"कोलकाता की संस्कृति": अवतरणों में अंतर

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==संस्कृति==
{{See also|उल्लेखनीय कोलकातावासी }}
[[Imageचित्र:Kolkatatemple.jpg|thumb|[[दक्षिणेश्वर काली मंदिर]] , कोलकाता]]
[[Imageचित्र:Kolkata Tipu Sultan's Mosque3.jpg|thumb| [[टीपू सुल्तान मस्जिद]]]]
[[Imageचित्र:India Education .jpg|thumb|कोलकाता पूर्वी-भारत की संस्कृति का केन्द्र है। यहां का [[राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता]]]]
कोलकाता को लंबे समय से अपने साहित्यिक, क्रांतिकारी और कलात्मक धरोहरों के लिए जाना जाता है। भारत की पूर्व राजधानी रहने से यह स्थान आधुनिक भारत की साहित्यिक और कलात्मक सोच का जन्मस्थान बना। कोलकातावासियों के मानस पटल पर सदा से ही कला और साहित्य के लिए विशेष स्थान रहा है। यहां नयी प्रतिभाको सदा प्रोत्साहन देने की क्षमता ने इस शहर को अत्यधिक सृजनात्मक ऊर्जा का शहर (सिटी ऑफ फ़्यूरियस क्रियेटिव एनर्जी) बना दिया है।<ref name=sinha>{{cite book
|author =Sinha P |year=1990 |title=Kolkata — The Living City. Volume 1: The Past
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कोलकाता में बहुत सी इमारतें [[गोथिक स्थापत्य|गोथिक]], [[बरोक स्थापत्य|बरोक]], [[रोमन स्थापत्य|रोमन]] और [[इंडो-इस्लामिक स्थापत्य]] शैली की हैं। ब्रिटिश काल की कई इमारतें अच्छी तरह से संरक्षित हैं व अब धरोहर घोषित हैं, जबकि बहुत सी इमारतें ध्वंस के कगार पर भी हैं। [[१८१४]] में बना [[भारतीय संग्रहालय]] [[एशिया]] का प्राचीनतम संग्रहालय है। यहां [[भारतीय इतिहास]], प्राकृतिक इतिहास और भारतीय कला का विशाल और अद्भुत संग्रह है। <ref name=indianmuseumkolkata>{{cite web
|publisher=The Indian Museum of Kolkata | url=http://www.indianmuseumkolkata.org/history.html | title=History of Indian museum | accessdate=2006-04-23}}</ref> [[विक्टोरिया मेमोरियल]] कोलकाता का प्रमुख [[कोलकाता के दर्शनीय स्थल|दर्शनीय स्थल]] है। यहां के संग्रहालय में शहर का इतिहास अभिलेखित है। यहां का [[भारतीय राष्ट्रीय पुस्तकालय]] भारत का एक मुख्य और बड़ा पुस्तकालय है। [[फाइन आर्ट्स अकादमी, कोलकाता|फाइन आर्ट्स अकादमी]] और कई अन्य कला दीर्घाएं नियमित कला-प्रदर्शनियां आयोजित करती रहती हैं।
=== नाटक ===
शहर में नाटकों आदि की परंपरा जात्रा, थियेटर और सामूहिक थियेटर के रूप में जीवित है। यहां [[हिन्दी चलचित्र ]] भी उतना ही लोकप्रिय है, जितना कि [[बांग्ला चलचित्र, जिसे [[टॉलीवुड]] नाम दिया गया है। यहां का फिल्म उद्योग [[टॉलीग्ण्ज]] में स्थित है। यहां के लंबे फिल्म-निर्माण की देन है प्रसिद्ध [[फिल्म निर्देशक]] जैसे [[सत्यजीत राय]], [[मृणाल सेन]], [[तपन सिन्हा]] और [[ऋत्विक घटक]]। इनके समकालीन क्षेत्रीय निर्देशक हैं, [[अपर्णा सेन]] और [[रितुपर्णो घोष]]।
=== खाना ===
[[बंगाली खाना| कोलकाता के खानपान]] के मुख्य घटक हैं [[चावल]] और [[माछेर झोल]],<ref name=machhe>{{cite web
|url=http://govdocs.aquake.org/cgi/reprint/2003/1201/12010300.pdf
|title=Development of freshwater fish farming and poverty alleviation: A case study from Bangladesh|accessdate=2006-10-22|author=Gertjan de Graaf, Abdul Latif
|publisher=Aqua KE Government|format=PDF}}</ref> और संग में [[रसगुल्ला|रॉसोगुल्ला]] और [[मिष्टि दोइ]] डेज़र्ट के रूप में। बंगाली लोगों के प्रमुख मछली आध्जारित व्यंजनों में [[हिल्सा मछली|हिल्सा व्यंजन]] पसंदीदा हैं। अल्पाहार में [[बेगुनी]] ([[बैंगन भाजा]]), [[काठी रोल]], [[फुचका]] और [[चाइना टाउन, कोलकाता|चाइना टाउन]] के [[चीनी व्यंजन]] शहर के पूर्वी भाग में अधिक लोकप्रिय हैं।<ref name=rolltelegraph>{{cite news
|first = S |last=Saha
|title=Resurrected, the kathi roll - Face-off resolved, Nizam's set to open with food court
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|url=http://www.bangalinet.com/mobile_foodstalls.htm|title=Mobile food stalls|accessdate=2006-10-26|publisher=Bangalinet.com}}</ref>
 
