"शास्त्रीय नृत्य": अवतरणों में अंतर

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== भरतनाट्यम् ==
{{मुख्य|भरतनाट्यम्}}
[[Fileचित्र:Bharatanatyam 5.jpg|thumb|right|150px|भरतनाट्यम्]]
इस नृत्‍य शैली की खास विशेषताएं, नायक-नायिका प्रसंग पर आधारित पदम अथवा कविताएँ हैं।
 
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== कथकली ==
{{मुख्य|कथकली}}
[[Fileचित्र:Kathakalidancer.jpg|thumb|120px|right|कथकली]]
[[केरल]] के दक्षिण - पश्चिमी राज्‍य का एक समृद्ध और फलने फूलने वाला नृत्‍य कथकली यहां की परम्‍परा है। कथकली का अर्थ है एक कथा का नाटक या एक नृत्‍य नाटिका। कथा का अर्थ है कहानी, यहां अभिनेता [[रामायण]] और [[महाभारत]] के महाग्रंथों और पुराणों से लिए गए चरित्रों को अभिनय करते हैं। यह अत्‍यंत रंग बिरंगा नृत्‍य है। इसके नर्तक उभरे हुए परिधानों, फूलदार दुपट्टों, आभूषणों और मुकुट से सजे होते हैं। वे उन विभिन्‍न भूमिकाओं को चित्रित करने के लिए सांकेतिक रूप से विशिष्‍ट प्रकार का रूप धरते हैं, जो वैयक्तिक चरित्र के बजाए उस चरित्र के अधिक नजदीक होते हैं।
 
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== कथक ==
{{मुख्य|कथक}}
[[Fileचित्र:Sharmila Sharma et Rajendra Kumar Gangani 2.jpg|thumb|right|200px|शर्मीला शर्मा और राजेन्द्र कुमार कथक करते हुए]]
कथक का नृत्‍य रूप 100 से अधिक घुंघरु‍ओं को पैरों में बांध कर तालबद्ध पदचाप, विहंगम चक्‍कर द्वारा पहचाना जाता है और हिन्‍दु धार्मिक कथाओं के अलावा पर्शियन और उर्दू कविता से ली गई विषयवस्‍तुओं का नाटकीय प्रस्‍तुतीकरण किया जाता है। कथक का जन्‍म उत्तर में हुआ किन्‍तु पर्शियन और मुस्लिम प्रभाव से यह मंदिर की रीति से दरबारी मनोरंजन तक पहुंच गया।
 
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== ओड़िसी ==
{{मुख्य|ओड़िसी}}
[[Fileचित्र:Odissi in a Group.jpg|thumb|right|200px|ओड़िसी नृत्‍य करते हुए एक नृत्य मंडली]]
ओड़िसी को पुरातात्विक साक्ष्‍यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित नृत्‍य रूपों में से एक माना जाता है। [[ओड़िसा]] के पारम्‍परिक नृत्‍य, ओड़िसी का जन्‍म मंदिर में नृत्‍य करने वाली देवदासियों के नृत्‍य से हुआ था। ओड़िसी नृत्‍य का उल्‍लेख शिला लेखों में मिलता है, इसे ब्रह्मेश्‍वर मंदिर के शिला लेखों में दर्शाया गया है साथ ही [[कोणार्क]] के [[कोणार्क सूर्य मंदिर|सूर्य मंदिर]] के केन्‍द्रीय कक्ष में इसका उल्‍लेख मिलता है। वर्ष 1950 में इस पूरे नृत्‍य रूप को एक नया रूप दिया गया, जिसके लिए अभिनय चंद्रिका और मंदिरों में पाए गए तराशे हुए नृत्‍य की मुद्राएं धन्‍यवाद के पात्र हैं।
 
