"कैथोलिक गिरजाघर": अवतरणों में अंतर

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गिरजाघर के सिद्धांतों को सार्वभौम सभाओं द्वारा परिभाषित किया गया है तथा गिरजाघर का कहना है कि पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन से वह विश्वास और नैतिकता पर अपनी शिक्षाओं को अचूकता से परिभाषित कर सकता है.<ref>{{cite web|last=Second Vatican Council|url=http://www.vatican.va/archive/hist_councils/ii_vatican_council/documents/vat-ii_const_19641121_lumen-gentium_en.html|work=Lumen Gentium|publisher=Vatican|accessdate=24 July 2010|title=Chapter 25, paragraph 25|quote=by the light of the Holy Spirit ... ... vigilantly warding off any errors that threaten their flock.}}</ref><ref group="note">"890 गिरजाघर द्वारा धर्म शिक्षा का लक्ष्य परमेश्वर द्वारा अपने लोगों के साथ यीशु में स्थापित प्रण की निश्चित प्रकृति से जुड़ा है. परमेश्वर के लोगों को भटकने और धर्म बदलने से रोकना तथा बिना चूक के सच्चे विश्वास का पालन करने की उद्देश्यपूर्ण संभावना की गारंटी देना इस धर्म शिक्षा का काम है. अतः गिरजाघर का पौरोहित्यिक कर्तव्य यह देखना है कि परमेश्वर के लोग मुक्तिदायक सत्य का पालन करें. इस सेवा को पूर्ण करने के लिए यीशू मसीह ने गिरजाघर के पुरोहितों को विश्वास और नैतिकता के मामले में अचूकता की दैवी शक्ति प्रदान की है. इस अचूकता का उपयोग कई प्रकार से होता है.</ref><ref>{{cite web|title=The teaching office|url=http://www.vatican.va/archive/ccc_css/archive/catechism/p123a9p4.htm|work=Catechism of the Catholic Church|publisher=vatican|accessdate=24 July 2010}}</ref> कैथोलिक पूजा यूकेरिस्ट पर केंद्रित है जिसमें गिरजाघर सिखाता है कि रोटी और शराब यीशू मसीह के शरीर और रक्त में अलौकिक रूप से रूपांतरित हैं.
 
गिरजाघर माता मरियम के प्रति विशेष श्रद्धा रखता है. मरियम के संबंध में कैथोलिक मान्यताओं में उनका मूल पाप के दाग बिना निर्मल गर्भधारण तथा उनके जीवन के अंत में स्वर्ग में शारीरिक धारणा शामिल हैं.
 
== नाम ==
{{See|Roman Catholic (term)}}
ग्रीक शब्द καθολικός (''कैथोलिकोस'' ) का मतलब है "सार्वभौमिक" या "सामान्य" और वाक्यांशों κατὰ ὅλου (''काटा होलू'' ) के संयुक्तीकरण καθόλου (''कैथोलू'' ) का अर्थ है “पूर्ण के अनुसार”.<ref>[http://dictionary.reference.com/browse/catholic www.][http://dictionary.reference.com/browse/catholic Dictionary.com] पर परिभाषा.</ref> इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग दूसरी शताब्दी के आरंभ में गिरजाघर के वर्णन के लिए किया गया था.<ref>मैककलोश, ''ईसाई धर्म'' , पृष्ठ 127.</ref> 1054 में पूर्व-पश्चिम मतभेद के बाद से, जो गिरजाघर रोम के धर्माध्यक्ष (रोम के धर्मप्रदेश और इसके धर्माध्यक्ष, पोप, प्राथमिक धर्माचार्य) के साथ जुड़े रहे, वे कैथोलिक कहलाए तथा पोप की सत्ता को न मानने वाले पूर्वी गिरजाघर "रूढ़िवादी" या "पूर्वी रूढ़िवादी" के रूप में जाने गए.<ref name="McBrien"/> 16वीं सदी में [[यूरोपीय धर्मसुधार|सुधार]] के बाद, “रोम के धर्माध्यक्ष के साथ जुड़े" गिरजाघरों ने विभाजन के बाद अलग हुए प्रोटेस्टेंट गिरजाघरों से स्वयं को अलग रखने के लिए "कैथोलिक" शब्द का इस्तेमाल किया.<ref name="McBrien">मैकब्रिएन, रिचर्ड (2008). ''गिरजाघर.'' हार्पर कोलिन्स. पृष्ठ xvii. [http://browseinside.harpercollins.com/index.aspx?isbn13=9780061245213 Browseinside.harpercollins.com] पर ऑनलाइन संस्करण उपलब्ध. उद्धरण: "[टी] '''कैथोलिक'' ' विशेषण का गिरजाघर' के एक आपरिवर्तक के रूप में प्रयोग पूर्व-पश्चिम मतभेद के बाद ही विभाजनकारी बन गया ... और प्रोटेस्टेंट सुधार ... पहले मामले में पश्चिम ने दावा किया कि कैथोलिक गिरजाघर का नाम उन्हें मिले, जबकि पूर्व ने अपने लिए पवित्र रूढ़िवादी गिरजाघर (''होली ऑर्थोडोक्स'' चर्च) नाम चुना. दूसरे मामले में जो रोम के धर्माध्यक्ष के साथ जुड़े थे, उन्होंने "कैथोलिक" विशेषण अपने पास बरकरार रखा, जबकि पोप के पद से नाता तोड़ने वाले गिजाघर ''प्रोटेस्टेंट'' कहलाए.”</ref> कैथोलिक गिरजाघर की प्रश्नोत्तरी के शीर्षक में “''कैथोलिक गिरजाघर'' ” का इस्तेमाल किया गया है.<ref>लाइब्रेरिया एडिट्रिस वैटिकाना (2003). [http://www.vatican.va/archive/ENG0015/_INDEX.HTM "कैथसिज्म ऑफ़ द कैथलिक गिरजाघर"] 01-05-2009 को पुनःप्राप्त.</ref> इन्हीं शब्दों का प्रयोग पॉल षष्ठम ने दूसरी वेटिकन परिषद के सोलह दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते समय किया था.<ref>वैटिकन. [http://www.vatican.va/archive/hist_councils/ii_vatican_council/ द्वितीय वैटिकन परिषद के दस्तावेज]. 04-05-2009 को पुनःप्राप्त. नोट: लैटिन संस्करण में पोप के हस्ताक्षर प्रकट हुए.</ref> धर्माध्यक्ष<ref>उदाहरण: द इनसाइक्लिकल्स [http://www.vatican.va/holy_father/pius_xi/encyclicals/documents/hf_p-xi_enc_31121929_divini-illius-magistri_en.html ''डिविनिस इलियास मैजिस्ट्री'' ] ऑफ़ पोप पियस XI एंड [http://www.vatican.va/holy_father/pius_xii/encyclicals/documents/hf_p-xii_enc_12081950_humani-generis_en.html ''हयुमैनी जेनेरिस'' ] ऑफ़ पोप पियस XII, जॉएंट डिक्लेरेशंस साइंड बाई [[जोज़फ़ रैत्सिंगर|पोप बेन्डिक्ट XVI]] विद [http://www.vatican.va/holy_father/benedict_xvi/speeches/2006/november/documents/hf_ben-xvi_spe_20061123_common-decl_en.html आर्क बिशॉप ऑफ़ कैंटरब्युरी रोवन विलियम्स ऑन 23 नवंबर 2006] और [http://www.ewtn.com/library/PAPALDOC/b16bart1decl.htm पैट्रिएर्क बार्थोलोमियु I ऑफ़ कॉन्सटैन्टिनोपल ऑन 30 नवंबर 2006].</ref> के तथा धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों<ref>उदाहरण: बाल्टीमोर जिरह, संयुक्त राज्य अमेरिका में कैथोलिक धर्माध्यक्षों द्वारा अधिकृत एक आधिकारिक जिरह कहती हैः “इसलिए हम रोमन कैथोलिक कहलाते हैं; यह दिखाने के लिए कि हम संत पाटर के असली उत्तराधिकारी के साथ एकजुट हैं” (प्रश्न 118), और प्रश्न 114 तथा 131 ([http://www.cin.org/users/james/ebooks/master/baltimore/bcreed09.htm बाल्टीमोर जिरह]) के अंतर्गत गिरजाघर को “रोमन कैथोलिक गिरजाघर” से संदर्भित करता है.</ref> दस्तावेजों में कभी-कभी गिरजाघर का नाम “रोमन कैथोलिक गिरजाघर” प्रयुक्त किया गया है. पोप पायस दशम की प्रश्नोत्तरी में गिरजाघर को "रोमन” कहा जाता है.<ref>{{cite web|url=http://www.cin.org/users/james/ebooks/master/pius/pcreed09.htm |title=The Catechism of St Pius X, The Ninth Article of the Creed, Question 20 |publisher=Cin.org |date= |accessdate=2010-10-28}}</ref>
 
== इतिहास ==
{{Main|History of the Catholic Church|History of the Papacy}}
{{See|History of Christianity}}
 
=== प्रारंभिक ईसाइयत ===
{{Main|History of early Christianity}}
{{See|Historiography of early Christianity}}
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रोमन साम्राज्य के अधिकांश धर्मों के विपरीत, इसाई धर्म चाहता था कि ऐसे अनुषंगी हों जो अन्य दूसरे ईश्वरों को त्याग दे. 'गैर-इसाई समारोहों में शामिल होने से इंकार करने का अर्थ था कि वे अधिकांश सार्वजनिक जीवन में शामिल होने में असमर्थ थे. इस अस्वीकृति ने गैर-इसाईयों में भय उत्पन्न किया कि इसाई लोग देवताओं को नाराज कर रहे हैं. इसाईयों के अपने कर्मकाण्ड़ों के गोपनीयता ने अफवाहों को उत्पन्न किया कि इसाई उच्छृंखल, कौटुम्बिक व्यभिचारी नरभक्षी थे.<ref name="macculloch155">मैककलोश, ''ईसाईधर्म'' , पीपी 155-159.</ref><ref name="chadwick21">चैड्विक, हेनरी, पृष्ठ 41.</ref> स्थानीय अधिकारियों ने कभी-कभी इसाईयों को उपद्रवियों के रूप में देखा और कहीं-कहीं उन्हें सताया.<ref name="macculoch164">मैककलोश, ''ईसाईधर्म'' , पृष्ठ 164.</ref> तीसरी सदी के अंत में इसाईयों को पीड़ित करने का ज्यादा केन्द्रीयकृत संगठित श्रृंखला प्रारंभ हुआ, जब सम्राटों ने अध्यादेश जारी किया कि साम्राज्य के सैनिक, राजनीतिक एवं आर्थिक संकटों का कारण नाराज देवताएं हैं. सभी निवासियों को आदेश दिया गया कि वे बलिदान दे या फिर सजा के लिए तैयार रहे.<ref name="chadwick41and42">चैड्विक, हेनरी, पीपी 41-42, 55.</ref> तुलनात्मक रूप से कम इसाईयों को सजा मिली,<ref name="mcmullen33">मैकमलेन, पृष्ठ 33.</ref>{{#tag:ref|[[Eusebius of Caesarea]], in a catalog of Palestinian martyrs for the [[Diocletianic Persecution|Great Persecution]], lists ninety-one victims for the years 303–11.<ref>Clarke, p. 657.</ref> His figures are not complete,<ref>Clarke, pp. 658–59.</ref> but have been used to estimate the total number of martyrs across the empire.<ref>Clarke, pp. 657–58, e.g. W.H.C. Frend, ''Martrdom and Persecution'' (Basil Blackwell, 1965; rept. Baker House, 1981), p. 536.</ref>|group=note}} अन्य बंदी बनाए गए, उत्पीड़ित किए गए, बलात श्रम लिया गया, बधिया किए गए या फिर वेश्यालयों में भेज दिए गए;<ref>क्लार्क, पृष्ठ 659.</ref> अन्य भाग गए या पहचाने नहीं जा सके,<ref name="macculloch174">मैककलोश, ''ईसाईधर्म'' , पृष्ठ 174.</ref> और कुछ ने अपने धर्मविश्वासों को छोड़ दिया. कैथोलिक गिरजाघर में इन धर्मगुरूओं की भूमिका को लेकर हुई असहमति ने डोनाटिस्टों तथा नोवाटिआनिस्ट विभाजनों को उत्पन्न किया.<ref name="duffy20">डफी, पृष्ठ 20.</ref>
 
=== अंतिम पुरावशेष ===
[[चित्र:Byzantinischer Mosaizist um 1000 002.jpg|thumb|हैगिया सोफिया, सी. में कॉन्सटैनटाइन द ग्रेट, मोज़ेक1000]]
कैथोलिक इसाईयत को मिलान के [[कान्सेटेटाइन]] आज्ञप्ति द्वारा 313 में कानूनी मान्यता दी गई,<ref name="Davidson341">डेविडसन, पृष्ठ 341.</ref> और इसे 380 में साम्राज्य का राजधर्म घोषित किया गया.<ref name="Wilken286">विल्केन, पृष्ठ 286.</ref> इसके वैधीकरण के बाद बहुत ज्यादा सैद्धांतिक मतभेदों के कारण सार्वभौम सभाएं बुलाई गई. इन सार्वभौम परिषदों से जो सैद्धांतिक सूत्र निकले वे इसाई धर्म के इतिहास में निर्णायक सिद्ध हुए.<ref name="ReferenceB">एम'क्लिंटॉक और स्ट्रौंग्स के साइक्लोपीडिया, खंड 7, पृष्ठ 45ए.</ref>
 
नाइसिया की प्रथम परिषद (325) से नाइसिया की द्वित्तीय परिषद (787) तक पहली सात सार्वभौम परिषदों ने एक परंपरागत सर्वसम्मति बनाने और एकीकृत ईसाई जगत की स्थापना करने की मांग की. 325 में एरियनवाद के उस विचार के प्रतिक्रिया में निकाईया में प्रथम सभा बुलाइ गई, जिसमें कहा गया था कि ईसा का अस्तित्व अनंतकाल तक नहीं था बल्कि ईश्वर द्वारा निर्मित थे और इसलिए पिता ईश्वर से कमतर हैं.<ref name="ReferenceB"/>
 
