"हाइकु": अवतरणों में अंतर

छो r2.7.2) (Robot: Adding be:Хайку
छो Bot: अंगराग परिवर्तन
पंक्ति 2:
हाइकु को काव्य विधा के रूप में [[मात्सुओ बाशो|बाशो]] (१६४४-१६९४) ने प्रतिष्ठा प्रदान की। हाइकु बाशो के हाथों सँबरकर १७ वीं शताब्दी में जीवन के दर्शन से जुड़ कर जापानी कविता की युगधारा के रूप में प्रस्फुटित हुआ। आज हाइकु जापानी साहित्य की सीमाओं को लाँघकर विश्व साहित्य की निधि बन चुका है।
 
* हाइकु अनुभूति के चरम क्षण की कविता है।<ref>जापानी कविताएँ, अनुवादक- [[सत्यभूषण वर्मा]], सीमान्त पब्लिकेशंस इंडिया, १९७७, पृष्ठ-२२</ref>
 
* बिंब समीपता ( juxtaposition of the images) हाइकु संरचना का मूल लक्षण है। इस से पाठक को रचना के भाव में अपने आप को सहिकारी बनाने की जगह मिल जाती है।
 
* हाइकु कविता तीन पंक्तियों में लिखी जाती है । हिंदी हाइकु के लिए पहली पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी में ७ अक्षर और तीसरी पंक्ति में ५ अक्षर, इस प्रकार कुल १७ अक्षर की कविता है। हाइकु अनेक भाषाओं में लिखे जाते हैं लेकिन वर्णों या पदों की गिनती का क्रम अलग-अलग होता है। तीन पंक्तियों का नियम सभी में अपनाया जाता है। हाइकु मूलरूप से प्रकृति की कविता हॅ।
 
* ऋतुसूचक शब्द ( कीगो )- एक अच्छे हाइकु में ऋतुसूचक शब्द आना चाहिए। लेकिन सदा ऐसा हो, यह जरूरी नही। हाइकु, प्रकृति तथा प्राणिमात्र के प्रति प्रेम का भाव मन में जगाता है। अत: मानव की अन्त: प्रकॄति भी इसका विषय हो सकती है।
 
* हिन्दी में हाइकु लिखने की दिशा में बहुत तेजी आई है। लगभग सभी पत्र-पत्रिकाएँ हाइकु कविताएँ प्रकाशित कर रही हैं। [[आकाशवाणी]] द्वारा हाइकु कविताओं को कविगोष्ठियों के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा है। लगभग ४०० (चार सौ) से अधिक हिन्दी [[हाइकु संकलन]] हिन्दी में प्रकाशित हो चुके हैं। हिंदी में संपूर्ण रूप से हाइकु पर आधारित एक अनियत कालीन पत्रिका [[हाइकु दर्पण]] है।
 
== सन्दर्भ ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/हाइकु" से प्राप्त