"तौहीद": अवतरणों में अंतर

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जैसे जैसे ज़माना तरक्की करता चला गया वैसे वैसे अल्लाह के पैगम्बर नयी नयी शिक्षाएँ लाते गए मगर बुनियादी शिक्षाएँ यानि [एक ख़ुदा को मानना​​ और अल्लाह की ज़ात व उसकी सिफात में किसी को शरीक न करना] हर पैगम्बर बतायीं और उस पर अमल करने की शिक्षा दीं और खुद भी उन पर अमल करके दिखाया। दनियावी चीजें मनुष्य, पशु, दृश्य प्रकृति, सब उसकी पैदा की हुई हैं। ईश्वर एकमात्र और उसका कोई साझी नहीं।
 
== शहादत ==
शहादत रखने का मतलब है कि बंदा मन भाषा से यह स्वीकार करे कि इस ब्रह्मांड का निर्माता और मालिक सिर्फ अल्लाह है, वह सब पर फ़ाइक है, वह किसी की औलाद है न उसकी कोई औलाद है। केवल वही पूजा के योग्य है। किसी और के लिए इससे बढ़कर महिमा और रिफअत और शान कबरियाई की कल्पना भी कठिन है। वही सर्वशक्तिमान है और किसी को कोई शक्ति नहीं। उसका इरादा इतना शक्तिशाली और ग़ालिब है कि उसे संसार में सब मिलकर भी मगलोब नहीं कर सकते। उसकी शक्तियां और तसरफ़ात सीमा गिनती से बाहर हैं। क़ुरआने हकीम है: <br /><br />
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'''إِنَّمَا اللّهُ إِلَـهٌ وَاحِدٌ سُبْحَانَهُ أَن يَكُونَ لَهُ وَلَدٌ لَّهُ مَا فِي السَّمَاوَات وَمَا فِي الأَرْضِ وَكَفَى بِاللّهِ وَكِيلاًO (النساء، 4 : 171)''' </big><br /><br />
अनुवाद: ''बेशक अल्लाह ही ईकता ईश्वर है, वह मुक्त है कि इसके लिए कोई औलाद हो, (सब कुछ) उसी का है जो स्वर्ग में है और जो कुछ ज़मीन में है, और अल्लाह का कार निर्माता होना काफी है।''
 
== सन्दर्भ ==
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"https://hi.wikipedia.org/wiki/तौहीद" से प्राप्त