"गुरमुखी लिपि": अवतरणों में अंतर

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इस लिपि में तीन स्वर और 32 व्यंजन हैं। स्वरों के साथ मात्राएँ जोड़कर अन्य स्वर बना लिए जाते हैं। इनके नाम हैं उड़ा, आया, इड़ी, सासा, हाहा, कका, खखा इत्यादि। अंतिम अक्षर ड़ाड़ा है। छठे अक्षर से कवर्ग आरंभ होता है और शेष अक्षरों का (व) तक वही क्रम है जो देवनागरी वर्णमाला में है। मात्राओं के रूप और नाम इस प्रकार हैं। ट के साथ (मुक्ता), टा (कन्ना), टि (स्यारी), टी (बिहारी), ट (ऐंक ड़े), ट (दुलैंकड़े), टे (लावाँ), टै (दोलावाँ), (होड़ा), (कनौड़ा), (टिप्पी), ट: (बिदै)। इस वर्णमाला में प्राय: संयुक्त अक्षर नहीं हैं। यद्यपि अनेक संयुक्त ध्वनियाँ विद्यमान हैं।
 
== गुरमुखी वर्णमाला ==
गुरमुखी लिपि में ३५ वर्ण होते हैं। पहले तीन वर्ण बिल्कुल खास हैं क्योंकि क्योंकि वे स्वर वर्णों के आधार होते हैं। सिर्फ ऐरा को छोड़कर बाकी पहले तीन वर्ण अकेले कहीं नहीं प्रयुक्त होते। विस्तार से समझने के लिए [[स्वर वर्ण]] को देखें।
 
== गुरमुखी-देवनागरी तुलना ==
{|class="wikitable"
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|}
 
=== चेतावनी ===
कृपया ध्यान दें कि अक्षर-रूप मिलने के बावजूद पंजाबी द्वारा गुरमुखी और हिन्दी द्वारा देवनागरी के प्रयोग में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:
* गुरमुखी में कुछ प्राचीन शब्दों की अंतिम मात्राएँ उच्चारित नहीं होती। यदि पंजाबी का एक पारंपरिक अभिवादन देखा जाए - 'ਸਤਿ ਸ਼੍ਰੀ ਅਕਾਲ' - तो इसका सीधा देवनागरी परिवर्तन 'सति श्री अकाल' निकलता है लेकिन इसे 'सत श्री अकाल' पढ़ा जाता है।
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** ਕੋੜਾ - यानि चाबुक। इसका नागरी 'कोड़ा' है और उच्चारण भी सुर को सामान्य रखकर 'कोड़ा' होता है।
 
== गुरमुखी अक्षर ==
{| border="1" cellpadding="5" cellspacing="0" style="border-collapse:collapse;"
|- bgcolor="#CCCCCC" align="center"
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|}
 
== यह भी देखें ==
* [[पंजाबी भाषा]]
* [[देवनागरी]]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://docs.google.com/document/d/1q4Nrrli_AnUiDWCO6DRtuTAHvckaOzCQlUsbO-HLXEQ/edit?hl=en गुरमुखी लिपि को देवनागरी लिपि में बदलने वाला प्रोग्राम-०१] ( डाउनलोड कीजिये )
* [https://docs.google.com/document/d/147x7ZwAxmkcEkyYUUvdfSJt3FHtesyByEa9Kwe6JPZg/edit?hl=en गुरमुखी लिपि को देवनागरी लिपि में बदलने वाला प्रोग्राम-०२] ( डाउनलोड कीजिये )