इसाई धर्म के सिद्धान्तों को संक्षिप्त रूप से अभिव्यक्त करने के लिए, सभा ने एक धर्मसार जारी किया जिसे अब निकेने धर्मसार के रूप में जाना जाता है.<ref name="Herring60">हेरिंग, पृष्ठ 60.</ref> इसके अतिरिक्त, इसने गिरजाघर के क्षेत्र को भौगोलिक एवं प्रशासकीय क्षेत्रों में चित्रित किया जिसे धर्मप्रदेश कहा गया.<ref name="Hitchcock 283">विल्केन, पृष्ठ 283.</ref> 382 में रोम की सभा ने प्रथम आधिकारिक बाईबिल-संबंधी अधिनियम जारी किया जब इसने ''[[पुराना नियम|ओल्ड]]'' एवं ''न्यू टेस्टामेण्ट'' की मान्य किताबों को सूचीबद्ध किया.<ref name="StoChris61">कॉलिन्स, पीपी 61-62.</ref>
 
उसी शताब्दी में, पोप डमासस प्रथम ने उत्कृष्ट क्लासिकल लैटिन में बाईबिल के नए अनुवाद का कार्य सौंपा. उन्होंने अपने सचिव सन्त जेरोम को चुना, जिन्होंने प्रचलित लातीनी बाईबिल समर्पित किया, गिरजाघर अब “लातीन में सोचने एवं पूजा के लिए प्रतिबद्ध” था.<ref>डी. मैककलोश बीबीसी (BBC) टीवी ''ईसाई धर्म का इतिहास'' , प्रकरण द्वितीय.</ref> लैटिन ने गिरजाघर के रोमन अनुष्ठान में पूजन पद्धति की भाषा के रूप में अपनी भूमिका जारी रखी और आज के दिन भी गिरजाघर की आधिकारिक भाषा के रूप में प्रयुक्त है. 431 में इफेसस की सभा<ref name="SandSp35">डफी, पृष्ठ 35.</ref> और 451 में कैलसीडन की सभा ने ईसा मसीह की दिव्यता एवं मानवीय स्वभावों में संबंधों को परिभाषित किया, जिसके कारण नेस्टोरियनों एवं मोनोफिसाइटों के बीच विभाजन हुआ.<ref name="McManners371">वेयर, पृष्ठ 142.</ref>
 
कान्सटेंटाइन शाही राजधानी को कान्सटेंटिनोपल ले गया, एवं कैल्सीडन की सभा (ईसवीं 451) ने कान्सटेंटिनोपल के धर्माध्यक्ष को “रोम के धर्माध्यक्ष के बाद प्रमुखता एवं शक्ति में द्वितीय” स्थिति तक उठाया था.<ref name="Noble214">नोबल, पृष्ठ 214.</ref> 350 ई. से लेकर 500 ई. के बीच रोम के धर्माध्यक्ष या पोप के अधिकार में लगातार वृद्धि हुई.<ref name="ReferenceA">"रोम (पूर्वकालीन ईसाई)." क्रॉस, एफ. एल., एड. ईसाई गिरजाघर के ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी. न्यूयॉर्क: ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. 2005</ref>
 
=== मध्य-युग ===
[[चित्र:Gregorythegreat.jpg|thumb|right|पोप ग्रेगरी द ग्रेट]]
 
रोमन साम्राज्य के पतन के समय तक, कई युरोपीय असभ्य जनजातियां ईसाई धर्म में परिवर्तित हो चुकी थी. लेकिन उनमें से ज्यादातर (ओस्त्रोगोथ्स, विसिगोथ्स, बुर्गुन्दिंस, और वन्दल्स) इसे अरियासवाद के रूप में अपना चुकी थी- एक ऐसी शिक्षण जो कैथोलिक गिरजाघर के द्वारा विधर्म घोषित किया गया था.<ref>ले गौफ, पृष्ठ 14:"जंगली आक्रमणकारियों का सामना एक और महत्वपूर्ण तथ्य से तब्दील हो गया था. हालांकि उनमें से कुछ बुतपरस्त रहे थे, उनमें से एक और हिस्सा, कम से कम नहीं, ईसाई बन गया था. लेकिन, एक जिज्ञासु मौके से, जिसने गंभीर परिणाम छोड़े, ये परिवर्तित जंगली - ऑस्ट्रोगोथ, विजिगोथ, बरगुंडियन, नेंडल और बाद में लोम्बार्ड - एरियनवाद में परिवर्तित हो गए थे, जो कि नाइसिया की सभा के बाद से एक अपधर्म बन गया था. वास्तव में उन्हें गॉथ और वुलफिला के प्रेरितों के अनुयाइयों द्वारा परिवर्तित किया गया था.”</ref> जब इन विजेता लोगों ने रोमन साम्राज्य के विजित प्रदेशों पर राज्यों की स्थापना की, अरियन विवाद सत्तारूढ़ युरोपीय एरियंस और रोमन कैथोलिक के बीच धार्मिक मतभेद का विषय बन गया.<ref>ले गौफ, पृष्ठ 14:"इस प्रकार जो एक धार्मिक बंधन होना चाहिए था, उसके विपरीत, एक कलह का विषय बन गया और एरियन जंगलियों तथा रोमन कैथोलिक लोगों के बीच कटु संघर्ष फूट पड़ा."</ref> अन्य असभ्य राजाओं के विपरीत, क्लोविस 1, फ्रेंकिश शासक सन 497 में अरियासवाद के बजाय रूढ़िवादी कैथोलिक मत में दीक्षित हो गया, जिससे स्वयं पोप के पद और मठ के साथ गठबंधन कर, फ्रैंक्स की स्थिति को मजबूत बना लिया.<ref>ले गौफ, पृष्ठ. 21:"क्लोविस की गहरी चाल अन्य जंगली राजाओं की तरह, खुद को और अपने लोगों को एरियनवाद में परिवर्तित करने की नहीं, बल्कि रोमन कौथोलिक ईसाई बनाने की थी.”</ref> कुछ अन्य युरोपीय राज्यों ने अंततः उसके नेतृत्व (589 में स्पेन में विसिगोथ्स और इटली में धीरे - धीरे लोम्बर्ड्स ने 7 वीं शताब्दी के दौरान) का अनुसरण किया.<ref>ले गौफ, पृष्ठ. 21</ref> 6 वीं शताब्दी के आरम्भ में, यूरोपीय मठों ने ''संत बेनेडिक्ट के शासन'' के ढांचे का अनुसरण किया,<ref>वुड्स, पृष्ठ 37.</ref> जो कला और शिल्प, लेखन कार्यों और पुस्तकालयों, और दूरदराज के क्षेत्रों में कृषि केंद्रों के लिए कार्यशालाओं के साथ आध्यात्मिक केंद्र बन गया.<ref>ले गौफ, पृष्ठ 120</ref> सदी के अंत तक पोप ग्रेगरी महान ने प्रशासनिक सुधारों और ग्रेगोरियन मिशन की शुरूआत ब्रिटेन के सुसमाचार प्रचार के लिए शुरू किया;<ref>डफी, पृष्ठ 69</ref> 7 वीं शताब्दी के प्रारंभ में मुस्लिम सेनाओं दक्षिणी भूमध्य के अधिकांश भागों को जीत लिया और इस तरह पश्चिमी ईसाई जगत के लिए खतरा उपस्थित हो गया.<ref>विड्मर, पी. 94</ref>
 
कैरोलिनगियन राजाओं ने राजा और पोप के पद के बीच के रिश्ते को सशक्त बनाया. सन 754 में सबसे युवा पीपीन को पोप स्टीफन द्वितीय द्वारा एक भव्य समारोह (अभिषेक) में ताज पहनाया गया था. पीपीन ने लोम्बर्ड्स परास्त कर कैथोलिक राज्य में अधिक क्षेत्र जोड़ने का कार्य किया. जब [[चार्लेमन|शारलेमेन]] सिंहासन रूढ़ हुआ तो उसने तीव्र गति से अपने शक्ति का संचय किया;<ref>बौएर पीपी 372-374</ref> और 782 तक वह सबसे मजबूत ईसाई मिशन की भावना के साथ पश्चिमी राजाओं में सबसे ताकतवर माना गया.<ref>बौएर पृष्ठ 388</ref> उसने रोम में सन 800 में कैथोलिक राज्याभिषेक प्राप्त किया,<ref>बौएर, पृष्ठ 393</ref> और उसने गिरजाघर के संरक्षक के रूप में हस्तक्षेप के अधिकार के साथ अपनी भूमिका की व्याख्या की.<ref name="Duffy, p. 91">डफी, पृष्ठ 91</ref> उनकी मृत्यु के बाद, तथापि, जिस अधिकार के साथ एक शासक पोप के अधिकार में हस्तक्षेप करने का अधिकार रखता था, के साथ असंगत तरीके से व्यवहार किया गया.<ref>डफी, पृष्ठ 97</ref>
 
बुल्गारिया में, संत स्यरिल और मेथोदिउस द्वारा 9 वीं शताब्दी में सिरिलिक वर्णमाला का आविष्कार एक स्थानीय भाषा मरने के बाद की स्थापना की.<ref>जॉनसन, पृष्ठ 18</ref> 8 वीं सदी में, मूर्तीभंजन, धार्मिक छवियों के विनाश ने पूर्वी गिरजाघर के साथ फूट की शुरूआत की. <ref name="Woods pp116-118">{{Harvnb|Woods|2005|pp=116–118}}</ref> 9 वीं शताब्दी में बीजेनाटाइन नियंत्रित दक्षिणी इटली, बल्गेरियाई मिशनों में गिरिजाघर के क्षेत्राधिकार के संघर्ष ने आगे असहमति को बढाया कि [[धार्मिक महाविच्छेद|पूर्व पश्चिम गिरजे]] में मतभेद पैदा करने का कार्य किया,जो आम तौर पर 1054 में औपचारिक रूप से शुरू होना माना जाता है, हालांकि मतभेद के शुरू होने के किसी विशेष तारीख का उल्लेख नहीं मिलता हैं.<ref name="Duffy, p. 91"/> फूट के बाद, पूर्वी हिस्से को रूढ़िवादी गिरजाघर कहा जाने लगा, जबकि पश्चिम पोप के साथ समन्वय में बना रहा कैथोलिक नाम को बनाये रखा.<ref>कॉलिन्स, पृष्ठ 103</ref> सन 1274 में ल्यों के दूसरे परिषद और सन 1439 में फ़्लोरेंस के परिषद में मतभेद सुधार के प्रयास असफल रहे थे.<ref name="Bokenkotter140"/>
 
मठों के क्लुनिअक सुधार ने व्यापक रूप से मठवासीयों के विकास और नवीकरण के कार्य को गति प्रदान किया.<ref name="Duffy88">डफी, पीपी 88-89.</ref> 11 वीं और 12 वीं सदी गिरजाघर में आंतरिक सुधार के प्रयासों का गवाह बना. सम्राट और कुलीनों के हस्तक्षेप से पोप के चुनाव को मुक्त कराने के लिए सन 1059 में कार्डिनल के कॉलेज की स्थापना की गई. धर्माध्यक्ष को अलंकृत करने का अधिकार, गिरजाघर पर 'शासकों के प्रभुत्व का एक स्रोत, पर सुधारकों द्वारा आघात किया गया और बाद में पोप ग्रेगरी सप्तम के तहत पोप और सम्राट के बीच अलंकरण विवाद भड़क उठा. इस मामले को हल अंततः सन 1122 में कीड़े के समझौता के साथ किया गया, जहां यह सहमति हुई कि धर्माध्यक्ष का चयन गिरजाघर के कानून के अनुसार किया जाएगा.<ref>नोबल, पीपी 286-287</ref> 14 वीं सदी के आरम्भ में एक केंद्रीकृत गिरजाघर संगठन की स्थापना की गई थी, एक लैटिन भाषा बोलने वाली संस्कृति प्रचलित हो चुकी थी, पादरी साक्षर थे और उनके लिए ब्रह्मचर्य पालन आवश्यक था.<ref>मैककलोश, ''द रिफ़ॉर्मेशन'' , पीपी 26-27</ref>
[[चित्र:CouncilofClermont.jpg|thumb|alt=Colored painting showing a large congregation of bishops listening to the Pope |क्लेरमोंट (1095) के परिषद में पोप अर्बन II, पोप ने ईसाई और इस्लाम के बीच एक पवित्र युद्ध के शुभारंभ की घोषणा की.एक जोशीले भाषण में उन्होंने सब अच्छे ईसाइयों से आग्रह किया "पवित्र भूमि को दुष्ट जाति से छीनलो तथा उसे अपने कब्जे में लेलो", - जो लोग इस अभियान में मारे गए उनको पापों से तत्काल छुटकारा मिल जाएगा.प्रथम धर्मयुद्ध शुरू हो गया है.<ref>रॉबर्ट बार्टलेट, द नॉर्मंस, बीबीसी (BBC) टीवी</ref>]]
सन 1095 में, [[बाईज़न्टाइन साम्राज्य|बिजेंताइन]] सम्राट अलेक्सिउस ने पोप अर्बन द्वितीय से नए सिरे से हो रहे मुस्लिम आक्रमणों के खिलाफ मदद के लिए अपील की,<ref name="rileysmith">रिले स्मिथ, पृष्ठ 8</ref> जिसके कारण पोप अर्बन को प्रथम धर्मयुद्ध की घोषणा करनी पड़ी, जिसका उद्देश्य बेजेंताइन साम्राज्य को सहायता पहुचने के साथ -साथ पवित्र भूमि पर ईसाईयों का नियंत्रण बनाये रखना भी था. <ref name="Bokenkotter140">बोकेंकोटर, पीपी 140-141</ref> धर्मयुद्ध विभिन्न सैनिक निकायों की स्थापना का गवाह बना, जैसे: टेम्पलर नाइटस, होस्पित्लर नाइटस, ट्यूतोनिक नाइटस, आदि.<ref name="Norman p62-66">नॉर्मन, पीपी 62-66</ref> सन 1208 में जब उनपर पोप के एक दूत की हत्या करने के आरोप लगाया गया,<ref>हेनरी चार्ल्स ली, ''अ हिस्ट्री ऑफ़ द इन्क्विजिशन ऑफ़ द मिडल एजेज़, खंड I'' (1888), पृष्ठ 145,उद्धरण: "दूत पियरे डी कैस्टलनाऊ की हत्या से पूरे ईसाई जगत में आतंक का एक रोमांच फैल गया जैसा कि अड़तीस साल पहले बेकेट की हत्या से फैला था. इसके विवरण, हालांकि, इतने विरोधाभासी हैं कि सत्यता के साथ कहना असंभव है."</ref> तो पोप इनोसेंट II ने अल्बीजेंसियां धर्मयुद्ध की घोषणा कैथरो के विरूद्ध कर दी, जो लंगुएदोक में एक ग्नोस्टिक ईसाई संप्रदाय थी.<ref>मैल्कम बार्बर, ''द कैथर्स'' पृष्ठ 1. लौंगमैन, ISBN 0-582-25661-5,उद्धरण: "कैथरवाद बारहवीं और तेरहवीं शताब्दी में कैथोलिक गिरजाघर के सामने सबसे बड़ी विधर्मिक चुनौती था - पश्चिम में बड़ी संख्या में ईसाइयों को यह विश्वास दिलाने में कि उन्होंने समस्याएं हल करली थीं (बुराई के अस्तित्व के कारण) उनकी सफलता ने कैथोलिक पदानुक्रम को अंदर तक हिलाकर रख दिया, और पहले से विचारित किसी भी प्रतिक्रिया से अधिक चरम प्रतिक्रियाओं की एक शृंखला आरंभ हो गई.</ref> इस धार्मिक और राजनीतिक विवाद के संयुक्तता के कारण लगभग एक लाख से भी अधिक लोग मारे गए.<ref>जॉन एम. रॉबर्टसन, "ईसाई धर्म का संक्षिप्त इतिहास" (1902), पीपी 253-54,उद्ध: “1209 में शुरू हुए अल्बीजेन्सियन धर्मयुद्ध पोप इनोसेंट ।।। से अधिक लंबे चले,... यह माना जाता है कि इन में सभी उम्र के स्त्री पुरुष मिला कर दस लाख तक लोग मारे गए थे.”</ref><ref>लॉरेंस वेड मार्विन, ''द ऑक्सिटन वॉर'' पृष्ठ 1. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, ISBN 0-521-87240-5,बोली, "यह युद्ध जल्दी ही क्षेत्र के राजनीतिक नियंत्रण के लिए संघर्ष में परिवर्तित हो गया, यह कुछ ऐसा था जो इसके प्रवर्तक, पोप इनोसेंट ।।। ने कभी नहीं चाहा था."</ref> कैथारों के प्रति सहानभूति को समाप्त करने के लिए ग्रेगरी IX ने पोप धर्माधिकरण का गठन सन 1231 में किया.<ref>मॉरिस, पृष्ठ 214.</ref>
 
