"हिमभंजक": अवतरणों में अंतर
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'''हिमभंजक''' या '''बर्फ़भंजक''' (<small>[[अंग्रेजी]]: ice-breaker, आइस ब्रेकर</small>) ऐसे [[समुद्री जहाज़]] या [[नौका]] को कहते हैं जो बर्फ़ग्रस्त पानी में यातायात करने की क्षमता रखता हो। किसी जहाज़ को हिमभंजक समझा जाने के लिए उसमें तीन गुण ज़रूरी हैं: उसका ढांचा आम जलयानों से मज़बूत होना चाहिए, उसका आकार आगे से बर्फ़ हटाने के लिए अनुकूल होना चाहिए और उसमें बर्फ़ से ढके पानी में ज़ोर से बर्फ़ धकेलकर आगे निकलने की क्षमता होती चाहिए।<ref name="ref34bayof">[http://books.google.com/books?id=BkFbQ4TcOs4C Ships (Mighty Machines)], Ian Graham, pp. 22, Black Rabbit Books, 2006, ISBN
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बर्फ़ग्रस्त पानी से गुज़रने के लिए हिमभंजक गति से सख़्त-जमी बर्फ़ पर अपने शरीर से प्रहार करता है। इस से बर्फ़ टूट जाती है लेकिन नौका के आगे बर्फ़ के टुकड़ों का जमावड़ा जहाज़ को धीमे कर सकता है, इसलिए जहाज़ का आकार कुछ ऐसा होता है की टूटी बर्फ़ उसके दाई-बाई तरफ़ या फिर नौका के नीचे जाने के लिए विवश हो जाती है और आगे का रास्ता खुलता जाता है। जहाज़ का नोदक (प्रोपेलर, यानि पानी पीछे धकेलर जहाज़ आगे बढ़ाने का पंखा) नौका के बाहर होता है इसलिए बर्फ़ के टुकड़ों से लगातार टकराने से उसे क्षति पहुँच सकती है। इसलिए हिमभंजकों के नोदक मज़बूत बनाए जाते हैं और उनका निर्माण कुछ ऐसा होता है कि अगर उनके पंखे टूट जाए तो बीच-यात्रा में भी जहाज़ के कर्मचारी उन्हें बदलकर नए पंखे लगा सकते हैं। पृथ्वी के ध्रुवीय इलाकों में अक्सर केवल हिमभंजक ही सलामती से यातायात कर सकते हैं।
== इन्हें भी देखें ==
* [[समुद्री जहाज़]]
== सन्दर्भ ==
<small>{{reflist|2}}</small>
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