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गुर्दे की कार्यप्रणाली के अध्ययन को वृक्कीय शरीर विज्ञान कहा जाता है, जबकि गुर्दे की बीमारियों से संबंधित चिकित्सीय विधा मेघविज्ञान (nephrology) कहलाती है. गुर्दे की बीमारियां विविध प्रकार की हैं, लेकिन गुर्दे से जुड़ी बीमारियों के रोगियों में अक्सर विशिष्ट चिकित्सीय लक्षण दिखाई देते हैं. गुर्दे से जुड़ी आम चिकित्सीय स्थितियों में नेफ्राइटिक और नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम, वृक्कीय पुटी, गुर्दे में तीक्ष्ण घाव, गुर्दे की दीर्घकालिक बीमारियां, मूत्रवाहिनी में संक्रमण, वृक्कअश्मरी और मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न होना शामिल हैं.<ref name="robbins">{{cite book |author=Cotran, RS S.; Kumar, Vinay; Fausto, Nelson; Robbins, Stanley L.; Abbas, Abul K. |title=Robbins and Cotran pathologic basis of disease |publisher=Elsevier Saunders |location=St. Louis, MO |year=2005 |pages= |isbn=0-7216-0187-1 |oclc= |doi= |accessdate=}}</ref> गुर्दे के कैंसर के अनेक प्रकार भी मौजूद हैं; सबसे आम वयस्क वृक्क कैंसर वृक्क कोशिका कर्कट (renal cell carcinoma) है. कैंसर, पुटी और गुर्दे की कुछ अन्य अवस्थाओं का प्रबंधन गुर्दे को निकाल देने, या वृक्कुच्छेदन (nephrectomy) के द्वारा किया जा सकता है. जब गुर्दे का कार्य, जिसे केशिकागुच्छीय शुद्धिकरण दर (glomerular filtration rate) के द्वारा नापा जाता है, लगातार बुरी हो, तो डायालिसिस और गुर्दे का प्रत्यारोपण इसके उपचार के विकल्प हो सकते हैं. हालांकि, पथरी बहुत अधिक हानिकारक नहीं होती, लेकिन यह भी दर्द और समस्या का कारण बन सकती है. पथरी को हटाने की प्रक्रिया में ध्वनि तरंगों द्वारा उपचार शामिल है, जिससे पत्थर को छोटे टुकड़ों में तोड़कर मूत्राशय के रास्ते बाहर निकाल दिया जाता है. कमर के पिछले भाग के मध्यवर्ती/पार्श्विक खण्डों में तीक्ष्ण दर्द पथरी का एक आम लक्षण है.
 