याचक आदेश की स्थापना फ्रांसिस असीसी और डोमिनिक डी गुजमान के द्वारा , जो शहरी व्यवस्था में धार्मिक जीवन में पवित्रता लाने के उद्देश्य से किया गया.<ref name="LeGoff87">ले गौफ, पृष्ठ 87</ref> इन आदेशों ने भी विश्वविद्यालयों में गिरजाघर के स्कूलों के विकास में बड़ी भूमिका निभाई.<ref name="Woods44">वुड्स, पीपी 44-48</ref> डोमिनिकन [[थामस एक्विनास]] जैसे शैक्षिक ब्रह्मविज्ञानियों ने इस तरह के विश्वविद्यालयों में अध्ययन और अध्यापन का कार्य किया, और उनकी ''सुम्मा थियोलोजिका'' [[अरस्तु|अरस्तू]] के विचारो और ईसायत के संयोग से निर्मित एक महत्वपूर्ण बौद्धिक उपलब्धि थी.<ref name="Bokenkotter158">बोकेंकोटर, पीपी 158-159</ref>
 
गिरजाघर का पश्चिमी कला के विकास पर प्रमुख प्रभाव था, रोमन, गोथिक और पुनर्जागरण शैली की कला और स्थापत्य कला में विकास को देख रहे थे.<ref name="Woods122">वुड्स, पीपी 115-27.</ref> पुनर्जागरण के कलाकार जैसे की राफेल, [[माइकल एंजेलो]], [[लियोनार्दो दा विन्ची|दा विंची]], बेर्निनी, बोत्तिसल्ली, फ्रा अन्गेलिको, तिन्तोरेत्तो, कारावाग्गियो, और तितियन गिरजाघर द्वारा प्रायोजित कलाकारों के समूह के भाग थे.<ref name="Duffy133">डफी, पृष्ठ 133.</ref> संगीत में, कैथोलिक भिक्षुओं ने आधुनिक पश्चिमी संगीत के अंकन का विकास किया ताकि दुनिया भर में गिरजाघर के दौरान मरने के बाद के अंतिम संस्कार के मानकीकरण को सामान बनाया जा सके, और इसके लिए कुछ काल में एक विशाल धार्मिक संगीत की रचना की गई.<ref name="Hall100">हॉल, पृष्ठ 100.</ref> यह प्रश्रय यूरोपीय [[शास्त्रीय संगीत]] के विकास और इसके कई व्युत्पन्न संगीत के विकास का कारण बना.<ref name="Murray45">मर्रे, पृष्ठ 45.</ref>
 
=== सुधार और काउंटर सुधार ===
क्लीमेंट V के सन 1305 में अविगानों जाते ही, 14 वीं सदी में, पोप का पद फ्रेंच प्रभुत्व के तहत आ गया था.<ref name="Duffy122">डफी, पृष्ठ 122</ref> अविग्नन पोप का पद सन 1376 में समाप्त हुआ जब पोप रोम में लौटे,<ref name="McManners232">मॉरिस, पृष्ठ 232.</ref> लेकिन 1378 में 38 साल के लंबे अंतराल के बाद रोम, अविग्नन (और 1409) पीसा में पोप का पद के लिए दावेदारों के साथ पश्चिमी मतभेद उभरा.<ref name="McManners232"/> पश्चिमी मतभेद का कारण "रोम धर्माध्यक्ष की एकल प्रधानता के बजाय सामूहिक अधिकार", की मांग करना था. जिसे समर्थन प्राप्त हुआ, परन्तु जब मार्टिन V पोप बना तो 1417 में कोंस्टेंस की परिषद पर इसे पलट दिया गया, और इसके सम्बन्ध में यह घोषणा जारी की गई की पोप ने ईसा से अधिकार प्राप्त कर लिया हैं.<ref name="Restorationpp37-38">मैककलोश, ''द रिस्टोरेशन'' , पीपी 37-38</ref> महान मतभेद के कारण अधिकार की कमी की प्रतिक्रिया में इंग्लैण्ड में जन वैक्लिएफ ने लिखा की "गिरजाघर की चिरकालिक स्थिति" को बाइबिल में देखा जा सकता हैं और यह सभी के लिए उपलब्ध हैं. उसके कार्य भोमिय में लाये गये, जहां प्राग में जान हस वैक्लिफ के विचरों से प्रभवित हुए और उन्हें लोगो का विशाल समर्थन प्राप्त हुआ. इसके परिणामस्वरूप कॉन्स्टेंस की परिषद में हस को धर्मनिन्दा का दोषी करार दिया गया और उसे जीवित जला देने की सजा सुनाई गई.<ref>मैककलोश, ''द रिस्टोरेशन'' , पीपी 34-36</ref>
[[चित्र:Holbein-erasmus.jpg|thumb|डेसिडेरियस इरास्मस]]
कॉन्स्टेंस की परिषद, बेसल की परिषद और पांचवें लैटर्न परिषद प्रत्येक ने गिरजाघर के आंतरिक दुरूपयोग में सुधार लाने के लिए "लोकप्रिय और लगातार सिफारिश की "एक परिषद का निर्माण के साथ, का प्रयास किया.<ref>बोकेंकोटर, पृष्ठ 201</ref> 1460 में, कांस्टेंटिनोपल के तुर्कों के पतन के साथ पोप पायस द्वितीय एक सामान्य परिषद के गठन के लिए आगे की अपील से मना कर किया.<ref name="Restorationpp37-38"/> नतीजतन पोप का पद पर रोदेरिगो बोर्गिया जैसे सांसारिक पुरुष (पोप अलेक्जेंडर VI) चुना गए,<ref name="Duffy149">डफी, पृष्ठ 149</ref> इस कड़ी में पोप जूलियस द्वितीय जिसने खुद को एक धर्मनिरपेक्ष राजकुमार के रूप में प्रस्तुत किया का नाम भी आता हैं.<ref>मैककलोश, ''द रिस्टोरेशन'' , पृष्ठ 41</ref> 16 वीं सदी के प्रारंभिक दिनों में, "''मूर्खता की प्रशंसा'' ", प्रकशित की गई जिसे इरास्मस ने लिखा, उसमे गिरजाघर में सुधर नहीं करने के लिए आलोचना की गई थी.<ref name="Norman86">नॉर्मन, पृष्ठ 86</ref>
 
जर्मनी में 1517 में, [[मार्टिन लुथर|मार्टिन लूथर]] ने कई धर्माध्यक्षों को अपने ''पंचानबे शोध'' भेजा.<ref name="Bokenkotter215">बोकेंकोटर, पृष्ठ 215</ref> अपने शोध में उसने कैथोलिक सिद्धांत के मुख्य बिंदुओं के साथ ही क्षमा पत्र की बिक्री का विरोध किया.<ref name="Bokenkotter215"/> स्विट्जरलैंड में, [[हुल्द्रिख ज्विंगली|हुल्द्र्यच ज्विन्गली]], जॉन केल्विन, और दूसरे एनी ने भी कैथोलिक शिक्षाओं की आलोचना की. ये चुनौतियां आगे चल कर यूरोपीय आंदोलन में बदल गई जिसे [[यूरोपीय धर्मसुधार|प्रोटेस्टेंट धर्मसुधार]] कहा जाता है.<ref name="Bokenkotter223">बोकेंकोटर, पीपी 223-224</ref>
 
जर्मनी में, सुधार प्रोटेस्टेंट स्च्माल्काल्दिक लीग और कैथोलिक सम्राट चार्ल्स V के बीच नौ वर्षीय युद्ध का कारण बना. जो बाद में 1618 एक बहुत ही गंभीर संघर्ष, [[तीसवर्षीय युद्ध|तीस वर्षीय युद्ध]], में बदल गया.<ref>विड्मर, पृष्ठ 233</ref> फ्रांस में, संघर्ष की एक श्रृंखला जिसे धर्म की फ्रांसिसी लड़ाई कहते हैं, सन 1562 से 1598 के बीच हुगुएनोट्स और फ्रेंच कैथोलिक लीग की सेनाओं के मध्य लड़े गए. जिसमें संत बर्थोलोमेव दिवस नरसंहार संघर्ष में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.<ref name="Bokenkotter233">बोकेंकोटर, पृष्ठ 233</ref> नवर्रे के हेनरी जो कैथोलिक बन गया के नेत्रित्व में वे पुन: एकत्रित हुए और धार्मिक सहिष्णुता का पहला प्रयोग 1598 के नैनटेस के अध्यादेश के साथ शुरू किया.<ref name="Bokenkotter233"/> यह अध्यादेश, जिसने प्रोटेस्टेन्ट को नागरिक और धार्मिक सहनशीलता प्रदान की, उसे पोप क्लेमेंट आठवीं द्वारा हिचहिचाकर स्वीकार कर लिया गया.<ref name="Duffy177">डफी, पीपी 177-178</ref>
 
हेनरी आठवीं के शासनकाल के दौरान अंग्रेजी सुधार एक राजनीतिक विवाद के रूप में शुरू हुआ. जब पोप ने उसकी शादी के एक आरागॉन की कैथरीन को लोप के लिए हेनरी की याचिका को अस्वीकार कर दिया. तब उसने वर्चस्व की अधिनियमों को पारित कर स्वयं को अंग्रेजी गिरजाघर के प्रमुख घोषित किया.<ref name="Bokenkotter235">बोकेंकोटर, पीपी 235-237</ref> हालांकि उसने पारंपरिक कैथोलिक परम्परा को बनाए रखने की कोशिश की, हेनरी ने अपने शासन के दौरान मठों, फ्रेयारिस, कॉन्वेंट, और धार्मिक स्थलों के सम्पति की जब्ती शुरू की.<ref name="Schama">स्कैमा, पीपी 309-311</ref> हेनरी आठवीं के शासनकाल के अंत में एक व्यापक सैद्धांतिक और मरणोत्तर सुधारों की शुरूआत की गई जो एडवर्ड VI के शासनकाल और आर्कधर्माध्यक्ष थॉमस क्रेन्मेर के दौरान जारी रही. मैरी प्रथम के अंतर्गत, इंग्लैंड संक्षिप्त रूप से रोम के साथ फिर से संयुक्त हो गया था, लेकिन [[एलिज़ाबेथ प्रथम|एलिजाबेथ प्रथम]] ने बाद में एक अलग से गिरजाघर की स्थापना कर कैथोलिक पादरियों पर नकेल कसने का कार्य किया<ref name="Noble519">नोबल, पृष्ठ 519</ref> और कैथोलिकों को अपने बच्चों को शिक्षित करने और राजनीतिक जीवन में भाग लेने से रोका<ref name="Solt149">सोल्ट, पृष्ठ 149</ref> जब तक की नए कानून 18 वीं शताब्दी के अंत में और 19 वीं सदी में पारित नहीं किए गए.<ref>जूडिथ एफ. चैम्प, जॉन 'रोमन कैनन (एड.) में 'कैथोलिसिज्म', ''द ऑक्सफोर्ड कॉम्पैनियन ब्रिटिश हिस्ट्री'' , रेव. एड. (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 2002). पृष्ठ 176.</ref>
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17 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में, पोप इनोसेंट XI ने गिरजाघर के पदानुक्रम में होने वाली अनियमितताओं में सुधार लाने का प्रयत्न किया, जिसमें धर्मपद बेचने का अपराध, भाई -भतीजावाद और पोप का अति -व्यय जिसके कारण उसे एक बड़ा कैथोलिक पोप का ऋण वारिस के रूप प्राप्त हुआ था.<ref name="Duffy188">डफी, पीपी 188-191</ref> उसने मिशनरी की गतिविधियों को बढ़ावा दिया, तुर्की के आक्रमण के खिलाफ यूरोप को एकजुट करने की कोशिश की, प्रभावशाली कैथोलिक शासकों को प्रोटेस्टेन्ट से विवाह करने की छूट प्रदान की, लेकिन दृढ़ता से धार्मिक उत्पीड़न की निंदा की.<ref name="Duffy188"/>
 