बंगाली महिलायें सामान्यतया [[साड़ी]] ही पहनती हैं। इनकी घरेलु तौर पर साड़ी पहनने की एक विशेष शैली होती है, जो खास बंगाली पहचान है। साड़ियों में यहां की बंगाली सूती और रेशमी विश्व-साड़ियां प्रसिद्ध हैं, जिन्हें [[तांत]] नाम दिया गया है। पुरुषों में प्रायः पश्चिमी पेन्ट-शर्ट ही चलते हैं, किंतु त्यौहारों, मेल-मिलाप आदि के अवसरों पर सूती और रेशमी तांत के कुर्ते धोती के साथ पहने जाते हैं। यहां पुरुषों में भी धोती का छोर हाथ में पकड़ कर चलने का चलन रहा है, जो एक खास बंगाली पहचान देता है। धोती अधिकांशातः श्वेत वर्ण की ही होती है।
=== दुर्गा पूजा ===
[[दुर्गा पूजा]] कोलकाता का सबसे महत्त्वपूर्ण और चकाचौंध वाला उत्सव है। <ref name=durgapuja>{{cite web
|url=http://www.wbtourism.com/fairs_festivals/durga.htm
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|publisher=पश्चिम बंगाल पर्य़टन, प.बं.सरकार
}}</ref> यह त्यौहार प्रायः [[अक्तूबर]] के माह में आता है, पर चौथे वर्ष [[सितंबर]] में भी आ सकता है। अन्य उल्लेखनीय त्यौहारों में [[जगद्धात्री]] पूजा, [[पोइला बैसाख]], [[सरस्वती पूजा]], [[रथ यात्रा]], [[पौष पॉर्बो]], [[दीवाली]], [[होली]], [[क्रिस्मस]], [[ईद]], आदि आते हैं। सांस्कृतिक उत्सवों में [[कोलकाता पुस्तक मेला]], [[कोलकाता फिल्मोत्सव]], [[डोवर लेन संगीत उत्सव]] और [[नेशनल थियेटर फेस्टिवल]] आते हैं।
=== संगीत ===
नगर में [[भारतीय शास्त्रीय संगीत]] और बंगाली लोक संगीत को भी सराहा जाता रहा है।
=== साहित्य ===
[[१९वीं शताब्दी| उन्नीसवीं]] और [[बीसवीं शताब्दी]] से ही [[बंगाली साहित्य]] का आधुनिकिकरण हो चुका है। यह आधुनिक साहित्यकारों की रचनाओं में झलकता है, जैसे [[बंकिम्चंद्र चट्टोपाध्याय]], [[माइकल मधुसूदन दत्त]], [[रविंद्रनाथ ठाकुर]], [[काजी नज़रुल इस्लाम]] और [[शरतचंद्र चट्टोपाध्याय]], आदि। इन साहित्यकारों द्वारा तय की गयी उच्च श्रेणी की साहित्य परंपरा को [[जीबनानंददास]], [[बिभूतिभूषण बंधोपाध्याय]], [[ताराशंकर बंधोपाध्याय]], [[माणिक बंदोपाध्याय]], [[आशापूर्णा देवी]], [[शिशिरेन्दु मुखोपाध्याय]], [[बुद्धदेव गुहा]], [[महाश्वेता देवी]], [[समरेश मजूमदार]], [[संजीव चट्टोपाध्याय]] और [[सुनील गंगोपाध्याय]] ने आगे बढ़ाया है।
साठ के दशक में भुखी पीढी नाम से एक साहित्य आंदोलन हुया था जो कोलकाता ही नहीं परन्तु सारे बंगाल को हिला कर रख दिया था। बंगाल के संस्कृतिको वे लोग काफि प्रभावित किये। गवेषकों का कहना है कि यह आंदोलन आनेवाले नकसल आंदोलन का पैगाम ले कर आया था, हालांकि भुखी पीढीके लोग मार्कसवादी न्हीं थे। आंदोलनकारियों में प्रमुख हैं [[सुबिमल बसाक]], [[मलय रायचौधुरी]], [[शक्ति चट्टोपाध्याय]], [[त्रिदिब मित्रा]], [[समीर रायचौधुरी]], [[देबी राय]], [[अनिल करनजय]], [[बासुदेब दाशगुप्ता]], [[प्रदीप चौधुरी]], [[फालगुनि राय]] आदि।
 
१९९० के आरंभिक दशक से ही भारत में जैज़ और रॉक संगीत का उद्भव हुआ था। इस शाइली से जुड़े कई बांग्ला बैण्ड हैं, जिसे जीबोनमुखी गान कहा जाता है। इन बैंडों में चंद्रबिंदु, कैक्टस, इन्सोम्निया, फॉसिल्स और लक्खीचरा आदि कुछ हैं। इनसे जुड़े कलाकारों में कबीर सुमन, नचिकेता, अंजना दत्त, आदि हैं।
 
== संदर्भ ==
<references />