== शरीर रचना ==
=== अवस्थिति ===
मनुष्यों में, गुर्दे उदर गुहा में रेट्रोपेरिटोनियम (retroperitoneum) नामक रिक्त स्थान में स्थित होते हैं. इनकी संख्या दो होती है और इनमें से एक-एक गुर्दा मेरुदण्ड के दोनों तरफ एक स्थित होता है; वे लगभग T12 से L3 के मेरुदण्ड स्तर पर होते हैं.<ref name="boron">{{cite book |author=Walter F., PhD. Boron |title=Medical Physiology: A Cellular And Molecular Approach |publisher=Elsevier/Saunders |location= |year=2004 |pages= |isbn=1-4160-2328-3 |oclc= |doi= |accessdate=}}</ref> दायां गुर्दा मध्यपट के ठीक नीचे और यकृत के पीछे स्थित होता है, तथा बायां मध्यपट के नीचे और प्लीहा के पीछे होता है. प्रत्येक गुर्दे के शीर्ष पर एक अधिवृक्क ग्रंथि होती है. यकृत के कारण उदर गुहा में पाई जाने वाली विषमता के कारण दायां गुर्दा बाएं की तुलना में थोड़ा नीचे होता है और बायां गुर्दा दाएं की तुलना में थोड़ा अधिक मध्यम में स्थित होता है.<ref>{{cite web |url=http://www.indexedvisuals.com/scripts/ivstock/pic.asp?id=118-100 |title=Kidneys Location Stock Illustration |format= |work= |accessdate=}}</ref><ref>http://www.bioportfolio.com/indepth/Kidney.html</ref> गुर्दे के ऊपरी (कपालीय) भाग आंशिक रूप से ग्यारहवीं व बारहवीं पसली द्वारा सुरक्षा की जाती है और पूरा गुर्दा तथा अधिवृक्क ग्रंथि वसा (पेरिरीनल व पैरारीनल वसा) तथा वृक्क पट्टी (renal fascia) द्वारा ढंके होते हैं. प्रत्येक वयस्क गुर्दे का भार पुरुषों में 125 से 170 ग्राम के बीच और महिलाओं में 115 से 155 ग्राम के बीच होता है.<ref name="boron" /> विशिष्ट रूप से बायां गुर्दा दाएं की तुलना में थोड़ा बड़ा होता है.<ref name="pmid20030823">{{cite journal |author=Glodny B, Unterholzner V, Taferner B, ''et al.'' |title=Normal kidney size and its influencing factors - a 64-slice MDCT study of 1.040 asymptomatic patients |journal=BMC Urology |volume=9 |issue= |pages=19 |year=2009 |pmid=20030823 |pmc=2813848 |doi=10.1186/1471-2490-9-19 |url=http://www.biomedcentral.com/1471-2490/9/19}}</ref>
=== संरचना ===
[[चित्र:KidneyStructures PioM.svg|thumb|250px|right|1.गुर्दे पिरामिड •2.अंतर्खण्डात्मक धमनियों •3.गुर्दे धमनी •4.गुर्दे नस 5.वृक्कीय नाभिका •6.वृक्कीय पेडू •7.मूत्राशय •8.माइनर कैल्य्क्स •9.रीनल कैप्सूल •10.अवर गुर्दे कैप्सूल •11.बेहतर गुर्दे कैप्सूल •12.अंतर्खण्डात्मक शिराओं •13.नेफ्रॉन •14.माइनर कैल्य्क्स •15.प्रमुख कैल्य्क्स •16.गुर्दे पपिला •17.गुर्दे स्तंभ]]
 
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प्रत्येक पिरामिड का सिरा, या अंकुरक (papilla) मूत्र को लघु पुटक (minor calyx) में पहुंचाता है, लघु पुटक मुख्य पुटकों (major calyces) में जाकर रिक्त होता है, और मुख्य पुटक वृक्कीय पेडू (renal pelvis) में रिक्त होता है, जो कि मूत्रनलिका बन जाती है.
 
=== रक्त की आपूर्ति ===
गुर्दे बायीं तथा दाहिनी वृक्क धमनियों से रक्त प्राप्त करते हैं, जो सीधे औदरिक महाधमनी (abdominal aorta) से निकलती हैं. अपने अपेक्षाकृत छोटे आकार के बावजूद गुर्दे हृदय से निकलने वाले रक्त का लगभग 20% भाग प्राप्त करते हैं.<ref name="boron" />
 
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शोधन की प्रक्रिया पूर्ण हो जाने पर रक्त शिरिकाओं के एक छोटे नेटवर्क से होकर गुज़रता है, जो अंतर्खण्डात्मक शिराओं की ओर अभिसरण करती हैं. शिराएं भी धमनियों जैसे वितरण पैटर्न का ही पालन करती हैं, अभिवाही शिराएं चापाकार शिराओं को रक्त प्रदान करती हैं और फिर वहां से यह अंतर्खण्डात्मक शिराओं की ओर जाता है, जो रक्ताधान के लिये गुर्दे से बाहर निकलने वाली वृक्कीय शिरा का निर्माण करती हैं.
 
