"गाथासप्तशती": अवतरणों में अंतर

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'''गाथासप्तशती''' [[प्राकृत]] भाषा में गीतिसाहित्य की अनमोल निधि है। इसमें प्रयुक्त [[छन्द]] का नाम "गाथा" छन्द है। इसमें ७०० गाथाएँ हैं। इसके रचयिता '''हाल''' या [[शालिवाहन]] हैं। इस काव्य में सामान्य लोकजीवन का ही चित्रण है। अत: यह प्रगतिवादी कविता का प्रथम उदाहरण कही जा सकती है। इसका समय बारहवीं शती मानी जाती है।
 
== परिचय ==
गाथासप्तशती का उल्लेख [[बाणभट्ट]] ने [[हर्षचरित]] में इस प्रकार किया है:
 
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इस संग्रह का पश्चात्कालीन साहित्य पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। इसी के आदर्श पर [[जैन धर्म|जैन]] कवि [[जयवल्लभ]] ने "[[वज्जालग्गं]]" नामक प्राकृत सुभाषितों का संग्रह तैयार किया, जिसकी लगभग 800 गाथाओं में से कोई 80 गाथाएँ इसी कोश से उद्धृत की गई हैं। [[संस्कृत]] में [[गोवर्धनाचार्य]] (11वीं-12वीं शती) ने इसी के अनुकरण पर [[आर्यासप्तशती]] की रचना की। हिंदी में [[तुलसीसतसई]] और [[बिहारी सतसई]] संभवत: इसी रचना से प्रभावित हुई हैं।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[सतसई]]