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'''हिजाज़ पहाड़ियाँ''' या '''हेजाज़ पहाड़ियाँ''' [[सउदी अरब]] के पश्चिमी [[हिजाज़]] क्षेत्र में उस देश के पश्चिमी तट के पास स्थित पहाड़ियों की एक शृंखला है। वास्तव में इस तट की बराबरी में दो पहाड़ी शृंखलाएँ चलती हैं - उत्तर में हिजाज़ पहाड़ियाँ हैं, बीच में एक कम ऊँचाई का क्षेत्र है और दक्षिण में फिर असीर पहाड़ियाँ हैं। हिजाज़ के पहाड़ पूर्व में ढलान रखते हैं जहाँ से कभी-कभार गिरने वाली बारिश बहकर आसपास की कुछ वादियों में [[पानी का चश्मा|चश्में]] और कुँए में पानी भरकर वहाँ पर [[नख़लिस्तान]] (ओएसिस) बना देती है। हिजाज़ पहाड़ियों की पश्चिमी तरफ़ में ढलान की बजाए खाईयाँ हैं, जहाँ ऊँचाई बहुत जल्दी गिरती है। पहाड़ियों और [[लाल सागर]] के बीच कम जगह है, इसलिए तटीय मैदान या तो बहुत छोटा है या है ही नहीं।
 
== सम्बंधित तथ्य ==
* हिजाज़ पहाड़ियों में 'मह्द अल-दहब' (या मह्द अल-ज़हब, <small>Mahd adh Dhahab, {{Nastaliq|ur|مهد الذهب}}</small>) नामक क्षेत्र स्थित है जो [[अरबी प्रायद्वीप]] का सबसे विख्यात [[सोना]] उत्पादन क्षेत्र है। [[अरबी भाषा]] में 'मह्द अल-दहब' का मतलब 'सोने (धातु) का पालना' होता है।
* [[ईसाई धर्म]] और [[इस्लाम]] की धर्मकथाओं में एक [[ईडन|ईडन के उद्यान]] का वर्णन है जहाँ पिशोन नदी नामक एक धारा चलती थी। कुछ विद्वानों के अनुसार इस उद्यान की कल्पना [[फ़ारस की खाड़ी]] के उत्तरी छोर पर [[कुवैत]] के किनारे की किसी जगह से प्रेरित है और संभव है कि यह पिशोन नदी हिजाज़ पहाड़ियों से निकला करती थी।<ref name="ref13melep">[http://books.google.com/books?id=D11TfTKgeGMC From Eden to Exile], Eric H. Cline, pp. 9, National Geographic Books, 2007, ISBN 9781426200847978-1-4262-0084-7, ''... The late James Sauer, a professor at the University of Pennsylvania and Harvard University, wrote, 'With the use of remote sensing technology, Boston University geologist Farouk El-Baz has traced a major, partially underground, sand river channel from the mountains of Hijaz to Kuwait, which he has named the Kuwait River.' Sauer cautiously suggests that this river, which dried up sometime between 3500 and 2000 B.C., might be linked with the biblical Pishon River ...''</ref>
* बोस्टन विश्वविद्यालय के फ़ारूक़ अल-बाज़ ने पाया है कि वास्तव में एक नदी हिजाज़ पहाड़ों से उतरकर [[अरबी रेगिस्तान]] में ६०० मील चलकर वादी अल-रुम्माह और वादी अल-बतीन से होती हुई फ़ारस की खाड़ी में जाती थी। यह नदी शायद आज से २५००-३००० वर्ष पूर्व सूख गई और इसे 'कुवैत नदी' का नाम दिया गया है।<ref name="ref13melep"/>
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[हिजाज़]]
* [[सरवात पहाड़ियाँ]]
* [[अरबी रेगिस्तान]]
 
== सन्दर्भ ==
<small>{{reflist|2}}</small>