"कोरबा": अवतरणों में अंतर
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== भूगोल ==
कोरबा की स्थिति {{coord|22.35|N|82.68|E|}}.<ref>[http://www.fallingrain.com/world/IN/37/Korba.html Falling Rain Genomics, Inc - Korba]</ref> पर है। यहां की औसत ऊंचाई है २५२ मीटर (826 फीट).
== प्रमुख आकर्षण ==
=== चैतुरगढ़ ===
चैतुरगढ़ को लाफागढ़ के नाम से भी जाना जाता है। कोरबा जिला मुख्यालय से 70 कि.मी. दूर पाली के पास 3060 मी. ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसका निर्माण राजा पृथ्वी देव ने कराया था। यह एक किले जैसा लगता है। इसमें तीन प्रवेश द्वार हैं। इन प्रवेश द्वारों के नाम मेनका, हुमकारा और सिम्हाद्वार हैं।
चैतुरगढ़ का क्षेत्रफल 5 वर्ग कि.मी. है, और इसमें पांच तालाब हैं। इन पांच तालाबों में तीन तालाब सदाबहार हैं, जो पूरे वर्ष जल से भरे होते हैं। चैतुरगढ़ में महिषासुर मर्दिनी मन्दिर है। मन्दिर के गर्भ में महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसके बारह हाथ हैं।
मन्दिर के पास खूबसूरत शंकर गुफा भी है, जो लगभग 25 फीट लंबी है। गुफा का प्रवेश द्वार बहुत छोटा है। इसलिए पर्यटकों को गुफा में प्रवेश करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। मन्दिर और गुफा देखने के अलावा पर्यटक इसकी प्राकृतिक सुन्दरता की झलकियां भी देख सकते हैं। वह यहां पर पर वन्य पशु-पक्षियों को देख सकते हैं।
=== कोसगाईगढ़ ===
कोरबा-कटघोरा रोड पर फुटका पहाड़ की चोटी पर स्थित कोसगाईगढ़ बहुत खूबसूरत है। यह समुद्र तल से 1570 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। कोसागाईगढ़ में एक खूबसूरत किला है। इसका प्रवेश द्वार एक गुफा की भांति है और यह इतना संकरा है कि इसमें से एक बार में केवल एक व्यक्ति गुजर सकता है। किले के चारों तरफ घना जंगल है, जिसमें अनेक प्रजाति के वन्य पशु-पक्षियों को देखा जा सकता है। कोसगाईगढ़ में पर्यटक किले के अलावा भी अनेक ऐतिहासिक अवशेषों देख सकते हैं। यहां स्थित माता कोसगाई के मंदिर की अपनी महिमा है, मंदिर में माता की इच्छानुरुप छत नहीं बनाया गया है।
=== मड़वारानी ===
कोरबा जिला मुख्यालय से 22 कि.मी. की दूर कोरबा-चांपा रोड पर मड़वारानी मन्दिर स्थित है। यह मन्दिर एक चोटी पर बना हुआ है और मदवरानी देवी को समर्पित है। स्थानीय निवासी के अनुसार सितम्बर-अक्टूबर में नवरात्रों में यहां पर कल्मी के वृक्ष के नीचे ज्वार उगती है। नवरात्रों में यहां पर स्थानीय निवासियों द्वारा भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में स्थानीय निवासियों के साथ पर्यटक भी बड़े उत्साह से भाग लेते हैं।
=== सर्वमंगला मंदिर ===
कोरबा शहर से लगा हुआ दुर्गा देवी को समर्पित सर्वमंगला मन्दिर कोरबा के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। इसका निर्माण कोरबा के जमींदर राजेश्वर दयाल के पूर्वजों ने कराया था। सर्वमंगला मन्दिर के पास त्रिलोकीनाथ मन्दिर, काली मन्दिर और ज्योति कलश भवन हैं। पर्यटक इन मन्दिरों के दर्शन भी कर सकते हैं। इन मन्दिरों के पास एक गुफा भी जो नदी के नीचे से होकर गुजरती है। कहा जाता है कि रानी धनराज कुंवर देवी इस गुफा का प्रयोग मन्दिरों तक जाने के लिए किया करती थी।
== आवागमन ==
;रेल मार्ग
कोरबा तक जाने के लिए रेल मार्ग एक बेहतर जरिया हैं। एक्सप्रेस गाड़ियों में कोरबा-यशवंतपुर (वेनगंगा एक्सप्रेस), कोरबा-अमृतसर (छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस), कोरबा(बिलासपुर)-नागपुर (शिवनाथ एक्सप्रेस) और कोरबा-तिरुअनंतपुरम (कोचिन एक्सप्रेस) के अलावा कई लोकल ट्रेने [[बिलासपुर]] से कोरबा के लिए चलती हैं। हावड़ा-मुंबई रुट से अलग होने की वजह से कोरबा जाने वाले यात्रियों के लिए हावड़ा-मुंबई रूट पर चलने वाली कई ट्रेनों को निकटस्थ रेलवे स्टेशन [[चांपा]] में स्टापेज दिया जाता है।
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कोरबा सड़क मार्ग द्वारा छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
== संदर्भ ==
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