=== प्रारंभिक आधुनिक काल ===
[[चित्र:São Miguel das Missões (Brazil).jpg|thumb|ब्राजील में साओ मिगुएल डैस मिसोज़ पर जेसुइट रिडक्शन के विध्वंस.]]
{{Main|Catholic Church and the Age of Discovery}}
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[[खोज का युग]] पश्चिमी यूरोप की दुनिया भर में राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव के विस्तार का गवाह बना. क्योंकि प्रमुख भूमिका स्पेन और पुर्तगाल जैसे सशक्त कैथोलिक राष्ट्रों द्वारा पश्चिमी उपनिवेशवाद निभाई गई. कैथोलिक मत खोजकर्ता, विजेताओं, और मिशनरियों द्वारा अमेरिका, एशिया और ओशिनिया में फैल गया था, साथ ही साथ औपनिवेशिक शासन के सामाजिक और राजनीतिक तंत्र के माध्यम से समाज के परिवर्तन द्वारा भी इस कार्य को अंजाम दिया गया.
 
पोप अलेक्जेंडर VI ने स्पेन और पुर्तगाल को नई खोज की गई भूमि के सबसे अधिक अधिकार दिए<ref name="Koschorke13">कौसचोर्क, पृष्ठ 13, पृष्ठ 283</ref> और ''पत्रेनेतो'' व्यवस्था के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि औपनिवेशिक व्यवस्था राज्य के अधिकारियों की अनुमति से न कि वेटिकन प्रणाली से संचालित हो ताकि नये उपनिवेशों में सभी लिपिक नियुक्तियों को नियंत्रित किया जा सके.<ref>हेस्टिंग्स (1994), पृष्ठ 72</ref> हालांकि स्पेनिश सम्राटों ने खोजकर्ताओं और विजेताओं द्वारा अमेरिन्डियन्स के खिलाफ प्रतिबद्धता हनन को रोकने की कोशिश की,<ref name="Noble450">नोबल, पीपी 450-451</ref> परन्तु यह एंटोनियो डे मोंतेसिनोस था, एक डोमिनिकन भिक्षु को, विशेष रूप से खुले तौर पर मूल निवासियों से निपटने के लिए 1511 में स्पेन के शासकों [[हिस्पानिओला|हिसपानीओला]] की उनकी क्रूरता और अत्याचार के लिएआलोचना करने के लिए जानाजाता हैं.<ref>कौसचोर्क, पृष्ठ 287</ref> राजा फर्डिनेंड ने जवाब में ''वलाडोलिड'' और ''बर्गोस का कानून'' लागू किया. यह मुद्दा 16वीं सदी में स्पेन में विवेक के संकट का कारण बना.<ref>जोहैंसन, पृष्ठ 109, पृष्ठ 110,बोली: "अमेरिका में, कैथोलिक पादरी बारटोलोम डि लास कसास ने उत्सुकतापूर्वक स्पेनियों द्वारा विजित क्षेत्रों में क्रूरता के संबंबध में पूछताछ की गई. लास कसास ने देशी लोगों पर स्पेनियों द्वारा किए गए अत्याचारों का अत्यंत कष्टदायक वर्णन लिपिबद्ध किया.</ref> कैथोलिक पादरी के लेखन के माध्यम से जैसे कि: बर्तोलोमे डे लास कासस, और फ्रांसिस्को डि विटोरिया ने मानव अधिकार की प्रकृति पर<ref>कौसचोर्क, पृष्ठ 287</ref> और आधुनिक अंतरराष्ट्रीय कानून के जन्म के लिए बहस का नेतृत्व किया.<ref>चैड्विक, ओवेन, पृष्ठ 327</ref> इन कानूनों का प्रवर्तन ढीला था, और कुछ इतिहासकार भारतीयों को स्वतंत्र नहीं करने के लिए गिरजाघर को दोषी ठहरा रहे हैं. और दुसरे केवल स्वदेशी लोगों के पक्ष में आवाज उठाने की ओर इशारा कर रहे हैं.<ref name="Dussel45">डासेल, पृष्ठ 45, पीपी 52-53, उद्धरण: "मिशनरी गिरजाघर ने शुरू से इन हालात का विरोध किया था, और स्वदेशी लोगों के लाभ के लिए लगभग जो सब कुछ सकारात्मक किया गया था वह मिशनरियों के आवाह्न और पुकार पर हुआ था. हालांकि तथ्य यही रहा कि बड़े पैमाने पर फैले अन्याय को उखाड़ फेंकना अत्यंत कठिन था... बारतोलोमे डि लास कसास निकारागुआ के धर्माध्यक्ष थे, इससे भी महत्वपूर्ण था एंटोनियो डि वाल्डेविसो जिन्हें भारतीय की रक्षा के लिए अंततः शहादत देनी पड़ी.”</ref>
 
1521 में पुर्तगाली अन्वेषक [[फ़र्दिनान्द मैगलन|फर्डिनेंड मैगलन]] ने पहली बार फिलीपींस को कैथोलिक में परिवर्तित कर दिया.<ref name="Koschorke21">कौसचोर्क, पृष्ठ. 21</ref> कहीं और, स्पेनिश जेसुइट फ्रांसिस जेवियर के तहत पुर्तगाली मिशनरी भारत, चीन और जापान में ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे थे.<ref name="Koschorke3">कौसचोर्क, पृष्ठ 3, पृष्ठ 17</ref> जापान में गिरजाघर विकास में1597 में एक पड़ाव आया था जब शोगुनेट, विदेशी प्रभावों से देश को मुक्त करने के प्रयास में, ईसाई या किरिशितनों का गंभीर उत्पीड़न आरम्भ किया.<ref name="Koschorke31">कौसचोर्क, पीपी 31-32</ref> एक भूमिगत अल्पसंख्यक ईसाई आबादी उत्पीड़न की इस अवधि के दौरान बची रही और एकांत में रहने के लिए बाध्य की गई जो कि अंततः 19वीं सदी में उठाया गया.<ref>मैकमैनर्स, पृष्ठ 318</ref> चीन में, जेसुइट के द्वारा समझौता करने के प्रयासों के बावजूद चीनी संस्कार विवाद कांग्क्सी सम्राट के नेतृत्व में 1721 में ईसाई मिशन को प्रतिबंधित कर दिया गया.<ref name="McManners328">मैकमैनर्स पृष्ठ 328</ref> इन घटनाओं ने जेसुइट्स की आलोचना को बढ़ाने में आग में घी का कम किया, जो गिरजाघर के स्वंत्र शक्ति के प्रतीक थे, और 1773 में यूरोपियन शासकों ने एकजुट होकर पोप क्लीमेंट XIV को इस आदेश को समाप्त करने के लिए दवाब डाला.<ref name="Duffy193">डफी, पृष्ठ 193</ref> जेसुइट्स अंतत: 1814 में पोप के बुल सोलिसीतुदो ओनीयम एक्लेसिआरम के द्वारा पुनर्स्थापित किया गया.<ref name="Bokenkotter295">बोकेंकोटर, पृष्ठ 295</ref> लॉस कैलिफोर्निया में फ्रंसिसिकन पादरी जुनीपेरो सेर मिशनरियों की एक श्रंखला स्थापित की.<ref name="Norman111">नॉर्मन, पीपी 111-112</ref> दक्षिण अमेरिका में, जेसुइट मिशनरियों ने दासता से देशी लोगों की रक्षा के लिए अर्द्ध स्वतंत्र बस्तियों की स्थापना की जिसे कटौती कहा जाता है.
 
17 वीं सदी के आगे से, प्रबुद्धता ने पश्चिमी समाज पर कैथोलिक गिरजाघर के प्रभावो और शक्ति पर सवाल उठाया.<ref name="Pollard8"/> 18 वीं सदी के लेखकों जैसे कि वॉलटैर और एन्सैक्लोपेदिस्त ने धर्म और गिरजाघर दोनों को काटने वाली आलोचनाएं लिखी थीं. उनकी आलोचना का एक लक्ष्य राजा लुई XIV द्वारा 1685 में नैनटेस के फतवे का निरसन किया जाना था, जिससे प्रोटेस्टेंट हुगुएनोट्स की धार्मिक सहनशीलता की एक सदी लम्बी नीति को समाप्त कर दिया गया था.
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19 वीं सदी के अंत में, कैथोलिक मिशनरियों ने अफ्रीका में औपनिवेशिक सरकारों का अनुसरण करते हुए स्कूलों, अस्पतालों, मठों और गिरजाघरों का निर्माण किया.<ref name="Has398">हेस्टिंग्स, पीपी 397-410</ref>
 
=== औद्योगिक युग ===
 
[[औद्योगिक क्रांति]] की सामाजिक चुनौतियों की प्रतिक्रिया के रूप में, तेरहवें पोप लियो ने एनसाइक्लिकल ''रेरम नोवार्म'' को प्रकाशित किया. इसने कैथोलिक सामाज़िक शिक्षण को रवाना किया जिसने समाजवाद को अस्वीकार कर दिया था लेकिन कार्यप्रणाली स्थितियों के विनियमन, निर्वाह-मज़दूरी की स्थापना, तथा व्यापार संघ बनाने के लिये श्रमिकों के अधिकार की वकालत की.<ref name="Duffy240">डफी, पृष्ठ 240</ref> हालांकि, सैद्धांतिक मामलों में गिरजाघर की अभ्रांतता हमेशा से गिरजाघर का सिद्धांत रही थी, पहली वेटिकन परिषद, जिसे 1870 में आयोजित किया गया था, ने पोप संबंधी अभ्रांतता के सिद्धांत की पुष्टि की जब विशिष्ट परिस्थितियों के तहत उसका प्रयोग किया गया.<ref name="Leith">लिथ, पृष्ठ 143</ref> इस निर्णय ने पोप को "दुनिया भर के गिरजाघर में अत्यंत नैतिक और आध्यात्मिक अधिकार" दिया.<ref name="Pollard8">पोलार्ड, पीपी. 49-50.</ref> घोषणा की प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप मुख्यत: जर्मन गिरजाघरों के समुह के संबंध-विच्छेद हुए, जिसने बाद में पुराने कैथोलिक गिरजाघर की स्थापना की.<ref name="Fahlbusch">फैह्लबुश, पृष्ठ 729</ref> [[इतालवी एकीकरण]] से पोप-संबंधी राज्यों की हार रोमन प्रश्न के रूप में सामने आयी,<ref name="Bokenkotter307">बोकेंकोटर, पीपी 306-307</ref> और जिसने पोप के पद तथा इतालवी सरकार के बीच एक क्षेत्रीय विवाद स्थापित किया जो वेटिकन शहर के प्रभुत्व को 1929 की लेटरन संधि द्वारा पवित्र स्वीकृत किये जाने तक नही सुलझा था.<ref name="Bokenkotter387">बोकेंकोटर, पीपी 386-387</ref>
 
1872 में जॉन बॉस्को और मारिया माज़ारेल्लो ने इटली में डॉन बॉस्को की सेल्सियन बहनों नामक संस्थान को स्थापित किया,<ref>{{cite web|url=http://www.salesiansisters.net/aboutUs.cfm |title=About Us |publisher=Salesian Sisters |date= |accessdate=2010-10-28}}</ref> जो 2009 में 14,420 सदस्यों के साथ दुनिया में महिलाओं के सबसे बड़े कैथोलिक संस्थान के रूप में विकसित होगा.<ref>{{cite web|url=http://www.catholicculture.org/news/headlines/index.cfm?storyid=5283 |title=Latest Headlines : Slight decline in 2nd largest men’s religious order |publisher=Catholic Culture |date=2010-01-28 |accessdate=2010-10-28}}</ref>
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20वीं सदी ने विभिन्न राजनैतिक कट्टरपंथियों तथा पादरी विरोधी सरकारों को उठते हुई देखा. 1926 के कॉल्स कानून जो मैक्सिको में गिरजाघर और राज्यों को बांट रहा है वह क्रिसटेरो युद्ध का कारण बना<ref name="Chadwick264">चैड्विक, ओवेन, पीपी 264-265</ref> जिसमें 3,000 से अधिक पादरी या तो मारे गये या निर्वासित कर दिये गये,<ref name="Scheina">स्किना, पृष्ठ 33.</ref> गिरजाघरों को अपवित्र किया गया, सेवाओं का मज़ाक उड़ाया गया, नन के साथ बलात्कार किया गय, तथा पकड़े गये पादरियों को गोली मार दी गई.<ref name="Chadwick264"/> सोवियत संघ में 1917 की बोल्शेविक क्रांति के बाद, गिरजाघर तथा कैथोलिकों पर अत्याचार 1930 में भी ज़ारी रहे.<ref>रिएसनोव्सकी 617 </ref> पादरियों की फांसी और निर्वासन, महन्तों तथा सामान्य जन के साथ ही धार्मिक साधनों का अधिकरण और गिरजाघरों का बंद होना आम था.<ref name="Riasanovsky 634">रिएसनोव्सकी 634</ref> 1936-39 के [[स्पेनी गृहयुद्ध|स्पेन के राष्ट्र युद्ध]] में, कैथोलिक अनुक्रम ने लोकप्रिय मोर्चा सरकार<ref>पायेन, पृष्ठ 13</ref> के खिलाफ फ्रेंको राष्ट्रवादियों के साथ मिलके अपने आपको गिरजाघर के खिलाफ रिपब्लिकन हिंसा<ref>एलोंसो, पीपी 395-396</ref> और "विदेशी तत्व जो हमें बर्बाद करने के लिए लाये हैं" का हवाला देते हुए संबद्ध किया.<ref>ब्लड ऑफ़ स्पेन, रोनल्ड फ्रेजर पृष्ठ 415, स्पेन के धर्माध्यक्ष का सामूहिक पत्र, दुनिया के धर्माध्यक्ष को संबोधित किया गया. ISBN 0-7126-6014-3</ref> ग्यारहवें पोप पायस ने इन तीन देशों को एक "भयानक त्रिभुज" के रूप में तथा यूरोप और अमेरिका में विरोध की विफलता को एक मौन षड़यन्त्र के रूप में उल्लिखित किया.
 
