"कर्नूल जिला": अवतरणों में अंतर
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''' कुर्नूल''' [[भारत|भारतीय]] [[राज्य]] [[आंध्र प्रदेश]] का एक [[जिला]] है । कुर्नूल [[तुंगभद्रा]] और [[हंद्री]] नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित आंध्र प्रदेश का एक प्रमुख जिला है। [[12वीं शताब्दी]] में [[ओड्डार]] जब [[आलमपुर]] का निर्माण करने के लिए पत्थरों काटते थे तो यहां आकर उनको फिनिशिंग देते थे। [[1953]] से [[1956]] तक कुर्नूल आंध्रप्रदेश राज्य की राजधानी भी रहा। इसके बाद ही [[हैदराबाद]] यहां की राजधानी बनी। आज भी यहां [[विजयनगर]] राजाओं के शाही महल के अवशेष देख्ो जा सकते हैं जो 14वीं से [[16वीं शताब्दी]] के बीच बने हैं। पारसी और अरबी शिलालेख भी यहां देखने को मिलते हैं जिससे यहां के महत्व का पता चलता है।
== मुख्य आकर्षण ==
=== [[आदोनी]] ===
यहां पर एक [[किला]] है जो एक समय में विजयनगर राजाओं का गढ़ था। इसके अवशेष आज भी ग्रेनाइट की पांच पहाडि़यों में देखे जा सकते हैं। इनमें से दो पहाडि़यां 800 फीट ऊंची हैं। आदोनी में स्थित [[जामा मस्जिद]] मुस्लिम वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है।
=== [[अहोबिलम]] ===
यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र है। यह [[हिंदू|हिंदुओं]] की आस्था का प्रतीक है विशेष रूप से [[वैष्णव संप्रदाय]] के लोगों के लिए यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। यहां का मंदिर दो भागों में बंटा है- निचला अहोबिलम और ऊपरी अहोबिलम। ऊपरी अहोबिलम पठार पर समुद्र तल से 2800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
=== [[माधवरम]] ===
माधवरन गांव कुर्नूल का एक अन्य प्रमुख पर्यटक स्थल है। यहां पर एक प्राचीन द्वार के अवशेष देखे जा सकते हैं। इसे देखकर [[मुंबई]] के [[गेटवे ऑफ इंडिया]] का आभास होता है।
=== [[संगमेश्वर]] ===
सप्त नंदी संगम के नाम से प्रसिद्ध संगमेश्वर कुर्नूल से 55 किमी. दूर है। यह
=== श्रीसैलम ===
{{main|श्रीशैलम}}
श्रीसैलम नल्लामलाई पहाडि़यों पर स्थित घना जंगल है। यह [[दक्षिण भारत]] के सबसे प्राचीन और पवित्र स्थलों में से एक है। सबसे प्रमुख मंदिर कृष्णा नदी के दक्षिणी तट पर ऋषभागिरी पहाड़ी पर है। अनेक [[पुराण|पुराणों]] में इसे [[श्री गिरी]], [[श्रीपर्वत]], रुद्र पर्वत और शेशाचलम के नाम से भी पुकारा गया है।
=== [[तिम्मापुरम]] ===
[[नल्लामलाई पहाड़ी]] के पूर्व में स्थित यह स्थान अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और [[महानंदीश्वर]] के मंदिर के लिए मशहूर है। इस मंदिर के आसपास अनेक मंदिर हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। फरवरी-मार्च में मंदिर में वार्षिक उत्सव मनाया जाता है।
इन स्थानों के अलावा भी कुछ और जगहें हैं जो दर्शनीय हैं जैसे [[अब्दुल वाहिब का मकबरा]], [[1618]] में बना [[गोपाल राजू का मकबरा]], [[पेटा अंजनेयस्वामी का मंदिर]], [[वेणुगोपालस्वामी मंदिर]] और [[बिड़ला मंदिर]] आदि।
== आवागमन ==
;वायु मार्ग:
नजदीकी हवाई अड्डा हैदराबाद यहां से 219 किमी. दूर है।
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