"हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत": अवतरणों में अंतर

छो Bot: अंगराग परिवर्तन
पंक्ति 4:
'''हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत''' भारतीय [[शास्त्रीय संगीत]] के दो प्रमुख आयामों में से एक है । दूसरा प्रमुख आयाम है - [[कर्नाटक संगीत]] ।
 
11वीं और 12वीं शताब्दी में मुस्लिम सभ्यता के प्रसार ने भारतीय संगीत की दिशा को नया आयाम दिया। यह दिशा प्रोफेसर ललित किशोर सिंह के अनुसार यूनानी पायथागॉरस के ग्राम व अरबी फ़ारसी ग्राम के अनुरूप आधुनिक बिलावल ठाठ की स्थापना मानी जा सकती है। इससे पूर्व काफी ठाठ शुद्ध मेल था। किंतु शुद्ध मेल के अतिरिक्त उत्तर भारतीय संगीत में अरबी-फ़ारसी अथवा अन्य विदेशी संगीत का कोई दूसरा प्रभाव नहीं पड़ा। "मध्यकालीन मुसलमान गायकों और नायकों ने भारतीय संस्कारों को बनाए रखा।" ([http://www.omenad.net/refer/books.htm ध्वनि और संगीत. भारतीय ज्ञानपीठ: 1999. पृ. 161])
 
राजदरबार संगीत के प्रमुख संरक्षक बने और जहां अनेक शासकों ने प्राचीन भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा को प्रोत्साहन दिया वहीं अपनी आवश्यकता और रुचि के अनुसार उन्होंने इसमें अनेक परिवर्तन भी किए। हिंदुस्तानी संगीत केवल उत्तर भारत का ही नहीं। बांगलादेश और पाकिस्तान का भी शास्त्रीय संगीत है।
== हिंदुस्तानी संगीत की विशेषताएँ ==
 
== यह भी देखें ==
* [[शास्त्रीय संगीत]]
* [http://www.omenad.net 'ओमनाद' - संगीत चर्चा]
 
{{भारतीय शास्त्रीय संगीत}}