"तुंगुसी भाषा-परिवार": अवतरणों में अंतर
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'''तुन्गुसी भाषाएँ''' (<small>[[अंग्रेज़ी]]: Tungusic languages, तुन्गुसिक लैग्वेजिज़</small>) या '''मान्छु-तुन्गुसी भाषाएँ''' पूर्वी [[साइबेरिया]] और [[मंचूरिया]] में बोली जाने वाली भाषाओं का एक [[भाषा-परिवार]] है। इन भाषाओं को मातृभाषा के रूप में बोलने वालुए समुदायों को [[तुन्गुसी लोग]] कहा जाता है। बहुत सी तुन्गुसी बोलियाँ हमेशा के लिए विलुप्त होने के ख़तरे में हैं और [[भाषावैज्ञानिकों]] को डर है कि आने वाले समय में कहीं यह भाषा-परिवार पूरा या अधिकाँश रूप में ख़त्म ही न हो जाए।
== तुन्गुसी की उपशाखाएँ ==
तुन्गुसी भाषाओं के अंदरूनी श्रेणीकरण को लेकर भाषावैज्ञानिकों में विवाद चलता रहता है, लेकिन अधिकतर विद्वान इन्हें उत्तरी तुन्गुसी और दक्षिणी तुन्गुसी में बांटते हैं:
* '''उत्तरी तुन्गुसी भाषाएँ'''
** एवेंकी - जो मध्य साइबेरिया और पूरोत्तरी चीन का एवेंकी समुदाय बोलता है; ध्यान दें की पुराने ज़माने में इसी भाषा को 'तुन्गुसी' कहा जाता था, लेकिन अब यह बहुत सी तुन्गुसी भाषाओं में से एक मानी जाती है
*** ओरोचेन, नेगिदल, सोलोन और मनेगिर - यह या तो एवेंकी की उपभाषाएँ हैं या उसके बहुत क़रीब की बहन भाषाएँ हैं
** एवेन या लमूत - जो पूर्वी सीबेरिया में बोली जाती है
* '''दक्षिणी तुन्गुसी भाषाएँ'''
** दक्षिणपूर्वी तुन्गुसी भाषाएँ
*** नानाई (जिसे गोल्द, गोल्दी और हेझेन भी कहा जाता है), अकानी, बिरर, किले, समागिर, ओरोक, उल्च, ओरोच, उदेगे
**
*** [[मान्छु भाषा|मान्छु]] - यह [[मान्छु लोगों]] की भाषा है, जिन्होंने [[चीन]] पर क़ब्ज़ा कर के कभी वहाँ अपना [[चिंग राजवंश]] नाम का शाही सिलसिला चलाया था
*** शिबे - यह पश्चिमी चीन के [[शिनजियांग प्रान्त]] में बोली जाने वाली भाषा है; इसे उन मान्छुओं के वंशज बोलते हैं जो चिन राजवंश के ज़माने में वहाँ की फ़ौजी छावनी में तैनात होने के लिए भेजे गए थे
*** जुरचेन - यह चीन के जिन राजवंश के ज़माने में बोली जाती थी लेकिन अब विलुप्त हो चुकी है; यह वास्तव में मान्छु भाषा का एक पिछला रूप ही है
== तुन्गुसी भाषाओं के कुछ लक्षण ==
तुन्गुसी भाषाओं में [[अभिश्लेषण]] देखा जाता है, जहाँ शब्दों की मूल जड़ों में अक्षर और ध्वनियाँ जोड़कर उनके अर्थ में इज़ाफ़ा किया जाता है। उदहारण के लिए मान्छु भाषा में यह देखा जाता है 'एमबी', 'आम्बी' या 'इम्बी' जोड़ने से 'करने', 'आने' या किसी और प्रकार का सन्दर्भ आ जाता है:<ref name="ref51xuyiz">[http://books.google.com/books?id=6fqJL619dlgC Manchu: a textbook for reading documents], Gertraude Roth Li, University of Hawaii Press, 2000, ISBN
** एजेन (अर्थ: राजा) → एजेलेम्बी (अर्थ: राज करना)
** जाली (अर्थ: चालाक/धोख़ेबाज़) → जालीदम्बी (अर्थ: धोख़ा देना)
** अचन (अर्थ: मिलन/विलय) → अचनम्बी (अर्थ: मिलना)
** गिसुन (अर्थ: शब्द) → गिसुरेम्बी (अर्थ: शब्द बनाना, यानि बोलना)
** एफ़िम्बी (अर्थ: खेलना) → एफ़िचेम्बी (अर्थ: इकठ्ठा खेलना)
** जिम्बी (अर्थ: आना) और अफ़म्बी (अर्थ: लड़ना) → अफ़नजिम्बी (अर्थ: लड़ने के लिए आना)
इन भाषाओं में [[स्वर सहयोग]] भी मिलता है, जिसमें किसी शब्द के अन्दर के स्वरों का आपस में मेल खाना ज़रूरी होता है। कुछ हद तक यह सभी अल्ताई भाषाओं में देखा जाता है। मान्छु में देखा गया ही कि लिंग में मामलों में शब्द के एक से ज़्यादा स्वरों को बदला जाता है:<ref name="ref51xuyiz"/>
** एमिले (मुर्ग़ी) → आमिला (मुर्ग़ा) - ध्यान दीजिये कि [[हिंदी]] के शब्द में केवल अंत का स्वर 'ई' से 'आ' बदला जबकि मान्छु में दो जगह 'ए' को 'आ' बनाया गया
** हेहे (औरत) → हाहा (आदमी)
** गेन्गेन (कमज़ोर) → गान्गान (ताक़तवर)
** नेचे (साली/ननद, पति/पत्नी की बहन) → नाचा (साला/देवर/जेठ, पति/पत्नी का भाई)
== इन्हें भी देखें ==
* [[तुन्गुसी लोग]]
* [[अल्ताई भाषा-परिवार]]
* [[साइबेरिया]]
== सन्दर्भ ==
<small>{{reflist|2}}</small>
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