=== ऊतक-विज्ञान ===
[[चित्र:Kidney-medulla.JPG|thumb|वृक्कीय मज्जा का सूक्ष्म तस्वीर.]]
[[चित्र:Kidney-Cortex.JPG|thumb|वृक्कीय छाल का सूक्ष्म तस्वीर.]]
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* गुर्दे की इंटरस्टिशीयल कोशिका(Interstitial kidney cell)
 
=== अभिप्रेरणा ===
गुर्दा और स्नायु तंत्र वृक्कीय जाल (renal plexus) के माध्यम से आपस में संवाद करते हैं, जिसके रेशे गुर्दे तक पहुंचने के लिये वृक्कीय धमनियों के साथ जुड़े होते हैं.<ref name="Bard">{{cite book |author=Bard, Johnathan; Vize, Peter D.; Woolf, Adrian S. |title=The kidney: from normal development to congenital disease |publisher=Academic Press |location=Boston |year=2003 |pages=154 |isbn=0-12-722441-6 |url=http://books.google.com/?id=ctOm-cPwo60C&pg=PA154 |oclc= |doi= |accessdate=}}</ref> अनुकंपी स्नायु तंत्र से प्राप्त इनपुट गुर्दे में वाहिकासंकीर्णक (vasoconstriction) को अभिप्रेरित करता है, जिससे वृक्कीय रक्त प्रवाह में कमी आती है.<ref name="Bard" /> ऐसा माना जाता है कि गुर्दे सहानुकम्पी स्नायु तंत्र से इनपुट प्राप्त नहीं करते.<ref name="Bard" /> गुर्दे से निकलने वाले संवेदक इनपुट मेरुदण्ड के T10-11 स्तरों की ओर बढ़ता है और संबंधित अंतर्त्वचा (dermatome) द्वारा महसूस किया जाता है.<ref name="Bard" /> अतः बगल में महसूस होने वाला दर्द गुर्दे से संबद्ध हो सकता है.<ref name="Bard" />
 
== कार्य ==
{{main|गुर्दे की बनावट}}
 
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कार के अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित करते हैं. इनमें प्रोटीन अपचय से उत्पन्न नाइट्रोजन-युक्त अपशिष्ट यूरिया, और न्यूक्लिक अम्ल के चयापचय से उत्पन्न यूरिक अम्ल शामिल हैं.
 
=== परासरणीयता नियंत्रण ===
प्लाज़्मा परासरणीयता (plasma osmolality) में किसी भी उल्लेखनीय वृद्धि या गिरावट की पहचान हाइपोथेलेमस द्वारा की जाती है, जो सीधे पिछली श्लेषमीय ग्रंथि से संवाद करता है. परासरणीयता में वृद्धि होने पर यह ग्रंथि एन्टीडाययूरेटिक हार्मोन (antidiuretic hormone) एडीएच (ADH) का स्राव करती है, जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे द्वारा जल का पुनरवशोषण किया जाता है और मूत्र की सान्द्रता बढ़ जाती है. ये दोनों कारक एक साथ कार्य करके प्लाज़्मा की परासरणीयता को पुनः सामान्य स्तरों पर लाते हैं.
 
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‘एकल प्रभाव’ इस तथ्य का वर्णन करता है कि लूप्स ऑफ हेनली का मोटा आरोही अंग जल के द्वारा भेद्य नहीं है, लेकिन भू.नी (NaCl) के द्वारा भेद्य है. इसका अर्थ यह है कि एक प्रति-प्रवाही प्रणाली निर्मित होती है, जिसके द्वारा मज्जा अधिक सान्द्रित बन जाती है और यदि एडीएच (ADH) द्वारा संग्रहण नलिका को खोल दिया गया हो, तो जल के एक परासरणीयता अनुपात द्वारा इसका अनुपालन किया जाना चाहिये.
 
