"शून्य-संचय खेल": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
LaaknorBot (वार्ता | योगदान) छो r2.7.3rc2) (Robot: Adding tr:Sıfır toplamlı oyun |
छो Bot: अंगराग परिवर्तन |
||
पंक्ति 1:
[[खेल सिद्धांत]] और [[अर्थशास्त्र]] में '''शून्य-संचय खेल''' (<small>zero-sum game</small>) या '''शून्य-जोड़ खेल''' ऐसी व्यवहारिक परिस्थिति को कहा जाता है जिसमें एक व्यक्ति को जितना लाभ होता है ठीक उतनी ही हानि किसी अन्य व्यक्ति (या व्यक्तियों) को होती है।<ref name="ref14berum">[http://books.google.com/books?id=Fl63ypuHdFEC Gaming the Market: Applying Game Theory to Create Winning Trading Strategies], Ronald B. Shelton, pp. 24, John Wiley and Sons, 1997, ISBN
== उदाहरण ==
{| border="1" cellpadding="4" cellspacing="0" style="float:right; margin:1em; background:#f9f9f9; border:1px #aaa solid; border-collapse:collapse; font-size:95%;"
|+ align=bottom |''एक शून्य-संचय खेल''
पंक्ति 21:
|}
एक खेल का उदाहरण लीजिये जिसमें 'क' और 'ख' नामक दो खिलाड़ी हैं। खिलाड़ी 'क' को दो में से एक अंक का चुनाव करना है - १ या २। खिलाड़ी 'ख' को तीन रंगों में से एक चुनना है - लाल, पीला या हरा। इन दोनों के चुनावों को देखकर इनमें से एक को एक राशि ईनाम में दी जाती है और दूसरे से उतनी ही राशि जुर्माने में ली जाती है। साथ की तालिका में दर्शाया गया है की चुनावों के हिसाब यह राशियाँ क्या हैं (लाल राशि खिलाड़ी 'क' की और नीली राशि खिलाड़ी 'ख' की है)। देखा जा सकता है कि यह एक शून्य-संचय खेल है क्योंकि इसमें जितना लाभ एक को होगा उतना ही नुकसान दूसरे को होगा। [[खेल सिद्धांत]] में ऐसी ही परिस्थितियों का अध्ययन किया जाता है। इस खेल में यह हो सकता है -
* खिलाड़ी 'क' सोचता है कि 'अगर मैंने २ चुना तो मैं २० हार सकता हूँ या २० जीत सकता हूँ। अगर मैंने १ चुना तो ३० जीत सकता हूँ लेकिन सिर्फ १० ही हार सकता हूँ। इसलिए मुझे १ चुनना चाहिए।'
* खिलाड़ी 'ख' सोच सकता है कि 'ज़रूर खिलाड़ी क १ ही चुनेगा, इसलिए मुझे पीला रंग चुनना चाहिए जिस से मैं १० जीतूंगा और वह १० हारेगा।'
* खिलाड़ी 'क' सोच सकता है कि 'ज़रूर खिलाड़ी ख सोचेगा कि मैं १ चुनने वाला हूँ, इसलिए वह मुझे हराने के लिए पीला चुनेगा। इसलिए मुझे उसकी अपेक्षाओं के विपरीत २ चुन लेना चाहिए। फिर मैं २० जीतूंगा और वह २० हारेगा।'
* खिलाड़ी 'ख' सोच सकता है कि 'ज़रूर खिलाड़ी क सोचेगा कि मैं उसके १ चुनने की उम्मीद में पीला चुनुँगा इसलिए वह वास्तव में २ चुनेगा। इसलिए मुझे हरा चुनना चाहिए जिस से वह २० हारे और मैं २० जीतूँ।'
देखा जा सकता है कि इसमें दोनों खिलाड़ी एक दूसरे के विचारों को समझने की अत्याधिक कोशिश करते हैं क्योंकि उनके लिए अच्छा चुनाव क्या है यह दूसरे के चुनाव पर निर्भर है। इस प्रकार के 'शुन्य-संचय खेल' का हल इमेल बोरेल (<small>Émile Borel</small>) और जॉन फ़ॉन न्यूमन (<small>John von Neumann</small>) नामक गणितज्ञों ने [[प्रायिकता]] (प्रॉबाबिलिटी) के प्रयोग से दिया था।
== मनोविज्ञान ==
अक्सर दो प्रतिद्वंदियों में ऐसी स्थिति बन जाती है जिसमें द्वेष की आदत पड़ने से वह यह समझने लगते हैं की अगर एक का कुछ लाभ होता है तो इसका मतलब है कि दूसरे का उतना ही नुकसान हो रहा है। अर्थात वह यह समझने लगते हैं कि उनकी आपसी समबन्ध एक शुन्य-संचय खेल है। शुन्य-संचय खेलों में अगर एक पक्ष दूसरे को कोई भी हानि पहुँचा सके तो अवश्य पहुँचाने की कोशिश करता है।<ref name="ref68dimox">[http://books.google.com/books?id=CE0tYCmIAi4C The Psychology of Conflict and Combat], Ben Shalit, pp. 43, Greenwood Publishing Group, 1988, ISBN
== इन्हें भी देखें ==
* [[खेल सिद्धांत]]
== सन्दर्भ ==
<small>{{reflist|2}}</small>
|