1933 के रिच्स्कोनकोर्डाट, जिसने नाज़ी जर्मनी में गिरजाघर को सुरक्षा और अधिकारों की गारंटी दी थी,<ref name="Rhodes182">रोड्स, पृष्ठ 182-183</ref> के उल्लंघन के बाद, ग्याहरवें पोप पायस ने 1937 के सार्वभौम पत्र ''मिट ब्रेनेंनडर सोर्ज'' को ज़ारी किया,<ref name="Rhodes197">रोड्स, पृष्ठ 197</ref> जिसने सार्वजनिक रूप से गिरजाघर के नाजियों पर हुए अत्याचार की तथा अशिक्षित ईसाइयों के प्रति उनकी विचारधारा और नस्लीय श्रेष्ठता की कड़ी निंदा की.<ref name="Rhodes204">रोड्स, पृष्ठ 204-205</ref> सितम्बर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के शुरू होने के बाद, गिरजाघर ने पोलैंड के हमले तथा बाद में 1940 नाज़ियों पर हुए हमलों की निंदा की.<ref name="Cook983">कुक, पृष्ठ 983</ref> हजारों कैथोलिक पादरियों, ननों, और भाइयों को ज़ेल भेज दिया गया तथा मार दिया गया, उस संपूर्ण क्षेत्र में जो नाज़ियों के कब्ज़े में था जिसमें मैक्सिमिलियन कोल्बे तथा एडिथ स्टैन आदि संन्यासी भी शामिल हैं.<ref>{{cite web|url=http://www1.yadvashem.org/yv/en/holocaust/about/01/non_jews_persecution.asp |title=Non-Jewish Victims of Persecution in Germany |publisher=Yad Vashem |date= |accessdate=2010-10-28}}</ref> [[यहूदी अग्निकांड|प्रलयकाल]] में, तेहरवें पोप पायस ने नाज़ियों से यहूदियों की रक्षा करने के लिये गिरजाघर अनुक्रम को निर्देशित किया था.<ref>बोकेंकोटर, पृष्ठ 192</ref> जबकि कुछ इतिहासकारों द्वारा बाहरवें पायस को लाखों यहूदियों को बचाने में मदद देने का श्रेय दिया गया,<ref name="Deák">डिक, पृष्ठ 182</ref> यहूदी विरोधवाद युग को प्रोत्साहित करने<ref>{{Cite news| last =Eakin| first =Emily| title =New Accusations Of a Vatican Role In Anti-Semitism; Battle Lines Were Drawn After Beatification of Pope Pius IX| work =The New York Times| date =1 September 2001| url =http://query.nytimes.com/gst/fullpage.html?res=9B04E3DF1130F932A3575AC0A9679C8B63&sec=&spon=&pagewanted=all|accessdate=2008-03-09}}</ref> तथा पायस द्वारा नाज़ियों के अत्याचारों को रोकने में नाकामी के लिये गिरजाघर को दोषी माना गया है.<ref name="Phayer">फेवर, पीपी 50-57</ref> इन आलोचनाओं की वैधता पर बहस आज़ भी जारी है.<ref name="Deák">डिक, पृष्ठ 182</ref>
 
पूर्वी यूरोप में युद्ध के बाद कम्युनिस्ट सरकारों ने धार्मिक स्वतंत्रता को गंभीर रूप से प्रतिबंधित किया.<ref name="communist">{{Cite news|title=Pope Stared Down Communism in Homeland&nbsp;– and Won|work=CBC News|date=April 2005|url=http://www.cbc.ca/news/obit/pope/communism_homeland.html|accessdate=2008-01-31}}</ref> हालांकि कम्युनिस्ट शासन के साथ कुछ पादरियों और धार्मिक लोगों ने सहयोग किया,<ref>{{Cite news|last=Smith|first=Craig|title=In Poland, New Wave of Charges Against Clerics|work=The New York Times|date=10 January 2007|url=http://www.nytimes.com/2007/01/10/world/europe/10poland.html|accessdate=2008-05-23}}</ref> इस शासनकाल में अनेकों को कैद कर लिया गया, निर्वासित या मार दिया गया तथा यूरोप में साम्यवाद के पतन के लिये गिरजाघर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी होगा.<ref>{{cite web|url=http://www.thetablet.co.uk/article/14023 |title=Untold story of 1989 |publisher=The Tablet |date= |accessdate=2010-10-28}}</ref> 1949 में चीन में कम्युनिस्टों की सत्ता में वृद्धि सभी विदेशी मिशनरियों का निष्कासन लेकर आयी.<ref name="Bokenkotter357">बोकेंकोटर, पीपी 356-358</ref> नई सरकार ने भी देशभक्तिपूर्ण गिरजाघरों का निर्माण कराया जिसके एकतरफा ढ़ंग से नियुक्त हुए धर्माध्यक्ष को शुरूआत में रोम द्वारा अस्वीकार कर दिया गया तथा इससे पहले उनमें से अनेकों को स्वीकार किया गया था.<ref>{{cite news|url=http://news.bbc.co.uk/1/hi/world/asia-pacific/7005927.stm |title=Asia-Pacific &#124; China installs Pope-backed bishop |publisher=BBC News |date=2007-09-21 |accessdate=2010-10-28}}</ref> 1960 की [[संवर्धन आमूल परिवर्त|सांस्कृतिक क्रांति]] के कारण सभी धार्मिक प्रतिष्ठान बंद किये गये. जब चीनी गिरजाघर अंतत: फिर से खुले तब तक वे देशभक्तिपूर्ण गिरजाघरों के नियंत्रण में रहे थे. कई कैथोलिक पादरियों तथा याजकों को रोम के लिये निष्ठा त्याग करने से इनकार करने के लिये लगातार ज़ेल भेजा गया.<ref>चैड्विक, पृष्ठ 259</ref>
 
=== समकालीन ===
{{Disputed-section|date=September 2010}}
[[चित्र:President and Mrs. Reagan meet Pope John Paul II 1982.jpg|thumb|अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के साथ पोप जॉन पॉल द्वितीय.]]
पोप जॉन XXIII द्वारा 1962 में शुरू किए गए द्वितीय वेटिकन परिषद को इसके समर्थकों ने “झरोखा खुलने की शुरूआत” के रूप में वर्णित किया.<ref name="Duffy272">डफी, पीपी 270-276</ref> इसने लैटिन चर्च के भीतर उपासना-पद्धति में परिवर्तन किया, इसके मिशन का पुनः-संकेन्द्रण एवं सार्वभौमिकता की पुनः-परिभाषा की विशेषकर पूर्वी पारंपरिक चर्च के साथ वार्तालाप एंग्लिकन सहभागिता एवं प्रोटेस्टेण्ट नामकरण में.<ref>''डफी, सेंट्स एंड सिनर्स'' (1997), पृष्ठ 272, पृष्ठ 274</ref>
 
परिषद की स्वीकृति ने उस समय से चर्च के भीतर बहुपक्षीय आंतरिक श्रेणियों का आधार निर्मित किया. एक तथाकथित वेटिकन II की भावना परिषद के बाद आई, जो कार्ल रेहनर जैसे ''नौविले थियोलॉजी'' के प्रचारकों से प्रभावित हुआ. कुछ असंतुष्ट उदारवादियों यथा-हान्स कूंग ने दावा किया कि वेटिकन II पर्याप्त आगे नहीं गए.<ref>बॉकहैम , पृष्ठ 373</ref> दूसरी ओर, परंपरावादी कैथोलिकों जिनका प्रतिनिधित्व मार्शल लेफेब्रे जैसे व्यक्ति कर रहे थे, ने परिषद की कटु आलोचना की और तर्क देते हुए कहा कि इसने लैटिन जनता की पवित्रता को दूषित किया, “झूठे धर्मों” के खिलाफ धार्मिक उदासीनतावाद को बढ़ावा दिया और ऐतिहासिक कैथोलिक धर्म-सिद्धांत एवं परंपरा के साथ समझौता किया. इन दोनों क्षेत्रों के बीच में एक समूह जिसका प्रतिनिधित्व प्रकाशन ''कम्यूनियों'' ([[जोज़फ़ रैत्सिंगर|पोप बेनेडिक्ट XVI]] शामिल) के धर्मविज्ञानी कर रहे थे ने कहा कि परिषद अंततः सकारात्मक था लेकिन इसकी व्याख्या गलत ढ़ंग से हुई.{{Citation needed|date=May 2010}}
 
पोपों की शिक्षाओं, यथा-''ह्यूमेनेई वितेई'' एवं ''इवेंजेलियम वितेई'' जैसे विश्वपत्रों ने क्रमशः गर्भनिरोधकों<ref name="humanae">{{cite web|last=Paul VI|first=Pope|title=Humanae Vitae|publisher=Vatican|year=1968|url=http://www.vatican.va/holy_father/paul_vi/encyclicals/documents/hf_p-vi_enc_25071968_humanae-vitae_en.html|accessdate=2008-02-02}}</ref> एवं गर्भपात का विरोध किया एवं इन विचारों को “जीवन का सिद्धांत” कहा.<ref name="Bokenkotter493">बोकेंकोटर, पृष्ठ 27, पृष्ठ 154, पीपी 493-494</ref>
 
1978 में, पोप जॉन पॉल द्वित्तीय 455 वर्षों में प्रथम गैर-इतालवी पोप बने. उनका 27 वर्षों का धर्माध्यक्ष का शासनकाल इतिहास में सबसे लंबे में से एक था.<ref>{{cite web|url=http://www.history.co.uk/this-day-in-history/April-02.html;jsessionid=08931E713115A304B13BB1A6FA315A63.public1 |title=2 April - This Day in History |publisher=History.co.uk |date= |accessdate=2010-10-28}}</ref> [[सोवियत संघ]] के अंतिम प्रमुख [[मिखाइल गोर्बाचोफ|मिखायल गोर्वाचेव]] ने उन्हें ही यूरोप में [[साम्यवाद]] के पतन को तीव्र करने के लिए जिम्मेवार माना.<ref>{{cite news|author=Peter and Margaret Hebblethwaite, and Peter Stanford |url=http://www.guardian.co.uk/world/2005/apr/02/guardianobituaries.catholicism |title=Obituary: Pope John Paul II &#124; World news &#124; guardian.co.uk |publisher=Guardian |date= 2 April 2005|accessdate=2010-10-28 |location=London}}</ref> उन्होंने तृतीय विश्व में ऋण राहत<ref>{{cite news|url=http://www.guardian.co.uk/world/1999/sep/23/debtrelief.development |title=Pope meets Bono and calls for debt relief |publisher=Guardian |date= 23 September 1999|accessdate=2010-10-28 |location=London}}</ref> एवं इराकी युद्ध<ref>{{cite news|author=Pope John Paul II |url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/europe/2654109.stm |title=Europe &#124; Pope condemns war in Iraq |publisher=BBC News |date=2003-01-13 |accessdate=2010-10-28}}</ref> के विरूद्ध आंदोलन का समर्थन किया.<ref>{{cite news|author=Pope John Paul II |url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/europe/2654109.stm |title=Europe &#124; Pope condemns war in Iraq |publisher=BBC News |date=2003-01-13 |accessdate=2010-10-28}}</ref> यौन नैतिकता के प्रशन पर पक्के रूढ़िवादी ओपस देई को एक वैयक्तिक धर्माधिकारी बनाया.<ref>एप. कॉन्स्ट. यूटी सिट</ref> 1980 के दशक के दौरान लैटिन अमेरिका में उदारवादी धर्मविज्ञान पर [[मार्क्सवाद|मार्क्सवादी]] प्रभाव को अस्वीकृत करते हुए उन्होंने कहा कि चर्च को गरीब एवं पीड़ित के लिए विभेदकारी राजनीति या क्रांतिकारी हिंसा के द्वारा कार्य नहीं करना चाहिए.<ref>{{cite web|title=Liberation Theology|publisher=BBC|url=http://www.bbc.co.uk/religion/religions/christianity/beliefs/liberationtheology.shtml|accessdate=12 September 2008}}</ref> उन्होंने 483 संतो को संत का दर्जा दिया- अपने सभी पूर्ववर्तियों के जोड़ से भी ज्यादा.<ref>{{cite news| url=http://www.nytimes.com/2005/04/12/international/worldspecial2/13saintcnd.html?_r=2&hp&ex=1113364800&en=d6e61bcccdb2b7bb&ei=5094&partner=homepage | work=The New York Times | first=Daniel J. | last=Wakin | title=Cardinals Lobby for Swift Sainthood for John Paul II | date=12 April 2005}}</ref> 1986 में उन्होंने विश्व युवा दिवस स्थापित किया.<ref>{{cite web|url=http://www.vatican.va/gmg/documents/gmg_chronicle-wyd_20020325_en.html |title=Chronicle of World Youth Days |publisher=Vatican.va |date= |accessdate=2010-10-28}}</ref> उन्होंने यहूदियों एवं मुस्लिमों के साथ मेल-मिलाप के लिए कार्य किया, चर्च के उत्पीड़कों को क्षमा किया एवं चर्च के ऐतिहासिक गलतियों के लिए क्षमा मांगी, जिसमें यहूदी औरतें, स्वदेशी लोग, मूलवासी, अप्रवासी, गरीब एवं अनजन्में के खिलाफ धार्मिक असहिष्णुता एवं अन्याय शामिल है.<ref>{{cite news| url=http://www.nytimes.com/2000/03/13/world/pope-asks-forgiveness-for-errors-of-the-church-over-2000-years.html?pagewanted=1 | work=The New York Times | first=Alessandra | last=Stanley | title=Pope Asks Forgiveness for Errors Of the Church Over 2,000 Years | date=13 March 2000}}</ref>
 