=== रक्तचाप का नियंत्रण ===
{{main|रक्तचाप नियमन|रेनिन-एंजियोटेंसिन सिस्टम}}
 
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रेनिन उन रासायनिक संदेशवाहकों की श्रृंखला का पहला सदस्य है, जो मिलकर रेनिन-एंजियोटेन्सिन तंत्र का निर्माण करते हैं. रेनिन में होने वाले परिवर्तन अंततः इस तंत्र के आउटपुट, मुख्य रूप से एंजियोटेन्सिन II और एल्डोस्टेरॉन, को परिवर्तित करते हैं. प्रत्येक हार्मोन अनेक कार्यप्रणालियों के माध्यम से कार्य करता है, लेकिन दोनों ही गुर्दे द्वारा किये जाने वाले सोडियम क्लोराइड के अवशोषण को बढ़ाते हैं, जिससे कोशिकेतर द्रव उपखंड का विस्तार होता है और रक्तचाप बढ़ता है. जब रेनिन के स्तर बढ़े हुए होते हैं, तो एंजियोटेन्सिन II और एल्डोस्टेरॉन की सान्द्रता बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप सोडियम क्लोराइड के पुनरवशोषण में वृद्धि होती है, कोशिकेतर द्रव उपखंड का विस्तार होता है और रक्तचाप बढ़ जाता है. इसके विपरीत, जब रेनिन के स्तर निम्न होते हैं, तो एंजियोटेन्सिन II और एल्डोस्टेरॉन के स्तर घट जाते हैं, जिससे कोशिकेतर द्रव उपखंड का संकुचन होता है और रक्तचाप में कमी आती है.
 
=== हार्मोन स्राव ===
गुर्दे अनेक प्रकार के हार्मोन का स्राव करते हैं, जिनमें एरिथ्रोपीटिन, कैल्सिट्रिऑल और रेनिन शामिल हैं. एरिथ्रोपीटिन को वृक्कीय प्रवाह में हाइपॉक्सिया (ऊतक स्तर पर ऑक्सीजन का निम्न स्तर) की प्रतिक्रिया के रूप में छोड़ा जाता है. यह अस्थि-मज्जा में एरिथ्रोपोएसिस (लाल रक्त कणिकाओं के उत्पादन) को उत्प्रेरित करता है. कैल्सिट्रिऑल, विटामिन डी का उत्प्रेरित रूप, कैल्शियम के आन्त्र अवशोषण तथा फॉस्फेट के वृक्कीय पुनरवशोषण को प्रोत्साहित करता है. रेनिन, जो कि रेनिन-एंजिओटेन्सिन-एल्डोस्टेरॉन तंत्र का एक भाग है, एल्डोस्टेरॉन स्तरों के नियंत्रण में शामिल एक एंज़ाइम होता है.
 
== विकास ==
{{Main|गुर्दे का विकास}}
 
स्तनपायी जीवों में गुर्दे का विकास मध्यवर्ती मेसोडर्म से होता है. गुर्दे का विकास, जिसे ''नेफ्रोजेनेसिस(nephrogenesis)'' भी कहा जाता है, तीन क्रमिक चरणों से होकर गुज़रता है, जिनमें से प्रत्येक को गुर्दे के एक अधिक उन्नत जोड़े के विकास द्वारा चिह्नित किया जाता है: प्रोनफ्रॉस (pronephros), मेसोनेफ्रॉस (mesonephros) और मेटानेफ्रॉस (metanephros).<ref>{{cite book | author = Bruce M. Carlson | title = Human Embryology and Developmental Biology | publisher = Mosby | location = Saint Louis | edition = 3rd | year = 2004 | isbn = 0-323-03649-X}}</ref>
 
