"क्रेन": अवतरणों में अंतर

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[[Imageचित्र:Crane machine slewing platform.svg|thumb|आधुनिक क्राउलर [[डेरिक]] क्रेन]]
[[Imageचित्र:Old crane at Victoria & Alfred.jpg|thumb|right|एक पुरानी क्रेन]]
'''क्रेन''' (crane) भारी चीजों को उठाने की मशीन है। क्रेन में एक या अधिक [[सरल मशीन|सरल मशीनें]] लगी होतीं हैं जो वस्तुओं को उठाने के लिये [[यांत्रिक लाभ]] प्रदान करतीं हैं ताकि वे वस्तुएं भी उठायी जा सकें जो सामान्य मानव के उठाने की क्षमता के परे हैं। प्राय: [[यातायात]] उद्योग में क्रेनों का बहुत उपयोग होता है। इसी प्रकार निर्माण उद्योगों में भी भारी भागों को असेम्बल करने के लिये क्रेन से उठाना पड़ता है।
 
== परिचय ==
क्रेन भारी मशीनों और उनके भागों को एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थानों पर ले जानेवाला यंत्र। हाथ की शक्ति से किसी भारी वस्तु को अधिक ऊँचा उठाना कठिन है इसलिये इस प्रकार के भारी काम क्रेनों से लिए जाते हैं। कई प्रकार के क्रेनों का आकल्पन हुआ है और कामों के अनुसार उनका उपयोग होता है। कुछ क्रेन ऐसे हैं जो अपने स्थान पर स्थिर रहते है। ये भार या मशीनों को उठाकर केवल एक ही क्षैतिज दिशा में ले जा सकते हैं। यदि क्रेनों के नीचे चक्र लगा दिए जाए तो ये क्रेन भार को एक स्थान पर भी ढोकर ले जाते हैं। क्रेन शब्द से मूलत: अभिप्राय उस लंबी छड़ से ही है, जिसके द्वारा भार या मशीनों का उठाया जाता है, परंतु अब पूरी मशीन को ही क्रेन कहते हैं। इस प्रकार छड़, घिरनियाँ और इनके चलानेवाले भागों के सम्मिलित रूप को क्रेन कहते हैं। उपयोगिता के कारण क्रेनों का विशेष प्रचलन हो गया है। कारखानों में भारी मशीनों को यथास्थान स्थापित करने और बुनाई हुई चीजों को उठाकर ले जाने के काम में ये आते हैं। जिन स्थानों पर नदी, नाले या बाँध बनाए जा रहे हों वहाँ ये मिट्टी उठाने के काम में भी आते हैं। तों काम हाथ से महीनों में नहीं हो सकता है वह इन क्रेनों से कुछ घंटों में ही हो सकता है।
 
== कार्य करने का सिद्धांत ==
[[चित्र:Four pulleys.svg|right|thumb|300px|कम बल लगाकर भी अधिक भार उठाना: चार विभिन्न घिरनी-तंत्रों में समान भार उठाने के लिये अलग-अलग बल लगाना पड़ता है।]]
क्रेन के काम करने के नियम को समझने के लिये पार्श्व चित्र की घिरनियाँ देखें। इसमें ऊपर नीचे दो दो घिरनियाँ हैं और एक ही रास्सा सब घिरनियों पर से होता हुआ भार तक चला जाता है। बिंदु 1 पर बल लगाने से रस्सा खिंचना आरंभ होगा और भार ऊपर को उठने लगेगा। मान लें, भार एक फुट ऊपर उठता है, तो रस्से की चार लंबाइयाँ कम होकर भार को एक फुट उठाएँगी, क्योंकि सब घिरनियों पर से रस्से की चार फुट लंबाइयाँ गई हैं। अत: भार को एक फुट उठाने के लिये रस्से को चार फुट खींचना होगा। इससे पूरा भार चारों रस्सों पर बँट जायगा और भार को उठाने के लिये भार से कम बल की आवश्यकता होगी। इसी प्रकार की घिरनियाँ क्रेन में भी लगी होती हैं जहाँ भार के उठते ही क्रेन की छड़ भी चलने लगती है और भार खड़ी तथा क्षैतिज दिशा में ले जाया जाता है।
 