[[मानवाधिकार|मानव अधिकारों]] एवं सामाजिक न्याय के लिए आंदोलनों के कारण इस काल के दरम्यान कैथोलिकों को शहादत देना पड़ा-विशेषकर लैटिन अमेरिका में, [[एल साल्वाडोर|अल सल्वाड़ोर]] के आर्च-विशप आस्कर रोमेरियो को 1980 में वेदी पर मार दिया गया एवं मध्य अमेरिकी विश्वविद्यालय के छह जेसुसुईटों की हत्या 1989 में कर दी गई.<ref>{{cite news|last=Miglierini |first=Julian |url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/8580840.stm |title=El Salvador marks Archbishop Oscar Romero's murder |publisher=BBC News |date=2010-03-24 |accessdate=2010-10-28}}</ref> कलकत्ता की कैथोलिक नन [[मदर टेरेसा]] को 1979 में भारत के गरीब लोगों के बीच मानवतावादी कार्य करने के कारण नोबल शांति पुरस्कार दिया गया.<ref>{{cite web|url=http://nobelprize.org/nobel_prizes/peace/laureates/1979/press.html |title=Press Release - The Nobel Peace Prize 1979 |publisher=Nobelprize.org |date=1979-10-27 |accessdate=2010-10-28}}</ref> विशप कार्लोस फिलिप जिमेनेन्स बेलो 1966 में “[[पूर्वी तिमोर|ईस्ट तिमोर]] में संघर्ष में उचित एवं शांतिपूर्ण समाधान के लिए कार्य करने के लिए” यही पुरस्कार जीते.<ref>{{cite web|url=http://nobelprize.org/nobel_prizes/peace/laureates/1996/press.html |title=Press Release - Nobel Peace Prize 1996 |publisher=Nobelprize.org |date=1996-10-11 |accessdate=2010-10-28}}</ref>
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1980 में, कैथोलिक पादरियों द्वारा नाबालिगों के यौन शोषण का मुद्दा मीडिया कवरेज का विषय बना एवं अमेरिका, आयरलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया एवं अन्य देशों में कानूनी कार्यवाही एवं जन-बहस का विषय बना. चर्च की इस दुर्व्यवहार शिकायतों के मामलों के निपटारे में आलोचना की गई जब यह पता चला कि कुछ विशपों ने आरोपित पुजारियों की रक्षा की, उनका स्थानान्तरण अन्य पुरोहिताई जिम्मेवारियों पर किया जबकि कुछ ने यौन अपराध जारी रखे. स्कैण्डल के प्रतिक्रियास्वरूप, चर्च ने दुर्व्यवहार को रोकने के लिए औपचारिक पद्धतियां स्थापित की, किसी दुर्व्यवहार के होने पर रिपोर्टिंग को बढ़ावा दिया और इस रिपोर्ट पर तुरंत कार्यवाही की, हालांकि पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे समूहों ने इसकी प्रभाविता का खंडन किया.<ref>{{cite news|author=David Willey |url=http://www.bbc.co.uk/news/world-europe-10645748 |title=Vatican 'speeds up' abuse cases |publisher=Bbc.co.uk |date=2010-07-15 |accessdate=2010-10-28}}</ref>
 
== सिद्धांत ==
{{See also|Catholic theology|Catholic social teaching}}
कैथोलिक गिरजाघर मानता है कि इस जगत में एक अनन्त परमेश्वर, जो तीन व्यक्तियों के रूप में परस्पर मौजूद है: परमेश्वर पिता, परमेश्वर पुत्र, और पवित्र आत्मा, जो एक साथ मिलकर [[त्रीएक|त्रिमूर्ति (ट्रिनिटी)]] का निर्माण करते हैं. कैथोलिक विश्वास करता है कि गिरजाघर "... पृथ्वी पर यीशु की सतत उपस्थिति है."<ref name="Schreck131">श्रेक, पृष्ठ 131</ref> कैथोलिकों के लिए शब्द "गिरजाघर" परमेश्वर के लोगों को सूचित करता हैं, जो यीशु मसीहके आज्ञा पालन में निरत रहते हैं और और जो..., को संदर्भित करता है, "... मसीह की देह के साथ पोषित होते हैं, वे मनुष्य, मसीह की देह हो जाते हैं.<ref>सीसीसी (CCC),धारा 777, 778</ref> कैथोलिक दावे के साथ कहते हैं कि यह गिरजाघर कैथोलिक गिरजाघर है, जो एक पंथ, पवित्र, कैथोलिक और प्रेरित गिरजाघर, के रूप में वर्णित है, मसीह का सच्चा गिरजाघर है. पोप संबंधी मिस्टीक कोर्पोरिस क्रिस्टी (ईसाई धर्म संबंधी रहस्यवाद) में कैथोलिक गिरजाघर को मसीह के रहस्यात्मक शरीर के रूप में वर्णित किया गया है.
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गिरजाघर शिक्षा देता है कि "मुक्ति के साधन" की परिपूर्णता केवल कैथोलिक गिरजाघर में ही मौजूद है, लेकिन यह भी मानता है कि पवित्र आत्मा ईसाईयत से खुद को अलग किये हुए समुदाय के उद्धार के लिए कार्य कर सकती हैं. यह शिक्षा देता है कि जो कोई भी बचाया जाता है परोक्ष रूप से गिरजाघर के माध्यम से बचाया जाता है, अगर वह व्यक्ति कैथोलिक गिरजाघर और उसके उपदेशों (उदाहरण के लिए, पितृत्व या संस्कृति का एक परिणाम के रूप में) के प्रति अजेय अज्ञान है, तो उसे परमेश्वर द्वारा उसके ह्रदय में बताये गये नैतिक नियमों का पालन करना चाहिए और, इसलिए उसे गिरजाघर से जुड़ जाना चाहिए, यदि वह आवश्यक समझता हैं.<ref name="LumenG3"/> यह शिक्षा देता है कि कैथोलिक को पवित्र आत्मा के द्वारा सभी ईसाइयों के बीच एकता के लिए काम करने के लिए बुलाया गया हैं.<ref name="LumenG3">{{cite web|last=Paul VI|first=Pope|title=Lumen Gentium chapter 2|publisher=Vatican|year=1964|url=http://www.vatican.va/archive/hist_councils/ii_vatican_council/documents/vat-ii_const_19641121_lumen-gentium_en.html|accessdate=2008-03-09}}</ref>
 
इसके सिद्धांत के अनुसार, कैथोलिक गिरजाघर यीशु मसीह के द्वारा स्थापित किया गया था.<ref name="Kreeft98">क्रीफ्ट, पृष्ठ 98, बोली ...एक कैथोलिक होने का मौलिक कारण यह ऐतिहासिक तथ्य है कि कैथोलिक गिरजाघर की स्थापना यीशू मसीह द्वारा की गई थी, यह ईश्वर का आविष्कार था, न कि आदमी का... जैसा कि पिता परमेश्वर ने यीशू को अधिकार दिया (जन 5:22; एमटी 18-20), यूशू मसीह ने इसे आगे अपने प्रेरितों को दे दिया (एलके 10:16), और उन्होंने अपने उत्तराधिकारियों के जिन्हें धर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया था.”</ref> [[नया नियम|नव विधान]] यीशु मसीह के कार्यों और शिक्षाओं को बारह प्रेरितों की नियुक्ति और उनको अपने कार्य जारी रखने के लिए दिए गये अधिकारों का वर्णन करता है.<ref name="Kreeft98"/> गिरजाघर शिक्षा देता है कि यीशु प्रेरितों के नेता के रूप में साइमन पीटर को इस उद्घोषणा के साथ "इस चट्टान से मैं अपने गिरजाघर का निर्माण करूंगा ...मैं तुम्हें स्वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा ... "<ref name="LumenG3"/> नियुक्त किया. गिरजाघर कहता है कि प्रेरितों पर पवित्र आत्मा का आगमन पेंटेकोस्ट के रूप में जाना जायेगा, जो गिरजाघर की सार्वजनिक सेवा की शुरुआत का संकेत हैं. तब से, सभी विधिवत पवित्र धर्माध्यक्षों को प्रेरितों<ref name="OneFaith46">बैरी, पृष्ठ 46</ref> के उत्तराधिकारी माना जाता है, और वे पवित्र प्रेरितों से प्राप्त पवित्र परंपरा को जारी रखते हैं.<ref>सीसीसी (CCC), धारा 76</ref>
 
ट्रेंट की परिषद के अनुसार, मसीह ने सात संस्कार स्थापित कर उन्हें गिरजाघर को सौंप दिया.<ref>सीसीसी (CCC), धारा 1131</ref> इन संस्कारों में, बपतिस्मा, पुष्टि, युकेरिस्ट, सामंजस्य (तपस्या), बीमार को तेल लगाना (पूर्व में चरम लेप या "अंतिम संस्कार"), पवित्र आदेश और पवित्र विवाह के बंधन. संस्कार महत्वपूर्ण दृश्य रिवाज है, जिसे कैथोलिक परमेश्वर की उपस्थिति के रूप में देखते हैं, और उन सभी के लिए परमेश्वर की अनुकम्पा का प्रभावी चैनल मानते हैं, जो उन्हें उचित प्रवृति (''किए गए कार्य से'' ) के साथ प्राप्त करते हैं.<ref>क्रीफ्ट, पीपी 298-299</ref>
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गिरजाघर ने कुछ मेरियन की आभासी छाया की विश्वसनीयता की पुष्टि की हैं, जैसे कि अवर लेडी आफ लूर्डेस, फातिमा, ग्वाडालूप<ref>श्रेक , पृष्ठ 368</ref> और विस्कोंसिन, अमेरिका में लेडी ऑफ गुड होप तीर्थ.<ref>{{Cite news | title=New York Times Article | url=http://www.nytimes.com/2010/12/24/us/24mary.html?_r=1 | work=The New York Times | first=Erik | last=Eckholm | date=23 December 2010}}</ref> इन तीर्थस्थलों की यात्राएं लोकप्रिय कैथोलिक भक्तियां हैं.<ref>{{Cite news| last =Baedeker | first =Rob | title =World's most-visited religious destinations | work =USA Today | date =21 December 2007 | url =http://www.usatoday.com/travel/destinations/2007-12-21-most-visited-religious-spots-forbes_N.htm | accessdate=2008-03-03}}</ref>
 
पाप कर्म में शामिल होने को मसीह के विपरीत होना माना जाता है, एक व्यक्ति की परमेश्वर से समानता को कमजोर करना और उनकी आत्मा को उनके प्रेम से दूर करना माना जाता हैं. पापों की श्रंखला, जिसमें कम गंभीर क्षम्य पापों से लेकर अधिक गंभीर नश्वर पाप जो कि परमेश्वर के साथ एक व्यक्ति के रिश्ते को खत्म करता हैं, शामिल हैं.<ref>सीसीसी (CCC), धारा 1850, 1857</ref> गिरजाघर सिखाता है कि मसीह का जुनून (पीड़ा) और उनको सलीब पर चढ़ाये जाने के प्रति प्रेम, सभी लोगों के लिए अपने पापों से मुक्ति और क्षमा प्राप्ति का एक अवसर हैं, ताकि परमेश्वर से मिलाप हो सके.<ref>सीसीसी (CCC), धारा 608</ref> कैथोलिक विश्वास के अनुसार, यीशु के जी उठने, ने मनुष्यों के लिए एक संभव आध्यात्मिक अमरता प्राप्त की, जो पहले मूल पापों की वजह से उन्हें नहीं दी गई थी.<ref name="Schreck113">श्रेक, पृष्ठ 113.</ref> परमेश्वर के साथ मिलन और मसीह के शब्दों और कर्मों का पालन करके, गिरजाघर का मानना है कि कोई परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकता है, जो कि "... लोगों के दिलों और जीवन पर... परमेश्वर का राज" है.<ref name="OneFaith26">बैरी, पृष्ठ 26</ref>
 
कैथोलिकों का विश्वास हैं कि पुष्टिकरण संस्कार के माध्यम से पवित्र आत्मा को प्राप्त करते हैं, और बप्तिस्मा के समय प्राप्त होने वाला आशीर्वाद सशक्त होता है.<ref name="Schreck230">श्रेक, पृष्ठ. 230</ref> ठीक से पुष्टि के लिए कैथोलिकों को अनुग्रह की अवस्था में होना चाहिए, जिसका अर्थ हैं कि वे स्वीकार नहीं किये जाने वाले नैतिक पापों के विरूद्ध सचेत रहेंगे.<ref name="Catechism of the Catholic Church">सीसीसी (CCC), धारा. 1310, 1319</ref> उन्हें पुष्टिकरण के लिए अध्यात्मिक रूप से तैयार रहना चाहिए, साथ ही अध्यात्मिक सहायता के लिए एक प्रायोजक चुनकर, एक संत का उनके विशेष संरक्षण और हिमायत के लिए चुनाव करना चहिये.<ref name="Schreck230"/> पूर्वी कैथोलिक गिरजाघरों में, बपतिस्मा, जिसमें पुष्टिकरण के तुरंत बाद शिशु बपतिस्मा किया जाता हैं- जिसे इसाईकरण (क्रिस्मेसन)<ref>फौल्क, पृष्ठ 77</ref> के नाम से जाना जाता है.- और परम कृपा का अभिनन्दन माना जाता हैं.<ref name="Catechism of the Catholic Church">सीसीसी (CCC), धारा 1318</ref>
 