== विकासात्मक अनुकूलन ==
विभिन्न जानवरों के गुर्दे विकासात्मक अनुकूलन के प्रमाणों को प्रदर्शित करते हैं और लंबे समय से उनका अध्ययन पारिस्थितिकी-शरीर विज्ञान (ecophysiology) तथा तुलनात्मक शरीर विज्ञान में किया जाता रहा है. गुर्दे का आकृति विज्ञान (Kidney morphology), जिसे अक्सर मज्जात्मक मोटाई के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है, स्तनपायी जीवों की प्रजातियों में प्राकृतिक आवास के सूखेपन से संबंधित होता है.<ref name="Al-kahtani2004">{{cite journal|last=Al-kahtani|first=M. A.|coauthors=C. Zuleta, E. Caviedes-Vidal, and T. Garland, Jr.|year=2004|title=Kidney mass and relative medullary thickness of rodents in relation to habitat, body size, and phylogeny| url=http://www.biology.ucr.edu/people/faculty/Garland/Al-kahtaniEA2004.pdf|journal=Physiological and Biochemical Zoology|issn=|volume=77|issue=3|pages=346–365|doi=10.1086/420941|pmid=15286910}}</ref>
 
== शब्द व्युत्पत्ति ==
गुर्दे से जुड़ी चिकित्सीय शब्दावलियां आमतौर पर ''वृक्कीय (renal)'' जैसे शब्दों तथा ''नेफ्रो- (nephro-)'' उपसर्ग का प्रयोग करती हैं. विशेषण ''वृक्कीय (renal)'' , जिसका अर्थ होता है, वृक्क (गुर्दे) से संबंधित, लैटिन शब्द ''रेनेस (rēnēs)'' से लिया गया है, जिसका अर्थ है गुर्दे; उपसर्ग ''नेफ्रो- (nephro-)'' गुर्दे के लिये प्रयुक्त [[प्राचीन यूनानी भाषा|प्राचीन ग्रीक]] शब्द ''नेफ्रॉस (nephros (νεφρός)'' ) से लिया गया है.<ref>{{cite book | last = Maton | first = Anthea | authorlink = | coauthors = Jean Hopkins, Charles William McLaughlin, Susan Johnson, Maryanna Quon Warner, David LaHart, Jill D. Wright | title = Human Biology and Health | publisher = Prentice Hall | year = 1993 | location = Englewood Cliffs, New Jersey, USA | pages = | url = | doi = | id = | isbn = 0-13-981176-1}}</ref> उदाहरण के लिये, शल्यचिकित्सा के द्वारा गुर्दे को निकाल देना ''नेफ्रेक्टॉमी (nephrectomy)'' कहलाता है, जबकि गुर्दे के कार्य में कमी को ''वृक्कीय दुष्क्रिया (renal dysfunction)'' कहते हैं.
 
== बीमारियां एवं विकार ==
{{Main|नेफ्रोपैथी}}
 
=== जन्मजात ===
* जन्मजात हाइड्रोनेफ्रॉसिस (Congenital hydronephrosis)
* मूत्रवाहिनी का जन्मजात अवरोध (Congenital obstruction of urinary tract)
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* बहुपुटीय डिस्प्लास्टिक गुर्दा (Multicystic dysplastic kidney)
 
=== प्राप्त ===
[[चित्र:Hunter enlarged kidney.jpg|thumb|जॉन हंटर द्वारा एक बढ़े हुए गुर्दा का आकर्षित रेखाचित्र]]
 
पंक्ति 143:
** गुर्दे की चरण 5 की दीर्घकालिक बीमारी (Stage 5 Chronic Kidney Disease)
 
=== गुर्दे की विफलता ===
{{main|गुर्दे की विफलता}}
 
सामान्यतः, मनुष्य केवल एक गुर्दे के साथ भी सामान्य रूप से जीवित रह सकते हैं क्योंकि प्रत्येक में वृक्कीय ऊतकों की संख्या जीवित रहने के लिये आवश्यक संख्या से अधिक होती है. गुर्दे की दीर्घकालीन बीमारियां केवल तभी विकसित होंगी, जब गुर्दे के कार्यात्मक ऊतकों की मात्रा बहुत अधिक घट जाए. वृक्कीय प्रतिस्थापन उपचार (Renal replacement therapy), अपोहन या गुर्दे के प्रत्यारोपण के रूप में, की आवश्यकता तब पड़ती है, जब ग्लोमेरुलर शुद्धिकरण दर बहुत कम हो गई हो या जब वृक्कीय दुष्क्रिया के लक्षण बहुत अधिक गंभीर हों.
 