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== मणिपुरी ==
{{मुख्य|मणिपुरी नृत्य}}
[[Fileचित्र:Manipuri Dance.jpg|thumb|right|150px|मणिपुरी नृत्‍य के सांगीतिक रूप मणिपुर राज्‍य की संस्‍कृति को दर्शाते हैं।]]
[[पूर्वोत्तर]] के [[मणिपुर]] क्षेत्र से आया शास्‍त्रीय नृत्‍य मणिपुरी नृत्‍य है। मणिपुरी नृत्‍य [[भारत]] के अन्‍य नृत्‍य रूपों से भिन्‍न है। इसमें शरीर धीमी गति से चलता है, सांकेतिक भव्‍यता और मनमोहक गति से भुजाएँ अंगुलियों तक प्रवाहित होती हैं। यह नृत्‍य रूप 18वीं शताब्‍दी में [[वैष्‍णव]] सम्‍प्रदाय के साथ विकसित हुआ जो इसके शुरूआती रीति रिवाज और जादुई नृत्‍य रूपों में से बना है। [[विष्‍णु पुराण]], [[भागवत पुराण]] तथा [[गीत गोविंदम]] की रचनाओं से आई विषयवस्तुएँ इसमें प्रमुख रूप से उपयोग की जाती हैं।
 
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== मोहिनीअट्टम ==
{{मुख्य|मोहिनीअट्टम}}
[[Fileचित्र:Mohiniyattam7.JPG|thumb|right|150px|मोहिनीअट्टम]]
मोहिनीअट्टम [[केरल]] की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला अर्ध शास्‍त्रीय नृत्‍य है जो कथकली से अधिक पुराना माना जाता है। साहित्यिक रूप से नृत्‍य के बीच मुख्‍य माना जाने वाला जादुई मोहिनीअटट्म केरल के मंदिरों में प्रमुखत: किया जाता था। यह देवदासी नृत्‍य विरासत का उत्तराधिकारी भी माना जाता है जैसे कि भरत नाट्यम, कुचीपुडी और ओडीसी। इस शब्‍द ''मोहिनी'' का अर्थ है एक ऐसी महिला जो देखने वालों का मन मोह लें या उनमें इच्‍छा उत्‍पन्‍न करें। यह भगवान विष्‍णु की एक जानी मानी कहानी है कि जब उन्‍होंने दुग्‍ध सागर के मंथन के दौरान लोगों को आकर्षित करने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया था और भामासुर के विनाश की कहानी इसके साथ जुड़ी हुई है। अत: यह सोचा गया है कि वैष्‍णव भक्तों ने इस नृत्‍य रूप को मोहिनीअटट्म का नाम दिया।
 
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== कुचिपुड़ी ==
{{मुख्य|कुचिपुड़ी}}
[[Fileचित्र:Kuchipudi1.jpg|thumb|right|150px|कुचीपुडी]]
कुचीपुडी [[आंध्र प्रदेश]] की एक स्‍वदेशी नृत्‍य शैली है जिसने इसी नाम के गांव में जन्‍म लिया और पनपी, इसका मूल नाम कुचेलापुरी या कुचेलापुरम था, जो कृष्‍णा जिले का एक कस्‍बा है। अपने मूल से ही यह तीसरी शता‍ब्‍दी बीसी में अपने धुंधले अवशेष छोड़ आई है, यह इस क्षेत्र की एक निरंतर और जीवित नृत्‍य परम्‍परा है। कुचीपुडी कला का जन्‍म अधिकांश भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍यों के समान धर्मों के साथ जुड़ा हुआ है। एक लम्‍बे समय से यह कला केवल मंदिरों में और वह भी आंध्र प्रदेश के कुछ मंदिरों में वार्षिक उत्‍सव के अवसर पर प्रदर्शित की जाती थी।
 
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== संदर्भ ==
{{refbegin}}
* {{cite book
| last = Ambrose
| first = Kay
पंक्ति 87:
| publisher = Palgrave Macmillan
| date = 1984}}
* {{cite book
 
| first =
पंक्ति 98:
{{refend}}
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* {{dmoz|Arts/Performing_Arts/Dance/Classical_Indian/|Classical Indian dance}} -- भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍य पर 250 से अधिक कड़ियों का स्रोत
 
{{भारत के शास्त्रीय नृत्य}}