"श्वेताम्बर तेरापन्थ": अवतरणों में अंतर

No edit summary
छो Bot: अंगराग परिवर्तन
पंक्ति 1:
'''श्वेताम्बर तेरापन्थ''' जैन धर्म के आकाश मे चमकता सितारा है।
== तेरापन्थ का परिचय ==
{|
|+तेरापन्थ का परिचय
पंक्ति 8:
भारत अध्यात्म प्रधान देश है। भारतीय सन्स्कृति त्याग और तपस्या से अनुप्राणित है तथा जैन धर्म उसमे एक महत्वपूर्ण कडी है। जैन परम्परा मे २४ तीर्थन्कर हुए है, उनमे प्रथम थे भगवान ऋषभ तथा अन्तिम भगवान महावीर। भगवान महावीर के मोक्ष (जो जैन धर्म का चरम लक्ष्य है) के ६०० वर्ष पश्चात तक जैन धर्म अविभाजित रहा। ईस्वी २०० मे यह दो भागो मे विभाजित हो गया श्वेताम्बर और दिगम्बर। कालान्तर मे दिगम्बर परम्परा मे विभाग हुए बीसापन्थ, तेरापन्थ और तारणपन्थ। श्वेताम्बर परम्परा मे विभाग हुए मूर्तिपूजक, स्थानकवासी और तेरापन्थी। मूर्तिपूजक सम्प्रदाय मे अनेक गच्छ है। इसी प्रकार स्थानकवासी मे भी अनेक विभाग है। आचार्य रघुनाथजी स्थानकवासी आचार्य थे तथा तेरापन्थ के सन्स्थापक आचार्य भिक्षु इन्ही के शिष्य थे। तेरापन्थ का उदय स्थानकवासी सम्प्रदाय से हुआ।
|}
== तेरापन्थ के आचार्य ==
{|
|+'''तेरापन्थ''' मे १० आचार्यो की गौरवशाली परम्परा है।
पंक्ति 42:
|[[आचार्य श्री महाप्रग्य]]
[[आचार्य भिक्षु]]
आचार्य भिक्षु का जन्म वि स १७८३ ईस्वी १७२६ कन्टालिया मे (मारवाड) जोधपुर, राजस्थान मे हुआ।
{{stub}}