"चन्द्रयान": अवतरणों में अंतर

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[[भारतीय अंतरिक्षयान प्रक्षेपण क्रमानुसार|भारतीय अंतरिक्षयान प्रक्षेपण के अनुक्रम]] में यह २७वाँ उपक्रम है। इसका कार्यकाल लगभग २ साल का होना था, मगर नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूटने के कारण इसे उससे पहले बंद कर दिया गया। चन्द्रयान के साथ भारत चाँद को यान भेजने वाला छठा देश बन गया था। इस उपक्रम से चन्द्रमा और [[मंगल]] ग्रह पर मानव-सहित विमान भेजने के लिये रास्ता खुला।
 
== तकनीकी जानकारी ==
'''द्रव्यमान''' - प्रक्षेपण के समय १३८० किलोग्राम, और बाद में चन्द्रमा तक पहुँचने पर इसका वजन ५७५ किग्रा हो जाएगा। अपने इम्पैक्टरों को फेंकने के बाद ५२३ किग्रा।
 
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'''ऊर्जा'''- ऊर्जा का मुख्य स्रोत सौर पैनल है जो ७०० वाट की क्षमता का है। इसे लीथियम-आयन बैटरियों में भर कर संचित किया जा सकता है।
 
== घटनाक्रम ==
* [[बुधवार]] [[२२ अक्तूबर]] [[२००८]] को छह बजकर २१ मिनट पर [[श्रीहरिकोटा]] के [[सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र]] से चंद्रयान प्रथम छोड़ा गया। इसको छोड़े जाने के लिए उल्टी गिनती सोमवार सुबह चार बजे ही शुरू हो गई थी। मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों में मौसम को लेकर थोड़ी चिंता थी, लेकिन सब ठीक-ठाक रहा। आसमान में कुछ बादल जरूर थे, लेकिन बारिश नहीं हो रही थी और बिजली भी नहीं चमक रही थी। इससे चंद्रयान के प्रक्षेपण में कोई दिक्कत नहीं आयी। इसके सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत दुनिया का छठा देश बन गया है, जिसने चांद के लिए अपना अभियान भेजा है। <ref>http://khabar.ndtv.com/2008/10/22065117/Moon-mission.html</ref> इस महान क्षण के मौके पर वैज्ञानिकों का हजूम 'इसरो' के मुखिया जी [[माधवन नायर]] 'इसरो' के पूर्व प्रमुख [[के कस्तूरीरंगन]] के साथ मौजूद थे। इन लोगों ने रुकी हुई सांसों के साथ चंद्रयान प्रथम की यात्रा पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लगातार नजर रखी और एक महान इतिहास के गवाह बने।
* चंद्रयान के ध्रुवीय प्रक्षेपण अंतरिक्ष वाहन पीएसएलवी सी-११ ने [[सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र]] से रवाना होने के १९ मिनट बाद ट्रांसफर कक्षा में प्रवेश किया। ११ पेलोड के साथ रवाना हुआ चंद्रयान पृथ्वी के सबसे नजदीकी बिन्दु (२५० किलोमीटर) और सबसे दूरस्थ बिन्दु (२३, ००० किलोमीटर) के बीच स्थित ट्रांसफर कक्षा में पहुंच गया। दीर्घवृताकार कक्ष से २५५ किमी पेरिजी और २२ हजार ८६० किमी एपोजी तक उठाया गया था।
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* [[रविवार]] [[३० अगस्त]] [[२००९]] [[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]] (इसरो) ने चंद्रयान प्रथम औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया।
 
== सदी की सबसे महान उपलब्धि ==
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] ने दावा किया कि चांद पर पानी भारत की खोज है। चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता चंद्रयान-1 पर मौजूद भारत के अपने मून इंपैक्ट प्रोब [एमआईपी] ने लगाया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के उपकरण ने भी चांद पर पानी होने की पुष्टि की है। चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता भारत के अपने एमआईपी ने लगाया है। चंद्रयान-1 के प्रक्षेपण के करीब एक पखवाड़े बाद भारत का एमआईपी यान से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर उतरा था। उसने चंद्रमा की सतह पर पानी के कणों की मौजूदगी के पुख्ता संकेत दिए थे। चंद्रयान ने चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाकर इस सदी की महत्वपूर्ण खोज की है। इसरो के अनुसार चांद पर पानी समुद्र, झरने, तालाब या बूंदों के रूप में नहीं बल्कि खनिज और चंट्टानों की सतह पर मौजूद है। चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी पूर्व में लगाए गए अनुमानों से कहीं ज्यादा है।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://hindi.webdunia.com/news/news/chand/ चंद्र अभियान (चन्द्रयान)] (वेबदुनिया)
* [http://www.isro.org/chandrayaan/htmls/home.htm Offical Homepage of Chandrayaan-1]
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* [http://sify.com/news/fullstory.php?id=14799354 From launch to landing - Indian moon mission's journey]
 
== संदर्भ ==
<references/>