== अन्य जीवों में ==
[[चित्र:Kidney.JPG|thumb|150px|righ|एक सुअर गुर्दे खोला.]]अधिकांश कशेरुकी जीवों में, मेसोनेफ्रॉस (mesonephros) एक वयस्क गुर्दे में परिवर्तित हो जाता है, हालांकि अक्सर यह अधिक उन्नत मेटानेफ्रॉस (metanephros) के साथ जुड़ा हुआ होता है; केवल एम्निओट (amniotes) में मेसोनेफ्रॉस भ्रूण तक सीमित होता है. मछली और उभयचरों के गुर्दे विशिष्ट रूप से संकरे, लंबे अंग होते हैं, जो धड़ का एक बहुत बड़ा भाग घेर लेते हैं. नेफ्रॉन के प्रत्येक झुण्ड की संग्रहण नलिकाएं एक ''आर्चिनेफ्रिक नलिका (archinephric duct)'' में जाकर रिक्त होती है, जो कि अम्निओट जीवों के वास डेफरेन्स (vas deferens) सदृश है. हालांकि, यह स्थिति सदैव ही सरल नहीं होती; उपास्थिसम मछलियों में और कुछ उभयचरों में, एम्नियोट जीवों में पाई जाने वाली मूत्रवाहिनी के समान, एक छोटी नलिका होती है, जो गुर्दे के पिछले (मेटानेफ्रिक) भागों को रिक्त करती है और मूत्राशय या मोरी (cloaca) पर आर्चिनेफ्रिक नलिका से जुड़ जाती है. वस्तुतः, अनेक वयस्क उपास्थिसम मछलियों में, गुर्दे का अग्र भाग विकृत हो सकता है या पूरी तरह कार्य करना बंद कर सकता है.<ref name="VB" />
 
पंक्ति 159:
मानव गुर्दा स्तनपायी जीवों का एक बहुत विशिष्ट उदाहरण है. अन्य कशेरुकी जीवों की तुलना में स्तनपायी गुर्दे के विशिष्ट लक्षणों में, वृक्कीय पेडू और वृक्कीय पिरामिड की उपस्थिति और एक स्पष्ट रूप से पहचाने जा सकने वाली छाल और मज्जा की उपस्थिति शामिल हैं. बाद वाला लक्षण लूप्स ऑफ हेन्ले के बड़े आकार की उपस्थिति के कारण होता है; पक्षियों में ये बहुत छोटे होते हैं, और अन्य कशेरुकी जीवों में वस्तुतः ये नहीं पाये जाते (हालांकि अक्सर नेफ्रॉन में संवलित नलिकाओं के बीच एक छोटा ''मध्यवर्ती खण्ड'' होता है). केवल स्तनपायी जीवों में ही गुर्दा अपनी पारंपरिक “गुर्दा” आकृति में होता है, हालांकि इसके कुछ अपवाद हैं, जैसे तिमिवर्ग के सदस्यों (cetaceans) के बहु-खण्डीय रेनिक्यूलेट गुर्दे.<ref name="VB" />
 