== प्रकार ==
क्रेन दो प्रकार के होते हैं, एक घूमनेवाला, दूसरा न घूमनेवाला। घूमनेवाले क्रेन वे हैं जिनसे भार को उठाकर क्षैतिज दिशा में कहीं पर भी डाला जा सकती है। इनमें कुछेक ऐसे हैं जो अपने स्थान से चारों ओर घूम जाते है और कुछ वे हैं जो केवल 1800 के कोण पर ही घूमते हैं। इस प्रकार के क्रेनों को बाहु-क्रेन (Jib crane) कहा जाता है। दूसरे प्रकार के क्रेन वे हैं जिनसे भार को उठाकर क्रेन को आगे या पीछे, दाएँ या बाएँ करके, दूसरे स्थान पर रखा जा सकता है। इस प्रकार के क्रेन कारखानों में छतों के नीचे लगाए जाते हैं। इन को उपरि (over head) क्रेन कहा जाता हैं, क्योंकि ये सिरों के ऊपर ही ऊपर चलते हैं। इन क्रेनों से साज सामान उठाकर कारखाने के किसी कोने में कहीं पर भी रखा जा सकता है।
 
=== चालक शक्ति के आधार पर ===
क्रेन विविध उपायों से चलाए जाते हैं। छोटे और भारी भागों को उठानेवाले क्रेन हाथ से चलाए जाते हैं। बड़े क्रेनों को चलाने के लिये भाप, बिजली के आंभस (hydraulic) शक्ति का उपयोग होता है। काम या महत्व के अनुसार ही शक्ति की आवयश्कता होती है। हाथ से चलाए जानेवाले क्रेन अधिक भारी भारों को देर तक उठाने के लिये उपयोगी नहीं होते, केवल थोड़े ही समय के लिये सामान उठाना हो तभी वे उपयोगी होते हैं। यदि इन क्रेनों से भारी मशीनों का उठाना हो तो अधिक समय और अधिक मनुष्यशक्ति की आवश्यकता होगी। अत: छोटे कामों के लिये ही ये क्रेन अच्छे रहते हैं।
 
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कम दाम पर बिजली मिल जाने के कारण विद्युच्चालित क्रेनों का उपयोग बढ़ गया है। ये क्रेन बिना किसी कठिनाई के चलाए जा सकते हैं। ऐसे क्रेनों को चलानेवाले गरमी और धुएँ से भी बचे रहते हैं। मोटर की शक्ति पर ही क्रेन की शक्ति आधारित है। क्रेन पर पूरा भार कभी ही पड़ता है, इसीलिये क्रे न के मोटर की शक्ति की जानकारी के लिये इसका भार (Load factor) अनुपात देखा जाता है।
 
=== भार अनुपात ===
भार अनुपात पूरे समय तथा कार्य के समय का अनुपात बताता है। मान लीजिए, किसी मोटर का भार अनुपात 1/3 है। इसका अर्थ यह है कि मोटर 12 मिनट में केवल तीन ही मिनट पूरी शक्ति देगी या तीन मिनट में केवल एक ही मिनट पूरी शक्ति मिलेगी और रुकाव दो ही मिनट रहेगा। इसलिये ऐसे स्थानों पर जहाँ भार को अधिक ऊँचा उठाना है और काम थोड़े थोड़े समय के पश्चात्‌ करना है भार-अनुपात भी अधिक होना चाहिए। यदि भार कम ऊँचा उठाना है और अधिक दूर नहीं ले जाना है, जैसा उन कारखानों में होता है जहाँ भारी भार कभी कभी उठाए जाते हैं और वह भी कम समय के लिये, तो अधिक भार-अनुपात के मोटर की आवश्यकता नहीं होती। कम ऊँचाई पर दूर तक भार उठाकर ले जानेवाली क्रेन को चलानेवाली मोटर का भार-अनुपात भार उठानेवाली मोटर के भार-अनुपात से अवश्य ही अधिक होना चाहिए।
 
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आजकल विभिन्न प्रकार के क्रेनों का उपयोग हो रहा है। नया आकल्पन बिजली की नई मशीनों के कारण है, परंतु हर क्रेन के काम करने का सिद्धांत वही है जो ऊपर बताया गया है। बिजली की मोटर से अधिक और आवश्यक शक्ति मिलती है और इसका जिस प्रकार भी चाहें चला सकते हैं। काम करने में समय भी कम लगता है और लागत भी कम आती है।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.lowtechmagazine.com/2010/03/history-of-human-powered-cranes.html?utm_source=feedburner&utm_medium=feed&utm_campaign=Feed%3A+typepad%2Fkrisdedecker%2Flowtechmagazineenglish+(Low-tech+Magazine)&utm_content=My+Yahoo The sky is the limit: human powered cranes and lifting devices]
* [http://cic.nist.gov/vrml/equip.html VRML Simulation of a tower crane]
* [http://www.safetyculture.com.au/procedures/Gantry_Crane_Procedure.php Gantry Crane Safety Procedures]
 
[[श्रेणी:मशीने]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/क्रेन" से प्राप्त