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'''गुरू नानक''' ([[पंजाबी भाषा|पंजाबी]]: ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ) [[सिखमत|सिखों]] के प्रथम [[गुरु]] (आदि गुरु) हैं। इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। गुरु नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु - सभी के गुण समेटे हुए थे।
 
== परिचय ==
[[चित्र:Nankana Sahib.JPG|thumb|180px|right|गुरुद्वारा [[ननकाना साहिब]]]]
इनका जन्म [[रावी नदी]] के किनारे स्थित तिलौंडा [[तलवंडी]] नामक गाँव में (आधुनिक रायपुर) संवत् १५२७ में [[कार्तिक|कार्तिकी]] [[पूर्णिमा]] (१५ अप्रैल, १४६९) को एक खत्रीकुल में हुआ था । इनके पिता का नाम कल्यानचंद या कालू था । तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर [[ननकाना]] पड़ गया।
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Bani in GGS: 974 Shabads in 19 Ragas, Gurbani Includes Japji, Sidh Gohst, Sohilaa, Dakhni Onkar, Asa di Var, Patti, Bara Mah
 
== कवित्व ==
नानक अच्छे [[कवि]] भी थे। उनके भावुक और कोमल हृदय ने प्रकृति से एकात्म होकर जो अभिव्यक्ति की है, वह निराली है। उनकी भाषा "बहता नीर" थी जिसमें [[फारसी]], [[मुल्तानी]], [[पंजाबी]], [[सिंधी]], [[खड़ी बोली]], [[अरबी]], [[संस्कृत]], और [[ब्रजभाषा]] के शब्द समा गए थे।