियम का निर्माण किया गया है जहां पर स्पोट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया का कार्यालय है।
=== चुर्ली स्टेट ===
अंग्रेजी हुकूमत के समय किशनगंज की शान रहे इस रियासत का नाम लेने वाला भी अब कोई नहीं रहा। कुंदन लाल सिंह इस रियासत के जमींदार हुआ करते थे। उनकी जमींदारी बंगाल से लेकर नेपाल तक फैली हुई थी। उनके हवेली को देखने दूर-दूर से लोग आया करते थे। लेकिन आज यह हवेली खण्डहर में तब्दील हो चुकी है। आज भी पर्यटक इस खण्डहर को देखने यहां आते है।
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=== हरगौरी मंदिर ===
ठाकुरगंज प्रखण्ड में स्थित इस मंदिर को 100 साल पुराना माना जाता है। इसका निर्माण टैगोर रियासत के जमींदार द्वारा किया गया था। इस मंदिर के निर्माण के संबंध में एक कथा प्रचलित है कि यहां के जमींदार को एक ही पत्थर पर शिव और पार्वती की निर्मित मूर्ति मिली थी। वह उसे बनारस ले गया लेकिन रात को ही जमींदार के सपने में भगवान शिव ने कहा कि इस प्रतिमा को वही स्थापित किया जाए जहां पर वह मिली है। वह दूसरे दिन ही वापस आ गया और बड़ी धूमधाम से इस मूर्ति की स्थापना की। शिवरात्रि के दिन इस मंदिर मे दूर-दूर से लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाने आते है।
=== कछुदाह झील ===
किशनगंज से 40 किमी. की दूरी पर स्थित इस प्राकृतिक झील पर सैकड़ों की संख्या में अप्रवासी पक्षी प्रवास करने आते है। नववर्ष के मौके पर स्थानीय पर्यटकों की यहां भारी भीड़ रहती है। इसकी सुन्दरता और स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार की पर्यटन विभाग ने योजनाबद्ध तरीके से इसका निर्माण कार्य आरंभ कर दिया है।
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आदि जगह भी घूम सकते है।
== आवागमन ==
;वायु मार्ग
यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बागडोगरा है जो यहां से 90 किमी की दूरी पर स्थित है।
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== संदर्भ ==
<references/>
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