"केलाग-ब्रियाँ समझौता": अवतरणों में अंतर

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कालांतर में यह संधि केवल मौखिक घोषणा मात्र बन कर रह गई। इसपर हस्ताक्षर करनेवाले देशों ने शीघ्र इसका उल्लंघन किया। 1929 ई. में रूस ने चीन के विरुद्ध, 1931-32 में [[जापान]] ने [[मंचूरिया]] के विरुद्ध और 1931 में पेरू ने [[कोलंबिया]] के विरुद्ध बड़े पैमाने पर बल-प्रयोग किया, यद्यपि उन्होंने युद्ध की विधिवत घोषणा नहीं की। सन् 1935 में [[इटली]] ने [[अबीसीनिया]] के विरुद्ध, 1937 में [[जापान]] ने [[चीन]] के विरुद्ध, और 1939 में [[रूस]] ने [[फिनलैंड]] के विरुद्ध स्पष्ट रूप से युद्ध की घोषणा की। इस प्रकार, यद्यपि इस समझौते का व्यतिक्रमण शीघ्र ही होना आरंभ हो गया फिर भी इससे यह नहीं कहा जा सकता कि उसका विधिक महत्व घट गया। एक स्थायी समझौता होने के नाते तथा अंतरराष्ट्रीय समाज के विधिक ढाँचे में एक मूलभूत परिवर्तन उत्पन्न करने के कारण अंतरराष्ट्रीय विधि व्यवस्था में वह अपना महत्वपूर्ण स्थान तो रखता ही है।
 
== सन्दर्भ ==
* ओपेनहेम, एल. : इंटरनैशनल लॉ, ए ट्रीटाइज, दूसरा खंड, सातवाँ संस्करण, धारा (52 एफ. ई. 52 एल.);
* जस्टिस पाल-आर. बी. : इंटरनैशनल मिलिटरी ट्राइब्युनल फार द फार ईस्ट;