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'''क्रमचय-संचय''' (Combinatorics) [[गणित]] की शाखा है जिसमें गिनने योग्य [[विवर्त]] (discrete) संरचनाओं ( structures) का अध्ययन किया जाता है।
[[शुद्ध गणित]], [[बीजगणित]], [[प्रायिकता सिद्धांत]], [[टोपोलोजी]] तथा [[ज्यामिति]] आदि गणित के विभिन्न क्षेत्रों में क्रमचय-संचय से संबन्धित समस्याये पैदा होतीं हैं। इसके अलावा क्रमचय-संचय का उपयोग [[इष्टतमीकरण]] (आप्टिमाइजेशन), [[संगणक विज्ञान]], एर्गोडिक सिद्धांत (ergodic theory) तथा [[सांख्यिकीय भौतिकी]] में भी होता है। [[ग्राफ सिद्धांत]], क्रमचय-संचय के
== इतिहास ==
क्रमचय-संचय से संबंधित सरल प्रश्न काफी प्राचीन काल से ही उठते और हल किये जाते रहे हैं। ६ठी शताब्दी ईसा पूर्व में [[भारत]] के महान आयुर्विज्ञानी [[सुश्रुत]] ने [[सुश्रुतसंहिता]] में कहा है कि ६ भिन्न स्वादों के कुल ६३ संचय (कंबिनेशन) बनाये जा सकते हैं ( एक बार
बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में क्रमचय-संचय के अध्ययन ने त्वरित गति प्राप्त की और इस विषय के दर्जनों जर्नल अस्तित्व में आये तथा इस विषय पर कई [[संगोष्ठी|संगोष्ठियाँ]] हुईँ।
== इन्हें भी देखें ==
* [[सांयोगिकी का इतिहास]]
* [[क्रमचय]]
* [[संचय]]
* [[प्रायिकता]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
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