== इतिहास ==
लैटिन शब्द ''रेनेस (renes)'' अंग्रेज़ी भाषा के शब्द “रीन्स (reins)” से संबंधित है, जो कि शेक्सपीयर काल की अंग्रेज़ी, जो वह काल भी है, जिसमें किंग जेम्स वर्जन (King James Version) का अनुवाद हुआ था, की अंग्रेज़ी (उदा. ''मेरी वाइव्स ऑफ विण्डसर'' 3.5 (''Merry Wives of Windsor'' 3.5)) में गुर्दे का समानार्थी शब्द है. एक ज़माने में गुर्दों को अंतःकरण और चिंतन का एक लोकप्रिय स्थान माना जाता था<ref>पॉल रामसे द्वारा ''द पेशेंट ऐज़ पर्सन: एक्सप्लोरेशन इन मेडिकल एथिक्स'' . पृष्ठ 60, मार्गरेट फार्ले, एल्बर्ट जौनसेन, विलीयम ऍफ़. मेय (2002)</ref><ref>''हिस्ट्री ऑफ़ नेफ्रोलॉजी 2'' पृष्ठ 235 हिस्ट्री ऑफ़ नेफ्रोलॉजी कॉंग्रेस के लिए इंटरनैशनल एसोसिएशन, गाराबेड एक्नोयन, स्पैरोस जी. मार्केट्स, नताले जी. डे सैंटो - 1997; ''अमेरिकन जर्नल ऑफ़ नेफ्रोलॉजी'' , वी. 14, नं. 4-6, 1994.</ref>, और [[बाइबिल]] की अनेक पंक्तियां (उदा. पीएस. (Ps.) 7:9, रेव. (Rev.) 2:23) कहती हैं कि ईश्वर मनुष्यों के गुर्दे या “वृक्क (reins)” को खोजता और उनका निरीक्षण करता है. इसी प्रकार, टालमुड (Talmud) (''बेराखोठ'' 61.ए) (''Berakhoth'' 61.a) कहता है कि दो में से एक गुर्दा इस बात की सलाह देता है कि क्या अच्छा है और दूसरा बताता है कि क्या बुरा है.
 
== भोजन के रूप में पशुओं के गुर्दे का प्रयोग ==
[[चित्र:1407871818 5c7f215934 o.jpg|thumb|हॉकार्पाना, स्वीडिश सुअर का मांस और गुर्दे स्टू]]
जानवरों के गुर्दों को मनुष्यों द्वारा पकाकर खाया जा सकता है (अन्य आंतरिक अंगों के साथ).
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गुर्दों को सामान्यतः भुना या तला जाता है, लेकिन बहुत जटिल खाद्य-पदार्थों में उन्हें एक सालन (sauce), जो इनके स्वाद को बढ़ाएगा, के साथ धीमी आंच पर पकाया जाता है. अनेक पदार्थों, जैसे मिक्सड ग्रिल (mixed grill) या म्युराव येरुशाल्मी (Meurav Yerushalmi) में, गुर्दों को मांस या यकृत के टुकड़ों के साथ मिलाया जाता है. गुर्दे से बनने वाले सर्वाधिक प्रतिष्ठित खाद्य-पदार्थों में, ब्रिटिश स्टीक और किडनी पाई (Steak and kidney pie), स्वीडिश हॉकार्पाना (Hökarpanna) (सूअर का मांस और धीमी आंच पर पकाया गया गुर्दा), फ्रेंच ''रॉग्नॉस डी वीयु सॉस मॉट्रार्डे (Rognons de veau sauce moutarde)'' (राई के सालन में बछड़े के गुर्दे) और स्पैनिश ''“रिनॉन्स अल जेरेज़ (Riñones al Jerez)”'' (शैरी के सालन में धीमी आंच पर पकाए गए गुर्दे), विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं.<ref>[http://cuisine.notrefamille.com/recettes-cuisine/rognons-recette.html रोग्नोंस दानस लेस रेसेटस] {{fr}}</ref>
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[कृत्रिम गुर्दे]]
* [[श्रोणीय गुर्दे]]
पंक्ति 174:
* [[अंग कटाई]]
 
== सन्दर्भ ==
{{reflist|2}}
 
== बाहरी लिंक्स ==
* [http://www.kidneyinhindi.com/ हिन्दी में वृक्क से सम्बन्धित सम्पूर्ण चिकित्सकीय जानकारी से युक्त जालघर]
* [http://www.kidney.ca कनाडा के गुर्दा फाउंडेशन]