बपतिस्मा के बाद, कैथोलिक प्रायश्चित के संस्कार के माध्यम से अपने पापों के लिए क्षमा प्राप्त कर सकते हैं.<ref name="Schreck242">श्रेक, पृष्ठ 242</ref> इस संस्कार में, व्यक्ति एक पादरी के समक्ष अपने पापों को स्वीकार करता हैं, जो तब सलाह प्रदान करता है और एक विशेष प्रकार का प्रायश्चित करने के लिए कहता है. तदुपरांत पादरी मुक्ति की घोषणा करता है, और औपचारिक रूप से व्यक्ति के पापों को क्षमा कर देता है.<ref name="Kreeft344">क्रीफ्ट, पीपी 343-344</ref> पादरी को मना किया गया है,- बहिष्कार के दंड के अंतर्गत किसी भी पाप या बयान के प्रकटीकरण के तहत सुनी गई बातों को प्रकट करने से.<ref>सीसीसी (CCC), धारा 1310, 1385</ref> पापी द्वारा अपने पापों को स्वीकार करने और क्षमा प्राप्त करने के बाद उसे एक क्षमा पत्र गिरजाघर द्वारा प्रदान किया जा सकता हैं. एक क्षमा पत्र नरक में मिलने वाले पापों (जिसे समग्र क्षमा पत्र के नाम से जाना जाता हैं) से आंशिक या पूर्ण रूप से छूट दिला सकता हैं.<ref>[http://www.vatican.va/archive/ENG1104/__P3I.HTM ''कोड ऑफ़ कैनन लॉ, (कैनन'' ] [http://www.vatican.va/archive/ENG1104/__P3I.HTM ''992-997) इन्डलजेंस'' ], [http://www.vatican.va/roman_curia/tribunals/apost_penit/documents/rc_trib_appen_doc_20020826_enchiridion-indulgentiarum_lt.html ''Enchiridion Indulgentiarum'' , चतुर्थ संसकरण, 1999]</ref>
 
गिरजाघर सिखाता है कि, मृत्यु के तुरंत बाद, प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा के बारे में परमेश्वर की ओर से एक विशेष निर्णय प्राप्त होगा जो कि व्यक्ति के सांसारिक जीवन के कर्मों के आधार पर होगा.<ref name="Catechism of the Catholic Church">सीसीसी (CCC), धारा 1021-22, 1051</ref> यह शिक्षण इस बात को इंगित करता हैं कि एक दिन जब मसीह समस्त मानव जाति के लिए सार्वभौमिक न्याय करेंगे. यह अंतिम निर्णय, गिरजाघर शिक्षण के अनुसार, मानव इतिहास का अंत लाने के लिए और एक नए और बेहतर स्वर्ग और पृथ्वी पर परमेश्वर के धर्म -शासन की शुरुआत का प्रतीक होगा.<ref name="Catechism of the Catholic Church">सीसीसी (CCC), धारा. 1038-41</ref> देवदूत मैथ्यू के विस्तृत वर्णन के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा के बारे में निर्णय लिया जायेगा, माना जाता है मैथ्यू के सुसमाचार में निम्नतम लोगों द्वारा किये गये दया के कार्यों को भी शामिल किया जायेगा.<ref name="Matthew25">{{bibleverse||Matthew|25:35–36}}</ref> मसीह के शब्दों पर जोर देते हुए, "हर कोई जो मुझसे कहते हैं, 'हे प्रभु, हे प्रभु,' स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकेंगे, लेकिन वह कर सकता हैं जिसके बारे में मेरे पिता इच्छा करेंगे जो स्वर्ग में है ".<ref name="Schreck397"/>
पंक्ति 151:
अंत में, जिन्होंने पापी और स्वार्थी जीवन जीने के लिए चुना है, और वे उसका पश्चाताप नहीं करते है, और पूरी तरह से अपने तरीके से जीना चाहते हैं, नरक में भेजे जाते हैं जो कि परमेश्वर से एक चिरस्थायी जुदाई होती है.<ref name="Catechism of the Catholic Church">सीसीसी (CCC), धारा 1033-37, 1057</ref> गिरजाघर सिखाता है कि किसी को भी नरक में तब तक नहीं भेजा जाता हैं जब तक कि उसने स्वतंत्र रूप से परमेश्वर को अस्वीकार करने का फैसला नहीं लिया हैं.<ref name="Catechism of the Catholic Church">सीसीसी (CCC), धारा 1058</ref> किसी का भी नरक में जाना पूर्वनिर्धारित नहीं है, और न ही कोई इस बात का निर्णय कर सकता हैं कि किसी की निंदा की गई है या नहीं.<ref name="Catechism of the Catholic Church">सीसीसी (CCC), धारा 1037</ref> रोमन कैथोलिक ईसाई धर्म सिखाता है कि परमेश्वर की दया से कोई व्यक्ति मृत्यु से पहले जीवन के किसी भी बिंदु पर पश्चाताप कर बचाया जा सकता है.<ref name="Luke23">{{bibleverse||Luke|23:39–43}}</ref> कुछ कैथोलिक ब्रह्मविज्ञानियों का विचार हैं कि अबपतिस्मा हुए शिशुओं की आत्माएं जो मूल पाप में मर जाते हैं, वे उपेक्षित स्थान को जाते हैं, हालांकि यह गिरजाघर का अधिकारिक सिद्धांत नहीं है.<ref>{{cite web|url=http://www.catholicculture.org/culture/library/view.cfm?id=7529&CFID=32422018&CFTOKEN=46037657 |title=Library : The Hope of Salvation for Infants Who Die Without Being Baptized |publisher=Catholic Culture |date=2007-01-19 |accessdate=2010-10-28}}</ref>
 
कैथोलिक विश्वासों का नाइसीन पंथ में सारांशित और ''कैथोलिक गिरजाघर की प्रश्नोत्तरी'' में विस्तृत रूप से वर्णन हैं.<ref name="cat">मार्थालेर, प्रस्तावना</ref><ref>{{cite web|last=John Paul II|first=Pope|title=Laetamur Magnopere|publisher=Vatican|year=1997|url=http://www.vatican.va/holy_father/john_paul_ii/apost_letters/documents/hf_jp-ii_apl_15081997_laetamur_en.html|accessdate=2008-03-09}}</ref> धर्मप्रचार में मसीह के वादे के आधार पर, गिरजाघर का मानना है कि यह लगातार पवित्र आत्मा के द्वारा निर्देशित है और इसलिए सैद्धांतिक त्रुटि में गिरने से बिना गलती किए रक्षित हैं.<ref name="LumenG3"/> कैथोलिक गिरजाघर सिखाता है कि पवित्र आत्मा परमेश्वर की सच्चाई को पवित्र धर्मग्रन्थ, पवित्र परंपरा और मैजिस्टीरियम के माध्यम से उद्घाटित करता हैं.{{Citation needed|date=March 2010}} पवित्र धर्मग्रन्थ में 73 कैथोलिक बाइबिल की पुस्तक हैं. इसमें 46 प्राचीन ग्रीक संस्करण की [[पुराना नियम|पूर्व विधान]] की पुस्तकें हैं, जिन्हें सेप्तुआजिन्त<ref name="Schreck21">श्रेक, पृष्ठ. 21</ref> के नाम से जाना जाता हैं और 27 [[नया नियम|नव विधान]] की पुस्तकें जो पहले कोडेक्स वैटिकनस ग्रैकस 1209 में पाया गया और 'अथानासिउस के उनतालीस्वें आनंदित पत्र में सूचीबद्ध हैं.<ref name="Schreck23">श्रेक, पृष्ठ 23</ref> {{#tag:ref|The 73-book Catholic Bible contains the [[Deuterocanonical books|Deuterocanonicals]], books not in the modern [[Hebrew Bible]] and not upheld as [[Biblical canon|canonical]] by most Protestants.<ref name="Schreck21"/> The [[Development of the Christian Biblical canon|process of determining which books were to be considered part of the canon]] took many centuries and was not finally resolved in the Catholic Church until the Council of Trent. |group=note}}
 
पवित्र परंपरा में गिरजाघर द्वारा शिक्षाएं शामिल हैं जिनके बारे में गिरजाघर मानता हैं कि वे प्रेरितों के समय से चली आ रही हैं.<ref name="Schreck16">श्रेक, पीपी 15-19</ref> पवित्र शास्त्र और पवित्र परंपरा सामूहिक रूप से ''"विश्वास की जमा" (दिपोजितम फिदी)'' के रूप में जाना जाता है. इन सबकी व्याख्या मैजिस्टीरियम के द्वारा किया गया हैं (''मैजिस्टर'' का लैटिन अर्थ "शिक्षक") हैं, गिरजाघर के शिक्षण अधिकार, जो पोप और कालेज के धर्माध्यक्ष के साथ संयुक्त रूप से प्रयोग किया जाता है.<ref name="Schreck30">श्रेक, पृष्ठ 30</ref>
 
== पूजा की परंपरा ==
{{See also|Catholic liturgy|Sacraments of the Catholic Church|List of Catholic rites and churches}}
[[चित्र:SFXBasillicaMainAltar.jpg|thumbnail|अग्रभूमि में एक मुक्त खड़ी वेदी के साथ डायर्सविले, आयोवा, में सेंट फ्रांसिस जेवियर की बासीलीका की मूल उच्च वेदी.]]मरणोत्तर भिन्न परंपराये, या संस्कार, जो कैथोलिक चगिरजाघरमें मौजूद हैं, मान्यताओं में अंतर के बजाय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है.<ref>सीसीसी (CCC), धारा 1200-1209</ref> मरने के बाद का सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली क्रिया रोमन संस्कार हैं, परन्तु लैटिन कैथोलिक गिरजाघर में कुछ अन्य संस्कार उपयोग में लाये जाते हैं, और पूर्वी कैथोलिक गिरजाघरों में अलग संस्कार है. वर्तमान में रोमन अनुष्ठान के दो रूप अधिकृत हैं: 1962 के पुर्व की रोमन (पॉल षष्ठम की प्रार्थना) मिसल, जो अब संस्कार का साधारण रूप है, और स्थानीय भाषा में ज्यादातर में मनाया जाता है, जैसे कि लोगों की भाषा, लोगों की भाषा के पद 1969-संस्करणों की है, और 1962 के संस्करण की (''ट्राइडेंटाइन प्रार्थना'' ), अब एक असाधारण रूप हैं.<ref name="Kreeft326">क्रीफ्ट, पीपी 326-327</ref>{{#tag:ref|The [[Trento|Tridentine]] Mass, so called because standardized by [[Pope Pius V]] after the [[Council of Trent]] in the 16th century, was the ordinary form of the Roman-Rite Mass until superseded in 1969 by the Roman Missal of Paul VI; its continued use, in the version found in the 1962 edition of the Missal, is authorized by the 2007 motu proprio ''[[Summorum Pontificum]]''.|group=note}}
 
संयुक्त राज्य अमेरिका में, कुछ "अंग्रेजी प्रयोग"लुप्त होता जा रहा है और कुछ रोमन संस्कार है जो कि अंगरेज़ी के मरणोत्तर संस्कार के कई पहलुओं को बरकरार रखे हुए हैं.{{#tag:ref|In 1980, Pope John Paul II issued a [[Pastoral Provision|pastoral provision]] that allows establishment of personal parishes in which members of the [[Episcopal Church (United States)|Episcopal Church]] (the U.S. branch of the Anglican Communion) who join the Catholic Church retain many aspects of Anglican liturgical rites as a variation of the Roman rite. Such "Anglican Use" parishes exist only in the United States.|group=note}}कार्यान्वयन के लिए 2009 में दी गई निर्माण के लिए स्वीकृति का अभी भी इंतजार किया जा रहा हैं, जहां कही एंग्लिकन गिरजाघर के साथ समन्वय में प्रवेश और अंगरेज़ी परंपरा के तत्व शामिल हैं, का उपयोग किया जा सकता हैं.<ref>{{Cite news| last =Ivereigh | first = Austen| title =Rome's new home for Anglicans | work =The Washington Post | date =21 October 2009 | url =http://newsweek.washingtonpost.com/onfaith/panelists/austen_ivereigh/2009/10/romes_new_home_for_anglicans.html | accessdate=2009-12-07}}</ref> अन्य पश्चिमी संस्कारों में (गैर रोमन) अम्ब्रोसियन अनुष्ठान और मोज़राबिक संस्कार शामिल हैं. पूर्वी कैथोलिक गिरजाघर के द्वारा प्रयोग किये गये संस्कारों में बीजान्टिन संस्कार, अलेक्जेन्द्रिया या कोप्टिक संस्कार, सिरिएक संस्कार, अर्मेनियाई संस्कार, मरोनिते संस्कार, और कलडीन संस्कार शामिल है.
 
युकेरिस्ट, या मास, कैथोलिक पूजा का केंद्र है.<ref>सीसीसी (CCC), धारा 1324-1331</ref> संस्था के शब्द इस संस्कार के लिए धर्म प्रचार और एक पुलिने पत्र से तैयार किया गया है.<ref name="wordsinstit">देखें {{bibleverse||Luke|22:19}}, {{bibleverse||Matthew|26:27–28}}, {{bibleverse||Mark|14:22–24}}, {{bibleverse||1Corinthians|11:24–25}}</ref> कैथोलिक ईसाइयों का मानना है कि प्रत्येक मास में, रोटी और शराब अलौकिक रूप से मसीह के शरीर और खून में रूपांतरित हैं. गिरजाघर सिखाता है कि मसीह के अंतिम भोजन में मानवता के साथ एक नया नियम युकेरिस्ट की संस्था के माध्यम से स्थापित की. क्योंकि गिरजाघर सिखाता है कि मसीह युकेरिस्ट<ref name="Kreeft326">क्रीफ्ट, पृष्ठ. 326</ref> में मौजूद है, इसलिए इसकी समारोह के आयोजन और स्वागत के बारे में सख्त नियम हैं. कैथोलिक को कम से कम समन्वय प्राप्त करने से एक घंटे पहले खाने से बचना चाहिए.<ref name="Kreeft331">क्रीफ्ट, पृष्ठ 331</ref>
 
जो नश्वर पाप के एक राज्य के बारे में सचेत हैं, इस संस्कार से वंचित किये जा रहे हैं जब तक कि वे सुलह (प्रायश्चित) के संस्कार के माध्यम से मुक्ति प्राप्त नहीं करते है.<ref name="Kreeft331"/> कैथोलिकों को प्रोटेस्टेंट गिरजाघर में समन्वय प्राप्त करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि पवित्र आदेश और युकेरिस्ट के बारे में उनकी अलग अलग मान्यताये और तरीके हैं.<ref>सीसीसी (CCC), धारा 1400</ref> इसी तरह, प्रोटेस्टेंट को कैथोलिक गिरजाघर में समन्वय प्राप्त करने की अनुमति नहीं है. पूर्वी ईसाइयत के गिरजाघरों के संबंध में, कैथोलिक गिरजाघर कम प्रतिबंधक है पवित्र के साथ समन्वय में नहीं. सेकरिस के साथ एक निश्चित समन्वय और इसी तरह इयुकेरिस्ट के बारे में घोषणा करते हुए, उपयुक्त परिस्थितियों और गिरजाघर प्राधिकारी के अनुमोदन, में केवल संभव नहीं है, परन्तु प्रोत्साहित किया जाता है. "<ref>[http://www.vatican.va/archive/ENG0015/__P42.HTM सीसीसी (CCC), धारा 1399]</ref>
 
== संगठन और जनसांख्यिकी ==
=== पदानुक्रम कर्मी, और संस्थाएं ===
{{Main|Catholic Church hierarchy}}
[[चित्र:Perugino Keys.jpg|thumb|right|alt=Painting of a group of men in a piazza, a long haired man giving a key to a kneeling man. |गिरजाघर मानता है कि मसीह ने पोप का पद स्थापित किया था, संत पीटर के लिए स्वर्ग की चाबी देने पर, पिएत्रो पेरुजिनो द्वारा एक फ्रेस्को में (1481-1482), सिस्टिन चैपल, वेटिकन.]]
गिरजाघर के अनुक्रम का नेतृत्व रोम के धर्माध्यक्ष पोप द्वारा किया जाता है.<ref name="Kreeft109">क्रीफ्ट, पृष्ठ 109.</ref> इस कार्यालय के बल पर, यह रोमन प्रांत के पाधान धर्माध्यक्ष और महानगरीय, इटली के धर्माधिपति, लेटिन गिरजाघर के आचार्य, तथा सार्वलौकिक गिरजाघर के श्रेष्ठ धर्माध्यक्ष आदि के रूप में भी कार्य करते है. धर्माध्यक्ष के रूप में, वे ईसा मसीह के प्रतिनिधि हैं तथा रोम के धर्माध्यक्ष के रूप में वे संतों के उत्तराधिकारी हैं. पीटर और पॉल तथा परमेश्वर के सेवकों के सेवक.<ref name="bunson">.{{harvnb|Bunson|2008|p=273}}</ref> वे वेटिकन सिटी के प्रधान भी हैं.<ref>{{Cite news|title=Country profile: Vatican|work=BBC News|url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/europe/country_profiles/1066140.stm|accessdate=2008-03-09}}</ref>
 
प्रशासन में सलाह और सहायता के लिये, पोप शायद अनुक्रम के अगले स्तर कॉलेज़ के प्रधान में बदल सकते हैं.<ref name="McDonough227">मैकडोनोह (1995), पृष्ठ 227</ref> पोप की मृत्यु होने पर या इस्तीफा देने पर,{{#tag:ref|The last resignation occurred in 1415, as part of the [[Council of Constance]]'s resolution of the [[Avignon Papacy]].<ref name=duffy415>Duffy (1997), p. 415</ref>|group=note}} 80 साल की उम्र के अंतर्गत जो कॉलेज़ के धर्म प्रधान सदस्य आते हैं वे मिलकर नये पोप का चुनाव करते हैं.<ref name="duffy416">डफी (1997), पृष्ठ 416</ref> हालांकि कैथोलिक सम्मेलन किसी भी पुरूष कैथोलिक को सैद्धांतिक रूप से पोप नियुक्त कर सकता था, 1389 के बाद से केवल प्रधानों को ही उस स्तर तक उठाया गया है.<ref name="duffy417and18">डफी (1997), पीपी 417-8</ref>
 
कैथोलिक गिरजाघर में 2008 तक, 2795 धर्मप्रदेश शामिल थे,<ref name="sees">वेटिकन, ''एनुएरियो पॉर्टिफिसियो'' 2009 , पृष्ठ 1172.</ref> और इन सबकी देख रेख धर्माध्यक्ष द्वारा की जाती थी. धर्मप्रदेश व्यक्तिगत समुदायों में विभाजित किये जाते हैं जिन्हे बस्ती कहा जाता है, हर एक में एक से ज्यादा पादरियों, छोटे पादरियों, तथा धर्माध्यक्षों के सह कार्यकर्ताओं को काम पर रखा जाता है.<ref name="OneFaith52">बैरी, पृष्ठ 52</ref> छोटे पादरियों, पादरियों तथा धर्माध्यक्षों सहित सभी पुरोहित प्रवचन देना, सिखाना, नाम रखना, गवाह विवाह कराना तथा अंतिम संस्कार की पूजन पद्धति कराना आदि काम कर सकते हैं.<ref>{{cite web|title=Frequently Asked Questions About Deacons|url=http://www.usccb.org/deacon/faqs.shtml|author=Committee on the Diaconate|publisher=United States Conference of Catholic Bishops|accessdate=2008-03-09}}</ref> केवल धर्माध्यक्ष और पादरियों को युहरिस्ट, मिलाप (प्रायश्चित्त) तथा बीमार का अभिषेक कराना आदि संस्कार कर वाने की इज़ाज़त थी.<ref>[http://www.intratext.com/IXT/ENG1199/_P16.HTM कैनन 42] कैथोलिक गिरजाघर कैनन कानून. 09-03-2008 को पुनःप्राप्त.</ref><ref>[http://www.vatican.va/archive/ENG1104/__P1D.HTM कैनन 375], कैथोलिक गिरजाघर कैनन कानून. 09-03-2008 को पुनःप्राप्त.</ref> केवल धर्माध्यक्ष ही पवित्रा आदेशों का संस्कार कर सकते हैं, जिसकी नियुक्ति किसी के द्वारा पोरोहितों में होती है.<ref name="OneFaith114">बैरी, पृष्ठ 114.</ref>
 
पुरोहितों में नियुक्त कौन होगा इस पर गिरजाघर ने नियम बनाये हैं. लेटिन अधिकारों में, पुरोहिताई आम तौर पर अविवाहितों के लिये ही रक्षित है.<ref name="CCL1031">[http://www.vatican.va/archive/ENG1104/__P3Q.HTM कैनन 1031] कैथोलिक गिरजाघर कैनन कानून. 09-03-2008 को पुनःप्राप्त.</ref><ref name="CCL1037">[http://www.vatican.va/archive/ENG1104/__P3R.HTM कैनन 1037], कैथोलिक गिरजाघर कैनन कानून. 09-03-2008 को पुनःप्राप्त.</ref> पुरुष, जो पहले ही शादी कर चुके है उनकी नियुक्ति पूर्वी कैथोलिक गिरजाघरों में की जाती है,<ref>{{cite news|last=Niebuhr|first=Gustav|title=Bishop's Quiet Action Allows Priest Both Flock And Family|work=The New York Times|date=16 February 1997|url=http://query.nytimes.com/gst/fullpage.html?res=9C07EEDD133FF935A25751C0A961958260&sec=&spon=&pagewanted=all|accessdate=2008-04-04}}</ref> और जो किसी अधिकार के तहत छोटे पादरी भी बन सकते हैं.<ref name="CCL1031"/><ref name="CCL1037"/> वेटिकन के मुताबिक, 2005 से 0.18 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, 2007 के रूप में वहां 408,024 पादरी थे. पादरियों की संख्या यूरोप (6.8 प्रतिशत) तथा ओशिनिया (5.5 प्रतिशत) में कम हुई थी, मोटे तोर पर अमेरिका में वही रही, तथा अफ्रीका (27.6 प्रतिशत) और एशिया (21.1 प्रतिशत) मे बढ़ोतरी हुई.<ref name="cathstats">{{cite web|title=Vatican: Priest numbers show steady, moderate increase|publisher=Catholic News Service|date=2 March 2009|url=http://www.americancatholic.org/news/newsreport.aspx?id=759|accessdate=2008-03-09}}</ref>
 
नियुक्त हुए कैथोलिक, के साथ ही साथ जन-साधारण के सदस्य, ननों और साधुओं की तरह पवित्र जीवन अपना सकते हैं. एक उम्मीदवार तीन इसाई धर्म संम्बन्धी पवित्रता के परामर्श, गरीबी तथा आज्ञाकारिता आदि का पालन करने की अपनी इच्छा सुनिश्चित करते हुए शपथ लेता है.<ref name="Canons573-746">[http://www.vatican.va/archive/ENG1104/__P1Y.HTM कैनन कानून 573-746] कैथोलिक गिरजाघर कैनन कानून. 09-03-2008 को पुनःप्राप्त.</ref> अधिकतर साधू तथा नन एक तपस्वी के समान या धार्मिक व्यव्स्था में प्रवेश करते हैं,<ref name="Canons573-746"/> जैसे कि संत बेनिडिक्ट के अनुयायी, रोमन कैथोलिक तपस्वी, डोमीनिसियंस, फ्रांसिसकंस, तथा दया की बहने.<ref name="Canons573-746"/>
 
=== सदस्यता ===
{{See|Catholicism by country}}
 
1950 के 437 मिलियन<ref name="Froehle5">फ्रोएहले, पीपी 4–5</ref> और 1970 के 654 मिलियन<ref>{{cite news|last=Bazar|first=Emily|title=Immigrants Make Pilgrimage to Pope|work=USA Today|date=16 April 2008|url=http://www.usatoday.com/news/religion/2008-04-15-popeimmigrants_N.htm|accessdate=2008-05-03}}</ref> के आंकड़ों में और वृद्धी करते हुए, 2007 में गिरजाघर की सदस्यता संख्या 1.147 मिलियन थी.<ref name="cathstats"/> दुनिया की आबादी (10.77%) की वृद्धि दर से थोड़ा सा अधिक, सन 2000 में उसी दिन के उपर 11.54 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 31 दिसम्बर 2008 में सदस्यता संख्या 1.166 बिलियन थी. अफ्रीका में वृद्धि 33.02 प्रतिशत थी, लेकिन यूरोप में केवल 1.17 प्रतिशत ही थी. यह एशिया में 15.91 प्रतिशत, ओशिनिया में 11.39 प्रतिशत, और अमेरिका में 10.93 प्रतिशत थी. नतीजतन, कैथोलिक अफ्रीका में कुल जनसंख्या का 17.77 प्रतिशत थे, अमेरिका में 63.10 प्रतिशत, एशिया में 3.05 प्रतिशत, यूरोप में 39.97 प्रतिशत, ओशिनिया में 26.21 प्रतिशत तथा विश्व की जनसंख्या का.17.40 प्रतिशत थे. अफ्रीका में रहने वालों का अनुपात 2000 में 12.44 प्रतिशत से बढ़्कर 2008 में 14.84 प्रतिशत हुआ, जबकि यूरोप में रहने वालों का 26.81 प्रतिशत से 24.31 प्रतिशत गिरा.<ref name="Zenit"/>
कैथोलिक गिरजाघर की सदस्यता बपतिस्मा के माध्यम से उपलब्ध हो जाती है. <ref>[http://www.vatican.va/archive/ENG1104/__P3.HTM कोड ऑफ़ कैनन लॉ, कैनन 11.] 09-03-2008 को पुनःप्राप्त.</ref> अगर कोई औपचारिक रूप से गिरजाघर छोड़ता है, यह तथ्य व्यक्ति के बपतिस्मा के रजिस्टर में नोट किया जाता है.
 
== संदर्भ और टिप्पणियां ==
=== फुटनोट्स ===
{{Reflist|group=note}}
 
=== प्रशंसात्मक उल्लेख ===
{{Reflist|colwidth=30em}}
 
== ग्रन्थसूची ==
{{Refbegin}}
{{Colbegin}}
* {{cite web|title=Canon 42|url=http://www.vatican.va/archive/ENG1104/_INDEX.HTM|publisher=Vatican|work=1983 [[Canon law (Catholic Church)|Code of Canon Law]]|accessdate=9 March 2008}}
* {{cite web|title=''Catechism of the Catholic Church''|publisher=Libreria Editrice Vaticana|year=1994|url=http://www.vatican.va/archive/catechism/ccc_toc.htm|accessdate=8 February 2008}}
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* बौएर, सुसान वाइज़ (2010). ''द हिस्ट्री ऑफ़ मिडिवल वर्ल्ड: फ्रॉम द कनवर्ज़न ऑफ़ कौन्सटैनटाइन टू द फर्स्ट क्रुसेड.'' नॉर्टन. ISBN 978-0-393-05975-5.
* बेथेल, लेसली (1984). ''द कैम्ब्रिज हिस्ट्री ऑफ़ लैटिन अमेरिका.'' कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी प्रेस. ISBN 0-521-23225-2.
* बोकेंकोटर, थॉमस (2004). ''अ कॉन्साइस हिस्ट्री ऑफ़ द कैथलिक गिरजाघर.'' डबलडे. ISBN 0-385-50584-1.
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